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7 मंत्र अनुशासित रहने के

अनुशासन वह कुंजी है, जो सफलता और प्रसन्नता के खजाने की ओर ले जाती है। आत्म-अनुशासन या आत्म-नियंत्रण एक मुश्किल विधा है, जिसे अभ्यास से धीरे-धीरे हासिल किया जाता है। कैसे बनाएं खुद को अनुशासित, जानें 7 गुरुमंत्र।

By Edited By: Published: Wed, 19 Nov 2014 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 19 Nov 2014 01:08 PM (IST)
7 मंत्र अनुशासित रहने के

सबसे बडी जीत है खुद पर विजय हासिल करना....। प्लेटो की यह उक्ति कहती है कि खुद पर शासन करना सीख सकें तो किस्मत के बादशाह बन सकते हैं। आत्म-अनुशासन या स्व-नियंत्रण एक संसाधन है, जिसे हम विकास के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह एक स्किल है, जिसे धीरे-धीरे सीखा और विकसित किया जाता है। यह एक्सरसाइज की तरह है। पहले छोटी बातों से शुरू करें, फिर बडे लक्ष्य बनाएं।

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1. इच्छाएं माइनस करें

आत्म-नियंत्रण का पहला मंत्र है- इच्छाएं सीमित करें, लालसा घटाएं। यदि किसी वस्तु को पाने की इच्छा है, मगर मन में हिचक है तो ऐसे लालच या प्रलोभन से बचना ही उचित है। जैसे, जंक फूड को देखकर क्रेविंग रोक नहीं सकते तो उसे घर में न रखें। लालच पैदा करने वाली चीज पहुंच से बाहर हो तो मन पर काबू पाना आसान होगा।

2. योजनाबद्ध रहें

योजनाबद्ध होकर काम करें। अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें। देखें कि इसे किस तरह पूरा कर पा रहे हैं। छात्र टाइमटेबल बनाएं कि शाम तक कितने अध्याय पढऩे हैं। रोज कोई लक्ष्य बनाएं और उसे पूरा करके देखें। खुशी होगी और अपने प्रति अच्छी सोच पनपेगी।

3. समय-प्रबंधन सीखें

लक्ष्य बना कर काम करने से समय-प्रबंधन की कला भी आती है। समय को साधना आ जाए तो सारी मुश्किलें हल हो जाएं। कई बार दो-तीन लक्ष्य एक साथ सामने आ जाते हैं। यहां टाइम मैनेजमेंट का जादू काम आता है। यह सिंपल गणित है। छात्र साल भर पढता है, मगर परीक्षा के चंद रोज जितनी एकाग्रता से पढता है, उतना कभी नहीं करता। यानी हमारे पास समय जितना कम होता है, हम उतना ही उसका सदुपयोग करते हैं।

4. चिंता-तनाव दूर करें

दबाव या तनाव आत्म-अनुशासन को कम करता है। लक्ष्य बना कर काम करने से जीवन के कई पहलुओं पर तनाव को कम किया जा सकता है। दबाव से बचने के लिए योग, ध्यान और ब्रीदिंग एक्सरसाइजेज का सहारा लें। ये तकनीकें न सिर्फ तनाव से उबारेंगी, बल्कि स्वस्थ भी रखेंगी। मन व शरीर स्वस्थ रहेगा तो आत्म-अनुशासन आसान होगा।

5. खुशी के बहाने ढूंढें

खुशी मन के भीतर गडा खजाना है, जिसे अज्ञानतावश हम बाहर खोजते हैं। बडी खुशियों के लिए छोटी-छोटी खुशियों को नजरअंदाज करने से जीवन में उदासीनता पनपती है। दिन भर में कुछ समय ऐसा हो, जिसमें उल्लास भरा हो। बच्चों के साथ खेलें, बुजुर्ग का आशीर्वाद लें, पौधों की सेवा करें, संगीत सुनें-सीखें, नाचें, नई रेसिपीज ट्राई करें, जोक्स सुनाएं...। छोटी-छोटी बातों में खुश होने से जीवन के उतार-चढावों में संतुलित रहने की प्रेरणा भी मिलती है।

6. अच्छा खाएं

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। शोध बताते हैं कि यदि व्यक्ति भूखा है तो एकाग्रता में कमी आती है, क्योंकि मस्तिष्क को काम करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती। बुजुर्ग कहते हैं, घर से निकलने से पहले शरीर को पर्याप्त ईंधन दें, ताकि वह दिन भर काम करने के लायक बने।

7. भुलाएं-माफ करें

जीवन गलतियों, विफलताओं, कमियों और उतार-चढाव का गुणा-भाग है। हिसाब कई बार उलझ जाता है। इसी गणित में उलझे रहे तो आगे नहीं बढ सकेंगे। गलतियों से सीखना, माफ करना और नई शुरुआत करना जरूरी है। अपराध-बोध, गुस्सा, कुंठा जैसी नकारात्मक भावनाओं में डूबे रहे तो पार कैसे उतरेंगे! दुखों की नदी को तैर कर पार करने से ही भविष्य का सुखद किनारा मिलता है।

इंदिरा राठौर


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