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ये प्यार है या कुछ और...

फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटन्र्सÓ में यह डायलॉग काफी हिट हुआ था, 'शर्मा जी हम ज़्ारा से बेवफा क्या हुए, आप तो बदचलन हो गए...।Ó इस फिल्म ने विवाहेतर रिश्तों के लिए ज़्िाम्मेदार कई स्थितियों की ओर संकेत किया। क्या शादी की संस्था में कहीं कोई कमी है,

By Edited By: Published: Tue, 02 Feb 2016 04:26 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2016 04:26 PM (IST)
ये प्यार है या कुछ और...

कुछ समय पहले एक ऑनलाइन डेटिंग साइट के आंकडे लीक हुए तो दुनिया भर में कई परिवारों की नींद उड गई। एकाएक शादी जैसी संस्था सवालों के घेरे में खडी हो गई। बेवफाई की लंबी लिस्ट रिश्तों को तार-तार करे, इससे पहले इसकी वजहों को तलाशना भी ज्ारूरी है।

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फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटन्र्स में यह डायलॉग काफी हिट हुआ था, 'शर्मा जी हम ज्ारा से बेवफा क्या हुए, आप तो बदचलन हो गए...। इस फिल्म ने विवाहेतर रिश्तों के लिए ज्िाम्मेदार कई स्थितियों की ओर संकेत किया। क्या शादी की संस्था में कहीं कोई कमी है, जिसे पूरा करने की कोशिशें विवाहेतर रिश्तों के ज्ारिये हो रही हैं? ये प्यार है या कुछ और है? इस बेवफाई के पीछे कहानी कुछ और तो नहीं है? क्या ऐसे रिश्तों के पीछे बोरियत, फ्रस्ट्रेशन, बेचैनी या फिर सब कुछ हासिल कर लेने के बाद उपजा ख्ाालीपन है? किसी नतीजे पर पहुंचें, इससे पहले स्थितियों और कारणों की पडताल ज्ारूरी है।

स्त्रियों की बदलती चाहत

पिछले वर्ष एक ग्लोबल ऑनलाइन डेटिंग साइट एशले मेडिसन के लीक आंकडों ने शादी की मज्ाबूत समझी जाने वाली बुनावट को उधेड कर रख दिया। साइट के मुताबिक लगभग 80 हज्ाार भारतीय स्त्रियां विवाहेतर संबंधों में हैं। यह साइट हैक हुई तो इसके आंकडे सार्वजनिक हो गए। कई जानी-मानी हस्तियों सहित तमाम आम कपल्स भी इसकी चपेट में आ गए। ग्ाौरतलब है कि इस साइट के पौने चार करोड से अधिक कंज्य़ूमर्स में लगभग पौने तीन लाख लोग भारतीय हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन पिछले डेढ वर्षों में ही किया गया है। भारत में बढती लोकप्रियता को देखते हुए साइट ने हिंदी वज्र्ान लाने की तैयारी भी कर रखी है। साइट पर 30 फीसद स्त्रियां एक्टिव हैं। मज्ोदार बात यह है कि इसके कंज्य़ूमर्स साइट से अपना नाम बाहर करना चाहें तो उन्हें अपना अकाउंट डिलीट करने के लिए कुछ डॉलर्स चुकाने होते हैं, इसके बाद भी नाम पूरी तरह डिलीट हो जाएगा, इसमें संदेह है। यानी एक बार इस चंगुल में फंस गए तो निकलना मुश्किल ही है। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ थोडी देर के मज्ो के लिए किया गया काम है? क्या शादी के मौज्ाूदा सेटअप में लोग नाख्ाुश हैं? क्या रिश्तों में रोमैंस, ख्ाुशी या आनंद के पल ग्ाायब होने लगे हैं और शादी बोरिंग हो चुकी है? बरसों से ढकी-दबी स्त्रियों की दुनिया में यह कैसी क्रांति आ रही है कि वे ऐसी साइट्स का सहारा लेने लगी हैं? क्या ऐसा वे 'बराबरी पर आने के लिए कर रही हैं या फिर कुछ कमियां हैं विवाह संस्था में?

