Move to Jagran APP

अद्भूत है गंगोत्री धाम

पौराणिक कथा है कि देवी गंगा ने राजा भगीरथ के पुरखों को तारने के लिए नदी का रूप धारण किया था। भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगाजी धरती पर अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम भागीरथी है। गंगोत्री धाम में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है, जो कि समुद्रतल से 3140 मीटर की

By Edited By: Published: Sat, 03 May 2014 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 03 May 2014 05:29 PM (IST)

पौराणिक कथा है कि देवी गंगा ने राजा भगीरथ के पुरखों को तारने के लिए नदी का रूप धारण किया था। भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगाजी धरती पर अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम भागीरथी है।

loksabha election banner

गंगोत्री धाम में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है, जो कि समुद्रतल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है।

मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से 19 किमी. की दूरी पर गोमुख में है। लेकिन, श्रद्धालु गंगोत्री में ही गंगाजी के दर्शन करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.