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स्मार्ट पैरेंटिंग

मेरी ढाई वर्षीया पोती अपने पेरेंट्स को लेकर बेहद पजेसिव है। अगर कोई व्यक्ति गलती से उसके पेरेंट्स को छू भी लेता है तो वह बुरी तरह रोने-चिल्लाने लगती है। इस क्रम में वह कई बार दूसरों को नाखून से खरोंचने और दांत काटने जैसी हरकतें भी करती है।

By Edited By: Published: Mon, 03 Nov 2014 03:31 PM (IST)Updated: Mon, 03 Nov 2014 03:31 PM (IST)

मेरी ढाई वर्षीया पोती अपने पेरेंट्स को लेकर बेहद पजेसिव है। अगर कोई व्यक्ति गलती से उसके पेरेंट्स को छू भी लेता है तो वह बुरी तरह रोने-चिल्लाने लगती है। इस क्रम में वह कई बार दूसरों को नाखून से खरोंचने और दांत काटने जैसी हरकतें भी करती है। उसकी यह आदत कई बार हमें परेशानी में डाल देती है। इस समस्या का क्या समाधान है?

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रजनी व्यास, जबलपुर

इस उम्र के बच्चों के साथ अकसर ऐसी समस्या होती है क्योंकि वे पेरेंट्स के साथ बहुत ज्यादा अटैच्ड होते हैं। बच्चों को जो भी व्यक्ति ज्यादा प्यार करता है उस पर वे सिर्फ अपना हक जताने की कोशिश करते हैं। कुछ लोग मजाक में ऐसे बच्चे को चिढाना शुरू कर देते हैं। ऐसा बिलकुल न करें। इससे आपकी पोती के व्यवहार में और ज्यादा चिडचिडापन आ जाएगा। आप रोजाना की बातचीत, कहानियों और अपनी फेमिली फोटो के एलबम में लगी तसवीरों के माध्यम से उसे परिवार और रिश्तों के बारे में रोचक ढंग से समझाएं। इससे वह समझने लगेगी कि परिवार में मम्मी-पापा के अलावा और भी कई रिश्ते होते हैं। कुछ ही दिनों में वह प्ले स्कूल जाने लगेगी। इससे नए लोगों के साथ उसका जुडाव होगा और यह समस्या अपने आप दूर हो जाएगी।

मैं अपने 11 वर्षीय बेटे के व्यवहार में नया बदलाव देख रही हूं। वह छोटी-छोटी बातों को लेकर अधीर हो जाता है। किसी भी सार्वजनिक स्थल पर अपनी बारी का इंतजार करते हुए उसे बहुत झुंझलाहट होती है। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

छवि सहाय, पटना

सबसे पहले आप अपने व्यवहार पर ध्यान दें। क्या आप हमेशा जल्दी काम खत्म करने में लगी रहती हैं? जब भी वह आराम से अपना कोई काम कर रहा होता है तो क्या आप उसे डांटने लगती हैं? यदि हां, तो इसका मतलब यही है कि आपकी ऐसी आदतों और घर के माहौल की वजह से ही बच्चे में अधीरता विकसित हुई है। जल्दी काम खत्म करना अच्छी बात है, पर कुछ कार्यो में धैर्य की जरूरत होती है। इसलिए हमेशा उस पर जल्दी काम खत्म करने का दबाव न बनाएं। उसके साथ प्यार से बातचीत करें। सब्र के साथ अपनी बारी का इंतजार कराना सिखाएं और इस दौरान जब भी उसे गुस्सा आ रहा हो तो उसे 10 बार गहरी सांस लेने को कहें। इससे उसमें धैर्य और संयम का विकास होगा। यदि इन कोशिशों से भी उसकी इस आदत में कोई सुधार न आए तो किसी चाइल्ड काउंसलर से संपर्क करें। यह एडीएचडी अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर की समस्या हो सकती है। इस समस्या से ग्रस्त बच्चे अपने विचारों और व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाते। चिंतित न हों। नियमित काउंसलिंग से यह समस्या दूर हो जाती है।

जब भी मेरे घर में कोई मेहमान आता है तो मेरी 4 वर्षीया बेटी दूसरे कमरे में छिप जाती है। वैसे तो वह काफी बातूनी है, पर अजनबियों के सामने वह बेहद धीमे स्वर में बोलती है। उसका शर्मीलापन कैसे दूर होगा?