बढ रहे हैं विवाहेतर संबंध

दिल्ली में कार्यरत मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद बताती हैं कि उनके पास विवाहेतर संबंधों के कई मामले आते हैं। कई बार लोग ख्ाुद अपनी समस्याएं लेकर आते हैं तो कुछ मामलों में उनके पार्टनर्स आते हैं। कई मामलों में तो माता-पिता भी बच्चों के लिए सलाह लेने आते हैं। यह सच है कि ऐसे मामले दिन-प्रतिदिन बढ रहे हैं। सही काउंसलिंग से 60 प्रतिशत केसेज्ा सुलझ जाते हैं, लेकिन यहां यह भी ज्ारूरी है कि सुलझाने की इच्छा दंपती में भी तीव्र होनी चाहिए। समस्या चाहे पति में हो या पत्नी में, ज्य़ादातर मामले धैर्य, समय और काउंसलिंग से सुलझ सकते हैं। मुश्किल यह है कि जो लोग ऐसे संबंधों में होते हैं, वे कई बार अपनी फीलिंग्स या इमोशंस को समझ नहीं पाते। वे पहले अपनी ग्ालती मानने को तैयार नहीं होते, मान भी लें तो समस्याएं खुल कर सामने नहीं रख पाते। कई बार उन्हें पता भी नहीं चल पाता कि वे प्रॉब्लम्स से घिरे हैं। कुछ सिटिंग्स के बाद वे समस्या को पहचानना शुरू करते हैं। ऐसे मामलों को सुलझाने में छह महीने से एक साल तक का समय लग जाता है।

नाख्ाुश-असंतुष्ट लोग

सर्वे बताते हैं कि हर दस में से आठ कपल्स को एक-दूसरे से शिकायतें हैं। इनमें से पांच ऐसे हैं जो अकसर झगडते हैं और तीन ऐसे हैं जो एक-दूसरे के साथ ख्ाुश नहीं हैं और अलगाव जैसी मानसिकता में हैं। एक सर्वे में लगभग 25 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे अपने पार्टनर से इतर किसी अन्य से रिश्ते में हैं। पति-पत्नी के बीच यह 'तीसरा कॉमन फ्रेेंड, कलीग, पडोसी या रिश्तेदार हो सकता है, यानी अपने दायरे का कोई परिचित ही पति-पत्नी के बीच 'वो की भूमिका निभाता है। हालांकि कई मामलों में लोग स्ट्रेंजर्स से भी रिश्ते बना लेते हैं, मगर यह वन नाइट स्टैंड जैसी स्थिति होती है। सर्वे में दिलचस्प बात यह सामने आई कि ख्ाुशहाल दिखने वाले दंपती भी इस श्रेणी में आ सकतेे हैं।

पश्चिमी देशों के मनोवैज्ञानिक दायरे में ऐसा माना जा रहा है कि ज्य़ादातर लोग अपनी ज्िांदगी में नाख्ाुश एवं असंतुष्ट हैं। ज्ााहिर है, इनके रिश्ते भी इसी श्रेणी में आते हैं। लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और संस्कारी देश भारत में भी विवाहेतर संबंधों के कारण तलाक के मामले हाल के वर्षों में बढे हैं। अकेलेपन और अवसाद के मामलों में भी पिछले कुछ वर्षों में इज्ााफा हुआ है।

लव का विकल्प लस्ट नहीं

एक्सपट्र्स मानते हैं कि 'प्यार में होना जैसा टर्म भ्रमित करने वाला है। जब लोग प्रेम करते हैं तो उन्हें सिवा प्रेमी के कुछ और नज्ार नहीं आता, ठीक वैसे ही जैसे शादी के कुछ समय बाद तक पूरी दुनिया सिर्फ पति या पत्नी के इर्द-गिर्द सिमट जाती है। हनीमून और इसके भी कुछ महीनों बाद तक प्रेम का यह ख्ाुमार बना रहता है। कुछ महीने बीतने के बाद दुनियादारी समझ आने लगती है और तब एक-दूसरे की कमियां खलनी शुरू हो जाती हैं। प्रेम और शादी के शुरुआती दौर में व्यक्ति का मन प्रेमी या पार्टनर के ख्ायालों से भरा रहता है। आमतौर पर लोग भ्रम पाल लेते हैं कि उन्हें उनका सच्चा प्यार मिल गया है। दरअसल यह प्यार नहीं, शारीरिक आकर्षण या लस्ट होता है। यह बेहद पावरफुल फीलिंग है। जब किसी के प्रति यह भावना पैदा होती है तो ऐसा लगता है कि वही हमारे लिए परफेक्ट मैच होगा, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं। इसके विपरीत प्रेम लॉन्ग टर्म फीलिंग है। यह रातों-रात नहीं, समय के साथ पनपती है। हो सकता है, इसकी शुरुआत दोस्ती से हो। प्रेम में व्यक्ति पहले दूसरे की ख्ाुशी और संतुष्टि देखता है, जबकि लस्ट में वह सिर्फ अपनी ख्ाुशी देख पाता है।

