Move to Jagran APP

मंदिर देवी महामाया

पूरे जम्मू शहर को यदि एक नजर में देखना है तो बढ़ आइए महामाया मंदिर की ओर। नीचे बलखाती तवी नदी, सामने हरि सिंह पैलेस और तवी के दूसरे किनारे पर मुबारक मंडी और खिलौना बस्ती सा नजर आता पूरा जम्मू शहर।

By Edited By: Published: Mon, 22 Oct 2012 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2012 01:08 PM (IST)

जम्मू। पूरे जम्मू शहर को यदि एक नजर में देखना है तो बढ़ आइए महामाया मंदिर की ओर। नीचे बलखाती तवी नदी, सामने हरि सिंह पैलेस और तवी के दूसरे किनारे पर मुबारक मंडी और खिलौना बस्ती सा नजर आता पूरा जम्मू शहर। ऐसा अविस्मरणीय नजारा जो शायद ही किसी कैमरे में कैद हो पाए। सर्दियों में यहां की गुनगुनी धूप और गर्मियों में ठंडी हवा के तेज झोंके श्रद्धालुओं को प्राकृतिक वातावरण में गुम होने के मजबूर कर देते हैं। महामाया मंदिर जम्मू शहर के पूर्व की ओर तवी नदी के बायें किनारे पर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। स्थानीय बोलचाल में इसे लोग मोहमाया मंदिर भी कहकर पुकारते हैं। बाहु फोर्ट से यह मंदिर तीन-चार किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। महामाया मंदिर के आस-पास का जंगल कभी इतना घना हुआ करता था कि वहां तक पहुंचना बहुत ही कठिन था। कभी-कभी कुछ श्रद्धालु जम्मू शहर के पूर्व की ओर से तवी नदी पार करके यहां आते थे। ऐसा विश्वास है कि सैंकड़ों साल पहले यहां एक समृद्ध राच्य च्धारा नगरी के नाम से प्रसिद्ध था। उस जमाने में भी महामाया का मंदिर इसी स्थान पर स्थित बताया जाता है। विभिन्न कारणों से धारा नगरी के विध्वंस के बाद यह मूर्ति सैंकड़ों वषरें तक तवी किनारे के जंगलों में पड़ी रही। जब गुलाब सिंह जम्मू-कश्मीर के महाराजा बने तो उन्होंने जम्मू के आस-पास कई मंदिरों, किलों तथा भवनों का निर्माण करवाया। एक दंत कथा के अनुसार देवी महामाया ने महाराजा को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि मेरी मूर्ति तवी नदी के किनारे कई सौ साल से पड़ी है। उसे वहां से उठाकर मंदिर में स्थापित करो। सुबह होते ही महाराज अपने दरबारियों और सिपाहियों के साथ मूर्ति की तलाश में निकल पड़े। तवी नदी के किनारे जंगल का चप्पा-चप्पा छान मारा परंतु मूर्ति न मिली। सभी थक हार कर महलों को लौट आएं। महाराजा परेशान थे कि क्या किया जाए। कुछ दिन बीतने पर देवी महामाया ने फिर स्वप्न में उन्हें दर्शन दिए और मूर्ति की तलाश करने को कहा। इस बार माता ने उनको निश्चित स्थान भी बता दिया। माता के आदेशानुसार महाराजा ने मूर्ति की तलाश करके उसे मंदिर में स्थापित करवाया।

loksabha election banner

1986 ई में भारी वर्षा के कारण महामाया का मंदिर गिर गया और केवल माता की मूर्ति तथा मोहरे ही बाकी रह गए। उन्हीं दिनों राज्यपाल श्री जगमोहन ने इस इलाके का दौरा किया। माता की मूर्ति के दर्शन किए और आस-पास के जंगलों में विकास कायरें को शुारू करने के लिए कई योजनाएं बनाई। यात्रियों की सुविधा के लिए बाई-पास से एक छोटी सड़क देवी महामाया के मंदिर तक बनवाई और उस स्थान को अधिक आकर्षक बनाने के लिए उचित प्रबंध किए। मंदिर के चारों ओर बहुत बड़े इलाके में वृक्ष लगवा कर इसे अधिक सुंदर बना दिया गया। यात्रियों के ठहरने के लिए एक बड़े हॉल का निर्माण किया गया है। पास ही एक मंदिर महात्मा शंकर गिरी जी ने बनवाया है जहां माता महाकाली की मूर्ति स्थापित की गई है। माता महामाया दरबार के भीतरी भाग को रंगदार शीशों तथा अन्य देवी देवताओं के चित्रों से सजाया गया हे जहां माता की पवित्र जोत दिन रात जलती रहती है। धूप दीप तथा फूलों की सुंगध से माता का दरबार महक रहा होता है। पर लौटते हुए प्रसाद जरा संभालकर, क्योंकि यहां के बंदर सचमुच नटखट हैं और अपने पराये का भेद नहीं जानते।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.