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सखी की उलझन

मैं 27 वर्षीया विवाहिता और एक बच्चे की मां हूं। एक महीने पहले मेरी बेटी का जन्म हुआ था। उसकी सांस की नली में कोई ऐसी रुकावट थी कि बहुत कोशिश करने के बावज़ूद डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए। उसके बाद से मेरा मन बहुत ज्य़ादा उदास रहने लगा है।

By Edited By: Published: Fri, 25 Sep 2015 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2015 03:29 PM (IST)
सखी की उलझन

मैं 27 वर्षीया विवाहिता और एक बच्चे की मां हूं। एक महीने पहले मेरी बेटी का जन्म हुआ था। उसकी सांस की नली में कोई ऐसी रुकावट थी कि बहुत कोशिश करने के बावजूद डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए। उसके बाद से मेरा मन बहुत ज्य़ादा उदास रहने लगा है। मुझे डर है कि कहीं मैं डिप्रेशन की मरीज न बन जाऊं। इस मनोदशा से कैसे बाहर निकलूं?

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एस. एस., लखनऊ

वाकई यह बेहद दुखद है, पर सुख की तरह दुख भी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। इसलिए आपको धैर्य से काम लेना चाहिए। जो चला गया, अब वह लौट कर नहीं आ सकता। इस सच्चाई को स्वीकारने की कोशिश करें। यह न भूलें कि जो बच्चा अभी आपके साथ है, उसे अच्छी परवरिश देना आपकी पहली प्राथमिकता है। अपने पति और बच्चे के लिए इस दुख को भूलने की कोशिश करें क्योंकि आपकी ऐसी मनोदशा का उनके जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पडेगा। मन शांत रखते हुए अपने पहले बच्चे की परवरिश पर पूरा ध्यान दें। जब आपकी जिंदगी सामान्य ढर्रे पर लौटने लगे तो आप दूसरे बच्चे की भी प्लानिंग कर सकती हैं।

मैं 28 वर्षीय विवाहिता हंू। मेरी शादी को अभी छह महीने ही हुए हैं। मेरे ससुर जी कपडों का बिजनेस करते हैं। मेरे पति और देवर भी उन्हीं के साथ मिलकर कारोबार संभालते हैं। यहां घर का माहौल बेहद उदासीन है। लोगों की बातों से मुझे ऐसा लगता है कि इन्हें बिजनेस में काफी नुकसान हो गया है। जब भी मैं अपने पति से इस बारे में कुछ जानने की कोशिश करती हंू तो वह टाल जाते हैं। मुझे बहुत घबराहट हो रही है। समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं?

एम.ए., धनबाद

आप चिंतित न हों। अभी आपकी शादी को मात्र छह महीने ही हुए हैं और आपके ऊपर बहुत बडी जिम्मेदारी है। घर का माहौल सिर्फ आप ही बदल सकती हैं। इसके लिए आपको धैर्य और समझदारी का परिचय देना होगा। अपने प्रेमपूर्ण व्यवहार से परिवार के सभी सदस्यों का दिल जीतने की कोशिश करें। पति या परिवार के किसी भी सदस्य से घर के माहौल के बारे में कोई सवाल न पूछें। हां, जहां तक संभव हो आप उनकी मदद जरूर करें। त्योहार या परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन जैसे अवसरों को ख्ाुशनुमा बनाने के लिए अपनी ओर से पूरी तैयारी करें। जब आप अपनत्व भरे व्यवहार से परिवार के सभी सदस्यों का दिल जीतने में कामयाब हो जाएंगी तो वे आपको ख्ाुद ही सारी बातें बताएंगे। अगर आप सच्चे दिल से कोशिश करेंगी तो अपने परिवार को इस संकट से उबारने में निश्चित रूप से कामयाब होंगी।

मैं 32 वर्षीया होममेकर और दो बच्चों की मां हूं। मेरी समस्या यह है कि मैं अपने घर को साफ, सुंदर और व्यवस्थित रखना चाहती हंू, पर मेरे पति बेहद लापरवाह िकस्म के व्यक्ति हैं। हमारे घर में अकसर ऐसे रिश्तेदार आते हैं, जो हफ्तों तक हमारे पास ही रुकते हैं, लेकिन घरेलू कार्यों में मेरे पति जरा भी सहयोग नहीं देते। उन्हें देखकर बच्चों की भी आदत ख्ाराब हो रही है। इससे हमारे बीच अकसर विवाद हो जाता है। मैं क्या करूं ?

