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Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर विष्णु जी की पूजा से मिलते हैं कई लाभ, जान लें ये जरूरी नियम

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि पर वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं एकादशी व्रत करने से मिलने वाले लाभ और इससे जुड़े जरूरी नियम।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Wed, 24 Apr 2024 02:20 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2024 02:20 PM (IST)
Varuthini Ekadashi 2024वरुथिनी एकादशी पर इन नियमों का रखें ध्यान।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi Niyam: प्रत्येक माह में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की एकादशी पर। इस तिथि को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम माना गया है। एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। इसलिए आइए जानते हैं कि व्यक्ति को एकादशी के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat)

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 मई को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर आरंभ हो रहा है। वहीं यह तिथि समापन 04 मई को रात 08 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 04 मई, शनिवार के दिन किया जाएगा।

मिलते हैं ये लाभ

एकादशी का व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति का सौभाग्य बढ़ता है। साथ ही इससे व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और पुण्यफलों की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से साधक को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

खानपान संबंधी नियम (Ekadashi Vrat Rules)

एकादशी के व्रत के दिन कुट्टू, आलू, नारियल और शकरकंद खाया जा सकता है। लेकिन इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजें जैसे मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें। इसके साथ ही एकादशी के दिन चावल खाने की भी मनाही होती है। एकादशी के व्रत में सामान्य नमक का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर आप सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।

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इन बातों का जरूर रखें ध्यान

इस दिन भूलकर भी तुलसी में जल अर्पित न करें और न ही इसके पत्ते तोड़े। ऐसा माना जाता है कि माता तुलसी भी विष्णु जी के निमित्त एकादशी का व्रत करती हैं। न ही इस दिन बाल धोने और काटने चाहिए। एकादशी व्रत के दिन अपने स्वभाव का भी ध्यान रखना चाहिए। इस दिन किसी पर क्रोध न करें और सभी से मधुरता से बात करें। साथ ही इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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