सखी इनबॉक्स
पहले मुझमें जरा भी आत्मविश्वास नहीं था। हर कार्य की शुरुआत से पहले डर लगता था कि कहीं मुझसे कोई गलती न हो जाए। ऐसे में मेरी भाभी ने मुझे सखी पढ़ने की सलाह दी। अब तो यह पत्रिका मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है।
पहले मुझमें जरा भी आत्मविश्वास नहीं था। हर कार्य की शुरुआत से पहले डर लगता था कि कहीं मुझसे कोई गलती न हो जाए। ऐसे में मेरी भाभी ने मुझे सखी पढने की सलाह दी। अब तो यह पत्रिका मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है। सकारात्मक दृष्टिकोण से परिपूर्ण रचनाओं ने हमेशा मेरा मनोबल बढाया। इतना ही नहीं जायका की वजह से मैं कुकिंग में माहिर हो गई। फैशन और सौंदर्य पर आधारित रचनाओं के माध्यम से मुझे अपना व्यक्तित्व निखारने में मदद मिली। आज जब लोग मेरी प्रशंसा करते हैं तो मैं इसका श्रेय सखी को देती हूं।
कुसुमलता, दिल्ली
आकर्षक कवर से सुसज्जित सखी का अक्टूबर अंक देखकर दिल खुश हो गया। इसमें त्योहार की तैयारियों के बारे में बहुत रोचक और उपयोगी जानकारियां दी गई थीं। लेख ऑनलाइन वर्सेस ऑफलाइन शॉपिंग से खरीदारी के दोनों तरीकों के फायदे-नुकसान के बारे में मालूम हुआ। इसके अलावा लेख दीवाली पर दिखें खास में मेकअप से जुडी बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं।
सुरभि सिंह, पटना
सखी के अक्टूबर अंक में प्रकाशित सभी रचनाएं लाजवाब थीं। लेख 21 टिप्स समझदारी भरी शापिंग के में दी गई जानकारियां बेहद उपयोगी साबित हुई। इस पत्रिका की यही बात मुझे बहुत पसंद आती है कि इसमें परंपराओं के साथ आधुनिकता का बहुत सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। इस पत्रिका में नारी-जीवन से संबंधित सभी समस्याओं के सरल समाधान मौजूद हैं। इसमें जीवन के विविध रंगों की इंद्रधनुषी छटा नजर आती है। मेरी शुभकामनाएं हैं कि सखी हमेशा सफलता के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान रहे।
गायत्री दरबारी, कानपुर
मैं एक कॉलेज में प्रवक्ता हूं। तमाम व्यस्ताओं के बीच समय निकालकर सखी पढना नहीं भूलती। पत्रिका का हर अंक मेरे व्यक्तित्व को आकर्षक और प्रभावशाली बनाने का गुर बखूबी सिखाता है। अक्टूबर अंक में प्रकाशित लेख 21 टिप्स समझदारी भरी खरीदारी के मेरे लिए बहुत मददगार साबित हुआ। उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह मेरा मार्गदर्शन करते हुए यह पत्रिका मुझे सफल गृहिणी तथा सुयोग्य शिक्षिका बनाने में सहायक होगी
माया रानी श्रीवास्तव, मिर्जापुर
सखी मेरी प्रिय पत्रिका है। अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों को भी मैं सखी पढने की सलाह देती हूं। इसमें प्रकाशित होने वाली सौंदर्य, सेहत और खानपान संबंधित रचनाएं मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित होती हैं। अब तो यह हमारी सच्ची दोस्त बन चुकी है।
अर्पिता शर्मा, भोपाल
सखी के सितंबर अंक में प्रकाशित कहानी मां मेरे दिल को छू गई। यह सच है कि हमारे जीवन में मां की जगह कोई नहीं ले सकता। उसके आंचल की ममता भरी छांव में हम खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। मैं घर से दूर रहकर पढाई कर रही हूं। केवल लंबी छुट्टियों में ही घर जाना होता है। इसलिए मां को बहुत मिस करती हूं। इस कहानी को पढने के बाद मुझे उनके अकेलेपन का एहसास हुआ। इतनी मर्मस्पर्शी कहानी प्रकाशित करने के लिए सखी को धन्यवाद। मन से जुडे मुहावरे मेरा प्रिय स्तंभ है। सितंबर अंक में प्रकाशित खिचडी की रेसिपीज भी लाजवाब थीं।
प्रियंका सिंह, पुरुलिया (प.बंगाल)
सखी के सितंबर अंक में प्रकाशित लेख हर उम्र में आंखों से छलके खूबसूरती में आई मेकअप से जुडी बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। अब तो बढती उम्र में भी आंखों की खूबसूरती बरकरार रहेगी। लेख हंसाने का हुनर पढकर कॉमेडी के क्षेत्र में करियर की संभावनाओं के बारे में जानने का अवसर मिला। शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रकाशित मशहूर हस्तियों के अनुभव बेहद रोचक थे। आस्था के अंतर्गत देवी के नौ रूपों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी।
वीना साधवानी, अकोला (महा.)
