जो भक्त इनका दर्शन-पूजन और आराधना करते हैं, वे शिव की कृपा के पात्र बनते हैं
मान्यता के अनुसार, सोमनाथ मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में स्थापित सबसे पहला रुद्र ज्योतिर्लिंग है।
चंद्रमा के नाथ सोमनाथ सोम अर्थात चंद्रमा के स्वामी श्री सोमनाथ के दर्शन से मन में होने लगता है शक्ति का संचार
चंद्रमा का एक नाम सोम है। सोम शिव को अपना नाथ मानते हैं और भोले शिव उन्हें अपने मस्तक पर
स्थान देते हैं, इसलिए भगवान शिव सोमनाथ के नाम से भी जाने जाते हैं। देश के अलग-अलग भागों में
भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख हैं श्री सोमनाथ। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, सोमनाथ मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में स्थापित सबसे पहला रुद्र ज्योतिर्लिंग है। जो भी भक्त इनका दर्शन-पूजन और आराधना करते हैं, वे शिव की कृपा के पात्र बनते हैं।
गुजरात के सौराष्ट्र से होकर जब आप प्रभास क्षेत्र में कदम रखेंगे, तो श्रीसोमनाथ का ध्वज दूर से ही दिखने लगता है। इस ध्वज को देखते ही आपमें शिव के प्रति भक्ति और शक्ति का संचार होने लगता है। भक्तगण सुबह से ही भगवान सोमनाथ के दर्शनों के लिए उमड़ पड़ते हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही शिव के प्रिय वाहन नंदी
भक्तों की अगुवाई करते हैं। इसके बाद भक्तों का मिलन अपने प्रिय देव महादेव से होता है।
श्री सोमनाथ शिवलिंग के अद्भुत शृंगार को देखने के लिए हर भक्त उतावला रहता है। जब उन्हें पंचामृत अर्पित
किया जाता है, तो ऐसा लगता है कि सारी सृष्टि के संरक्षक शिव भी कुछ क्षण के लिए स्थिर होकर स्वयं
को जलतरंगों से ओत-प्रोत कर लेना चाहते हैं। इसके बाद बेलपत्र के अर्पण और धूप-अगरबत्ती की खुशबू से सारा वातावरण सुगंधित हो जाता है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराण में विस्तार से बताई गई है।