जैसे ही लस्ट वाला पीरियड ख्ात्म होता है, प्रेमी जोडों को यथार्थ नज्ार आने लगता है। वे सोचते हैं कि रिश्तों का स्पार्क ख्ात्म हो रहा है। कई बार तो समझदार और मच्योर लोग भी लस्ट को लव समझने की भूल कर बैठते हैं। प्रेम में थोडा लस्ट भी हो तो रिश्ते लंबी दूरी तय कर सकते हैं। मुश्किल यह है कि लस्ट में प्रेम की कल्पना तो होती है, मगर वास्तव में शारीरिक आकर्षण ज्य़ादा होता है, यानी इसमें गहराई कम होती है।

वजहें कुछ और भी हैं

फरीदाबाद स्थित एशियन हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ. मिनाक्षी मनचंदा कहती हैं, बदलती जीवनशैली के कारण भी विवाहेतर संबंध बढ रहे हैं। लोगों का एक्सपोज्ार बढा है। इसके अलावा फोन, इंटरनेट, सोशल साइट्स के ज्ारिये वे लगातार दुनिया के संपर्क में हैं। जैसे ही शादी में स्पार्क कम होने लगता है, लोग बाहर एक्साइटमेंट खोजने लगते हैं। ज्य़ादातर कपल्स नौकरीपेशा हैं, एक-दूसरे को समय

नहीं दे पाते। ऐसे दंपतियों में भी दूरी बढ जाती है। पारिवारिक दबाव में आकर शादी करने वाले भी कई बार नाख्ाुश रहते हैं और मौका मिलते ही वे विवाहेतर संबंधों की ओर बढऩे लगते हैं। कई बार ज्य़ादा पैसा भी ऐसे संबंधों के लिए उकसाता है। कारण कोई भी हो, ऐसे संबंधों में सबसे ज्य़ादा प्रभावित बच्चे होते हैं।

जानें और क्या-क्या वजहें हो सकती हैं रिश्तों में नाख्ाुश होने की-

1. कई बार कम उम्र में शादी करने वाले लोग एक समय के बाद शादी के प्रति असंतुष्टि जताने लगते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें उनका मिस्टर/मिस राइट नहीं मिला है।

2. सेक्सुअल असंतुष्टि भी इसकी वजह है।

3. शादी दबाव में की गई हो या बेमेल हो तो भी लोग विवाहेतर संबंध बना लेते हैं।

4. जीवन के उतार-चढावों में घबरा जाने वाले लोग भी पलायन का रास्ता ढूंढते हैं।

5. भावनात्मक जुडाव न होने, प्रेग्नेंसी या प्रसव, मूल्यों में विरोधाभास, प्राथमिकताओं में अंतर, अलग विचारों व रुचियों, करियर में अलग सोच और ज्य़ादा अपेक्षाओं के कारण भी दंपती एक-दूसरे से कटते हैं।

यह सच है कि बिना प्यार और कमिटमेंट के कोई भी रिश्ता न तो आगे बढ सकता है और न टिक सकता है। वह घर ही है, जहां कोई व्यक्ति दिन भर की थकान के बाद लौटना चाहता है। थ्रिल या एक्साइटमेंट से कुछ देर मन को ख्ाुश किया जा सकता है, लेकिन अंत में व्यक्ति स्थायित्व की ओर ही बढता है। िफलहाल ऐसा कोई विकल्प नहीं दिखता, जो शादी को चुनौती दे सके। कुछ स्पाइसी हो जाए

एक्सपट्र्स मानते हैं कि मॉडर्न शादियां बहुत जल्दी स्पार्क खोने लगी हैं और उनमें रोमांच कम होने लगा है। यही वजह है कि एक्साइटमेंट, रोमांच या मज्ो के लिए भी लोग विवाहेतर संबंधों में जा रहे हैं। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि समाज में खुलापन बढा है और अब लोग अपनी सेक्सुअलिटी को खुलकर स्वीकार कर रहे हैं। लोगों का एक्सपोज्ार भी बढा है, सब बाहर काम कर रहे हैं, जिस कारण विकल्प बढ रहे हैं। जैसे ही शादी एक जगह स्थिर हो जाती है या ठहर जाती है, कपल्स किसी रोमांच की तलाश करने लगते हैं। ऐसे में कोई दिलचस्प व्यक्ति नज्ार आता है तो वे उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। ऐसे रिश्तों में रहने वाले कुछ लोग रिग्रेट करते हैं तो कुछ रिग्रेट भी नहीं करते। कुछ लोग दोनों रिश्तों को संभाले रहते हैं तो कुछ केवल सेक्स के लिए ऐसे संबंध बनाते हैं। कई बार तो लोग अपनी शादी में स्पार्क जगाने के लिए भी किसी नए संबंध में चले जाते हैं।

इंदिरा राठौर


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