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आइए! अपने तीर्थो को जानें

नृसिंह के आंगन में बदरीश पंचायत- श्री बदरीनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु जोशीमठ में भगवान नृसिंह के दर्शन कर ही आगे बढ़ते हैं। मान्यता है कि भगवान नृसिंह के दर्शनों व पूजा-अर्चना के बाद ही बदरीनाथ की यात्रा सुफल होती है। शीतकाल में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर तीर्थयात्री नृसिंह मंदिर में बदरीश पंचायत के दर्शन कर

By Edited By: Published: Tue, 22 Apr 2014 02:35 PM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 04:23 PM (IST)
आइए! अपने तीर्थो को जानें

नृसिंह के आंगन में बदरीश पंचायत-

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श्री बदरीनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु जोशीमठ में भगवान नृसिंह के दर्शन कर ही आगे बढ़ते हैं। मान्यता है कि भगवान नृसिंह के दर्शनों व पूजा-अर्चना के बाद ही बदरीनाथ की यात्रा सुफल होती है। शीतकाल में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर तीर्थयात्री नृसिंह मंदिर में बदरीश पंचायत के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। समुद्रतल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है नृसिंह मंदिर।

मंदिर में भगवान नृसिंह के अलावा बदरीश पंचायत भी मौजूद है। जिस तरह बदरीनाथ में भगवान विष्णु की विभिन्न पूजाएं होती हैं, उसी तर्ज पर नृसिंह मंदिर में भी सालभर अभिषेक-महाभिषेक समेत अन्य पूजाएं होती हैं। 'राजतरंगिणी' के अनुसार आठवीं सदी में कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीठ ने अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान नृसिंह मंदिर का निर्माण किया था। मंदिर में श्रीविष्णु का नृसिंह अवतार वीरासन मुद्रा में मौजूद है। अन्य मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण अपनी स्वर्गारोहिणी यात्रा के दौरान किया था। कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का निर्माण किया। कारण, शंकराचार्य नृसिंह को अपना ईष्ट देव मानते थे।

नृसिंह मंदिर परिसर में शंकराचार्य की गद्दी शीतकाल में छह माह तक विराजमान रहती है। इसी स्थान पर आदि गुरु शंकराचार्य को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

कपाट खुलने का समय: वर्षभर पूजा का प्राविधान।

मौसम: अप्रैल से सितंबर तक सुहावना। अक्टूबर से मार्च तक ठंडा।

दिसंबर से फरवरी तक हिमाच्छादित।

पहनावा: अप्रैल से सितंबर तक हल्के ऊनी वस्त्र। बाकी महीनों में गर्म ऊनी वस्त्र पहनने जरूरी।

यात्री सुविधा: सभी यात्रा पड़ावों पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति

जीएमवीएन के गेस्ट हाउस, निजी विश्राम गृह आदि।

वायु मार्ग: देहरादून में जौलीग्रांट हवाई अड्डा। दूरी 273 किलोमीटर।

रेल मार्ग: 253 किलोमीटर दूर ऋषिकेश निकटतम रेलवे स्टेशन।

सड़क मार्ग: हरिद्वार, ऋषिकेश अथवा देहरादून से जोशीमठ तक आसानी से वाहन उपलब्ध। जोशीमठ से बदरीनाथ तक गेट व्यवस्था।


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