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उमड़े भक्तों की टोली मां चामुंडा भर दे झोली

महेंद्रगढ़ जिले के ऐतिहासिक शहर नारनौल के बीचों-बीच पहाड़ी की तलहटी में स्थित मां चामुंडा देवी का प्राचीन मंदिर वह आध्यात्मिक स्थल है जहां पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां पर स्थित सिंहद्वार जहां भक्तों को अनायास ही आकर्षित करता है, वहीं देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के समक्ष श्रद्धालु न

By Edited By: Published: Fri, 11 Apr 2014 01:04 PM (IST)Updated: Fri, 11 Apr 2014 01:19 PM (IST)
उमड़े भक्तों की टोली मां चामुंडा भर दे झोली

महेंद्रगढ़ जिले के ऐतिहासिक शहर नारनौल के बीचों-बीच पहाड़ी की तलहटी में स्थित मां चामुंडा देवी का प्राचीन मंदिर वह आध्यात्मिक स्थल है जहां पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां पर स्थित सिंहद्वार जहां भक्तों को अनायास ही आकर्षित करता है, वहीं देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के समक्ष श्रद्धालु नतमस्तक हो जाते हैं।

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महेंद्रगढ़ जिले के मुख्यालय व ऐतिहासिक शहर नारनौल के बीचों-बीच पहाड़ी की तलहटी में स्थित मां चामुंडा देवी का विशाल तथा प्राचीन मंदिर भी वह आध्यात्मिक स्थल है जहां पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। शहर के बीचों-बीच स्थित मां चामुंडा देवी के प्राचीन मंदिर का विशाल मुख्यद्वार जहां महादेव व आदिशक्ति की भव्य प्रतिमाओं से सुसज्जित है, वहीं मंदिर के शिखर पर धर्म पताकाएं फहराती रहती हैं। मुख्यद्वार से मंदिर में प्रवेश करते ही सिंहद्वार बना हुआ है जिसके दोनों ओर मां की सवारी 'सिंह' विराजमान है। मंदिर के अंदर पूर्वी भाग में हनुमान की विशाल प्रतिमा श्रद्धालुओं को अनायास ही नतमस्तक करती है। मंदिर के दक्षिणी भाग में शिवालय बना हुआ है तो मंदिर के पश्चिमी भाग में कांच से निर्मित शीशमंदिर स्थित है जिसमें परिक्रमा पथ बनाया गया है। मां चामुंडा के मंदिर के बीच में स्थित गर्भग्रह में मां चामुंडा की भव्य प्रतिमा को स्थापित किया गया है। यहीं पर खुदाई में मिली माता की प्रतिमा को भी स्थापित किया गया है।

चांदी से बने शेर पर सवार मां चामुंडा के दरबार के सामने विशाल सत्संग भवन स्थित है जिसमें प्रतिदिन आरती व भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। यहां श्याम, वैंकटेश्वर, हनुमान, महालक्ष्मी, गंगा, यमुना, जीर्ण माता, भद्रकाली, सांई बाबा, राधा-कृष्ण और लक्ष्मी नारायण के मंदिर स्थित होने के अलावा राम दरबार व शिव परिवार तथा विभिन्न देवी-देवताओं की भव्य प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है। यहां पर शरद पूर्णिमा, अन्नकूट व जन्माष्टमी पर प्रसाद वितरित किया जाता है तो रामनवमी को विशाल मेला व अष्टमी को विशाल जागरण व भंडारा लगाया जाता है।

नवरात्रों में तो यहां पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। हर माह की अष्टमी को यहां पर भजन-कीर्तन तथा महाशिवरात्रि को विशाल जागरण किया जाता है। मंदिर की देखरेख के लिए बनाए गए मातेश्वरी चामुंडा देवी ट्रस्ट के प्रधान सूरज बोहरा व सचिव चेतन चौधरी ने बताया कि मां चामुंडा में श्रद्धालुओं की अगाध आस्था के फलस्वरूप करीब छह दशक पूर्व हरिराम बोहरा के प्रयासों से इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। पंडित रामकिशन व रूपचंद के बाद पुजारी के रूप में मां चामुंडा देवी के मंदिर में पूजा-पाठ का कार्य संभाल रहे पंडित सत्यनारायण का कहना है कि यहां पर टोलियों के रूप में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है तथा शीश झुकाने मात्र से ही मां चामुंडा उनकी झोली खुशियों से भर देती हैं।


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