भारती बजाज, कोटा

आपकी बेटी अभी बहुत छोटी है और इस उम्र में ऐसा व्यवहार स्वाभाविक है। वैसे, आजकल एकल परिवारों के बच्चों में ऐसी समस्या देखने को मिलती है क्योंकि उनकी दुनिया केवल माता-पिता तक ही सीमित रहती है। अपनी बेटी को नए लोगों से मिलने-जुलने का अधिक से अधिक अवसर दें। रोजाना शाम को उसे अपने साथ पार्क, मंदिर और मार्केट ले जाएं। वहां का चहल-पहल भरा माहौल देखकर उसके मन में नई चीजों को लेकर उत्सुकता पैदा होगी। वह आप से लोगों के बारे में सवाल पूछेगी और इस तरह वह दूसरों से बातचीत करने को प्रेरित होगी। आप खुद भी परिचितों- रिश्तेदारों से मिलने-जुलने का सिलसिला जारी रखें और उसे भी साथ ले जाएं। इससे जल्द ही उसकी झिझक दूर हो जाएगी।

मेरी बेटी दसवीं कक्षा में पढती है। मेरे मना करने के बावजूद उसके पापा ने उसे बर्थडे पर मोबाइल गिफ्ट किया है। अब वह पढने के बजाय अपना सारा वक्त फोन के साथ बिताती है। इससे उसकी पढाई का बहुत नुकसान हो रहा है। मैं उसे कैसे अनुशासित करूं?

रचना खरे, लखनऊ

आपने खुद ही मुसीबत को बुलावा दिया है तो थोडी परेशानी आपको भी झेलनी ही पडेगी। अब आप दोनों मिलकर अपने घर में अनुशासन का स्पष्ट नियम बनाएं कि पढाई के समय और रात के वक्त वह स्विच ऑफ करके मोबाइल आपको सुपुर्द कर दे। यदि वह आपकी बातों पर अमल करे तो ठीक है, वर्ना उससे मोबाइल वापस लेने की बात कहें। टीनएजर्स के साथ ज्यादा सख्ती बरतना ठीक नहीं, बातचीत से ही इस समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करें।

कुछ दिनों से मेरे 7 वर्षीय बेटे का व्यवहार बेहद आक्रामक हो गया है। वह छोटी-छोटी बातों के लिए अपने दोस्तों के साथ मारपीट करने लगता है। इस मामले में स्कूल से भी उसकी शिकायत आ चुकी है। मैं उसे सही रास्ते पर कैसे लाऊं?

निधि मिश्रा, वाराणसी

पहले आप यह मालूम करने की कोशिश करें कि आपके बच्चे के व्यवहार में यह परिवर्तन क्यों आ रहा है? उसकी टीचर्स और काउंसलर से मिलें। घर में उसके अच्छे व्यवहार की प्रशंसा करें। उसके साथ बातचीत के लिए समय निकालें। साथ ही उसे गुस्से पर नियंत्रण रखना सिखाएं। अगर कोई दूसरा बच्चा उसे परेशान करे तो उसे टीचर से शिकायत करने या उस बच्चे से दूर रहने जैसे परिपक्व विकल्प सुझाएं। आपके इन प्रयासों से बच्चे के व्यवहार में निश्चित रूप से सुधार आएगा।

बचाव मोबाइल एडिक्शन से

-बच्चे सही-गलत की पहचान नहीं कर पाते और मोबाइल के जरिये वे हर तरह के लोगों के संपर्क में आ जाते हैं। इसलिए जब तक संभव हो अपने बच्चे को अलग मोबाइल न दिलवाएं।

-अगर उसके पास मोबाइल हो तो रात नौ बजे के बाद उसके फोन का स्विच ऑफ करवा दें।

- बच्चे को मोबाइल में पासवर्ड डालने की इजाजत न दें और समय-समय पर उसका फोन चेक करती रहें। उसकी सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करना बेहद जरूरी है।

रीमा सहगल

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट


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