अद्भूत है गंगोत्री धाम
पौराणिक कथा है कि देवी गंगा ने राजा भगीरथ के पुरखों को तारने के लिए नदी का रूप धारण किया था। भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगाजी धरती पर अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम भागीरथी है। गंगोत्री धाम में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है, जो कि समुद्रतल से 3140 मीटर की
पौराणिक कथा है कि देवी गंगा ने राजा भगीरथ के पुरखों को तारने के लिए नदी का रूप धारण किया था। भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगाजी धरती पर अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम भागीरथी है।
गंगोत्री धाम में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है, जो कि समुद्रतल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है।
मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से 19 किमी. की दूरी पर गोमुख में है। लेकिन, श्रद्धालु गंगोत्री में ही गंगाजी के दर्शन करते हैं।