माता के दरबार से कोई नहीं जाता खाली
दुर्गाधाम मंदिर शुक्रताल में दुर्गा जी की 51 फुट ऊंची विशालकाय प्रतिमा श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बनी हुई है। मंदिर में पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
मोरना। दुर्गाधाम मंदिर शुक्रताल में दुर्गा जी की 51 फुट ऊंची विशालकाय प्रतिमा श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बनी हुई है। मंदिर में पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नवरात्रि त्योहारों पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चन के लिए आते हैं। इस मंदिर में एक गुफा है जिसमें देवी के नौ स्वरूप विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां जो भी भक्ति भाव से माता को शीष झुकाकर मन्नतें मांगता है, उसकी मनौतियां पूर्ण होती हैं। उत्तर भारत की पौराणिक तीर्थनगरी शुक्रताल में जय शाकुम्बरी दुर्गाधाम ट्रस्ट के सौजन्य से दुर्गाधाम का शिलान्यास गायक गुलशन कुमार व गायिका अनुराधा पौडवाल ने 15 फरवरी 1994 को किया था। मध्य प्रदेश के मूर्तिकार केशवराम शाहू ने 51 फुट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण कराया। मंदिर में मां वैष्णवी की तरह एक गुफा बनाई गयी जिसमें दुर्गा जी की मूर्ति के साथ-साथ उनके नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, महागौरी, कालरात्रि, सिद्धिदात्री की मूर्ति भी लगाई गयीं। इन्हीं के साथ बाबा भैरो की प्रतिमा भी यहां विराजमान है। मंदिर के पुजारी राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि दुर्गाधाम श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केन्द्र बना है। यहां दूरदराज से भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने को आते हैं। नवरात्र के दौरान तो यहां अपार भीड़ रहती है। मान्यता है कि मां दुर्गा जी के समक्ष पूजा अर्चना कर मांगी गई मुराद अवश्य पूर्ण होती है। इसके अलावा यहां पर माता के जागरण कीर्तन आदि कार्यक्रम आयोजित होते रहते है।
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