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रघुनाथ मंदिर बना देव स्थली

हरियाणा में विभिन्न देवी-देवताओं के अनगिनत धार्मिक स्थल लोगों की आस्था के केंद्र हैं। पानीपत के कस्बे समालखा के मॉडल टाउन में स्थित श्रीरघुनाथ मंदिर की भी काफी मान्यता है। देव स्थली के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में श्रद्धालु जय श्रीराम का जयघोष करते हुए अभिवादन करते हैं।

By Edited By: Published: Mon, 08 Oct 2012 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2012 11:56 AM (IST)

देवी-देवताओं के प्रति अगाध आस्था के कारण भारत भूमि को देव भूमि कहा गया है। देश के कोने-कोने में किसी न किसी देवी-देवता की मान्यता है। हरियाला प्रदेश हरियाणा भी ऋषि-मुनियों व तपस्वियों के तप का गवाह है। यहां पर न केवल ऋषि-मुनियों के प्रताप के प्रतीक धार्मिक स्थल शोभायमान हैं बल्कि विभिन्न देवी-देवताओं के अनगिनत धार्मिक स्थल भी लोगों की आस्था के केंद्र हैं। पानीपत के कस्बे समालखा के मॉडल टाउन में स्थित श्रीरघुनाथ मंदिर की भी काफी मान्यता है। श्रद्धालु यहां आकर जय श्रीराम का जयघोष करते हुए अभिवादन करते हैं और अपने आपको धन्य समझते हैं।

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श्रीरघुनाथ मंदिर समालखा के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में स्थापित है जिसका मुख पूर्व की ओर है। यह मंदिर यहां से आने-जाने वाले हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर में हर रोज सुबह पंडित बाबूलाल शास्त्री श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हैं। इसमें मंदिर के प्रधान प्रद्युमन गुल्यानी का विशेष सहयोग रहता है।

मंदिर के प्रवेशद्वार पर ही श्रीराम दरबार शोभायमान है। इसे दूर से ही देखकर श्रद्धालु नतमस्तक हो जाते हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही जहां भव्य श्रीराम दरबार आकर्षित करता है, वहीं पवनपुत्र हनुमान, मां भगवती, शिवशंकर भोलेनाथ व श्रीगणेश के स्वरूपों को भी यहां स्थापित किया गया है। इतना ही नहीं मुरली बजाते श्रीकृष्ण का प्रतिरूप सबको मनमोहक लगता है। देखा जाए तो रघुनाथ मंदिर अब देव स्थली बन गया है क्योंकि यहां एकसाथ कई देवी-देवताओं के दर्शन करके श्रद्धालु अपने आप को धन्य समझते हैं। मंदिर में राम-दरबार की प्रतिमा विशेष रूप से हर श्रद्धालु के मन को मोह लेती है। धार्मिक ग्रंथ इस बात की तस्दीक करते हैं कि जब धरा पर असुर प्रवृत्ति वालों का बोलबाला हो गया तब देवताओं की विनती पर प्रभु श्रीराम धरती पर आसुरी शक्तियों के नाश हेतु तथा भक्तों का कल्याण करने के लिए अवतरित हुए। त्रेता युग में सनातन मर्यादा के मापदंड के जो आदर्श श्रीराम ने स्थापित किए, आज भी संपूर्ण मानव जाति उनसे प्रेरणा ले रही है। इसलिए तो श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। स्वयं सनातन परब्रह्म होते हुए भी उन्होंने साधारण मानव की तरह व्यवहार किया लेकिन जिन्होंने उन्हें परमपिता परमेश्वर के रूप में पहचाना उन्होंने उनकी अखिल एवं शुद्ध हृदयचित से भक्ति करके परमधाम को प्राप्त किया। प्रभु श्रीराम शत्रुओं को अभय दान देने वाले शरणागत वत्सल हैं। जब विभीषण उनकी शरण में अपने भाई रावण की लंका को त्यागकर आए तब उनकी निष्ठा पर वानर सेना ने शंका जताई। तब श्रीराम बोले कि अगर कोई दुराचारी भी मेरी शरणागत होता है तो मैं उसका भी परित्याग नहीं करता और विभीषण तो पूर्णतया निष्पाप हैं।

श्रीराम भले ही त्रेता युग में अवतरित हुए लेकिन आज भी उनकी यशोकीर्ति का गुणगान करके भक्त आनंदित होते हैं। रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई अपने रघुवंश में चली आई परम्परा का निर्वहन करते हुए श्रीराम ने चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया तथा अपने पिता दशरथ के द्वारा माता कैकेयी को दिए वचनों को निभाया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने समाज के हर वर्ग, हर जाति व समुदाय के लोगों को गले लगाया। चाहे वह पक्षीराज जटायु हो, चाहे केवट अथवा शबरी हो। इसी कारण आज भी हर राष्ट्र राम राज्य की कामना करता है। श्रीराम संपूर्ण मानव जाति के महानायक हैं। देव स्थली के रूप में प्रसिद्ध हो चुके समालखा में स्थित श्रीरघुनाथ मंदिर श्रीराम की शिक्षाओं व मर्यादाओं की अनुपालना करते हुए उनके आदर्शो पर चलने की प्रेरणा देता है। श्रद्धालु यहां आकर श्रीराम के जीवन चरित्र को तो समझते ही हैं, साथ-साथ उन्हें यहां स्थापित विशाल शिवलिंग के दर्शन भी होते हैं। यहां पर रामनवमी व जन्माष्टमी के साथ-साथ सभी त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इस मंदिर की मान्यता पानीपत तक ही नहीं है बल्कि आसपास के जिलों से भी काफी श्रद्धालु विशिष्ट अवसरों पर यहां माथा टेकने पहुंच जाते हैं।

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