प्रिय सखी,
तुम्हें पाकर सच्चे दोस्त की कमी पूरी हो गई। तुमने मेरी भावनाओं को समझकर मेरी अनगिनत उलझनों को सुलझाया। सौंदर्य, सेहत, फिटनेस, फैशन, इंटीरियर, खानपान, करियर तथा अध्यात्म पर केंद्रितआलेख देकर तुम हमारी प्रेरणास्रोत बन गई। तुम्हीं से मैंने सफलता के रास्ते पर चलना और जीने की कला सीखी है। तुम जैसी सखी पाकर मैं धन्य हो गई और यही चाहूंगी कि हमारा साथ हमेशा यूं ही बना रहे। मेरी यही अभिलाषा है कि तुम हमेशा इसी तरह हमारा मार्गदर्शन करती रहो। थैंक्यू सखी।
स्वाति विक्की, बक्सर (बिहार)
वर्षो पहले मेरी मां ने सखी से मेरा परिचय करवाया था। शादी के बाद मुझे परफेक्ट होममेकर बनाने में इस पत्रिका का बहुत बडा योगदान रहा है। आज ससुराल के संयुक्त परिवार में जब लोग सर्वश्रेष्ठ बहू के रूप में मेरी प्रशंसा करते हैं तो मुझे बेहद खुशी होती है। इसका साथ पाकर अब मैं घर-परिवार और करियर की सभी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही हूं। इसके लिए मैं तहेदिल से शुक्रगुजार हूं।
डॉ. दीपाली गुलाटी, भिलाई
मैं पिछले छह-सात वर्षो से सखी पढती आ रही हूं और हमेशा पढती रहूंगी। इसकी प्रेरक रचनाओं का मेरा आत्मविश्वास बढाने में बहुत बडा योगदान है। हेल्थ वॉच कॉलम मुझे विशेष रूप से प्रिय है। इसके माध्यम से मुझे चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र आने वाले नए बदलावों के बारे में जानकारी मिलती है। आशा है कि भविष्य में भी यह पत्रिका इसी तरह हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।
बबीता मानिकपुरी, कोरबा (छग.)
मैं सरकारी विद्यालय में अध्यापिका हूं। अपनी छात्राओं के साथ मेरा बेहद आत्मीय रिश्ता है। मेरे विद्यालय की एक पूर्व छात्रा एक रोज मुझसे मिलने मेरे घर आई। बातों ही बातों में जानकारी हुई कि उसकी ससुराल के लोग अच्छे हैं, पर वह वहां के नए माहौल में एडजस्ट नहीं कर पा रही। यह सुनकर मैंने उसके हाथों में सखी पत्रिका थमा दी और उसे समझाया कि इसमें तुम अपनी हर समस्या का समाधान ढूंढ सकती हो। कुछ दिनों बाद अचानक उस लडकी का फोन आया और उसने मुझे बताया कि अब वह ससुराल में सबकी चहेती बहू और सखी की नियमित पाठिका बन गई है।
अनीता तिवारी, पीलीभीत (उप्र.)
मैं सखी की नियमित पाठिका हूं। पत्रिका के सितंबर अंक में प्रकाशित लेख शाकाहार से बनाएं सेहत ने मुझे विशेष रूप से प्रभावित किया। इसे पढने के बाद मैं अपने परिवार की सेहत के प्रति सजग हो गई हूं। इसमें प्रकाशित होने वाली रचनाएं हमारे पूरे परिवार के लिए उपयोगी साबित होती हैं। इस पत्रिका का हर अंक संपूर्ण होता है। ऐसी स्तरीय रचनाओं की वजह से ही सखी की अपनी अलग पहचान है।
आइशा आजमी, नालंदा
प्रिय आइशा,
अपनी पाठिकाओं की सच्ची दोस्त बनकर जीवन के हर मोड पर उनका मार्गदर्शन करना ही हमारा लक्ष्य है। हम चाहते हैं कि सखी की हर पाठिका कामयाबी के रास्ते पर निरंतर आगे बढे।
-संपादक
मानव जीवन में ऐसा सच्चा मीत मिलना सौभाग्य की बात होती है, जो जीवन की जटिल समस्याओं के सरल समाधान प्रस्तुत करता है। ऐसा दोस्त ईश्वर की ओर से मिलने वाला अनुपम उपहार होता है। सखी हम पाठकों के लिए ऐसी ही शुभचिंतक है। पत्रिका के सितंबर अंक में साहित्य, संगीत व संस्कृति का जो अनूठा संगम प्रस्तुत किया गया, उस त्रिवेणी की आनंददायी धाराओं ने मेरा मन शीतल कर दिया। सखी केवल पत्रिका ही नहीं, बल्कि पाठकों की सच्ची दोस्त भी है।
भारत भूषण पुरोहित, रतलाम (मप्र.)
प्रिय भारत भूषण जी,
सखी केवल स्त्रियों ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार की पत्रिका है। इसीलिए इसकी रचनाओं का चयन करते समय हम परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतों और रुचियों का पूरा ध्यान रखते हैं।
-संपादक