एन.जे., दिल्ली

आपके होम मैनेजमेंट में कई ख्ाामियां हैं। सबसे पहले आप अपनी दिनचर्या को नए सिर से सुधार कर यह देखें कि कौन से ऐसे कार्य हैं, जिन्हें आपके पति और बच्चे आसानी से पूरा कर सकते हैं। ऐसे सभी कार्यों की जिम्मेदारी आप उन्हें सौंप दें। अगर आपके पति बाजार से कोई सामान ख्ारीद कर लाते हैं तो उनसे आग्रह करें कि वह उसी वक्त उन चीजों को सही जगह पर रख दें। घर पर रुकने वाले मेहमानों के साथ अपनत्व भरा व्यवहार रखें, लेकिन उनसे घरेलू कार्यों में बेझिझक सहयोग भी लें। जब भी किसी मेहमान के आने की सूचना मिले तो उसके स्वागत की तैयारियों में पति को भी शामिल करें। मेहमान के आने पर अपनी दिनचर्या में कोई विशेष बदलाव न लाएं। ऐसे तरीके अपना कर आप हमेशा तनावमुक्त रहेंगी।

मैं 24 वर्षीया कामकाजी अविवाहिता हंू। अपने पडोस में रहने वाले एक लडके से मेरा अफेयर था। पहले उसी ने मेरे सामने प्यार का इजहार किया था, लेकिन जब शादी की बात आई तो साफ मुकर गया। उसका कहना था कि वह अपने माता-पिता की मजर्ी के खिलाफ जाकर शादी नहीं कर सकता। उसकी इस बात से मुझे गहरा सदमा लगा। इस घटना को दो साल हो चुके हैं। आजकल मेरे माता-पिता मुझ पर शादी के लिए दबाव डाल रहे हैं, पर मुझे लडकों से इतनी नफरत हो गई है कि मैं शादी ही नहीं करना चाहती, पर मेरे पेरेंट्स इस बात को लेकर मुझसे नाराज रहते हैं। उन्हें कैसे समझाऊं ?

पी.जे., दिल्ली

कोई भी रिश्ता जिंदगी से बडा नहीं होता। यह भी जरूरी नहीं है कि हर प्रेम संबंध का अंजाम शादी ही हो। प्यार में किसी को जबरन अपने साथ बांध कर नहीं रखा जा सकता। यह तो अच्छा हुआ कि शादी से पहले ही उस लडके ने आपको सच्चाई बता दी। जरा सोचिए, अगर ऐसे व्यक्ति से आपकी शादी हो जाती क्या आप सुखी रह पातीं? अभी आपकी उम्र ही क्या है? मात्र 24 साल की उम्र में आपको ऐसी निराशाजनक बातें नहीं सोचनी चाहिए। एक ब्रेकअप से जिंदगी ख्ात्म नहीं हो जाती। सब कुछ भुला कर जीवन को सकारात्मक नजरिये से देखना सीखें। आपके पेरेंट्स से मैं भी पूरी तरह सहमत हूं। आपको दोबारा जिंदगी की शुरुआत करनी चाहिए। हो सकता है अगले मोड पर ख्ाुशियां आपका इंतजार कर रही हों।

नवंबर 2015 के लिए

मैं 28 वर्षीया विवाहिता हंू। मेरी शादी को सात साल हो चुके हैं और मैं दो बेटियों की मां हंू। बेटा न होने की वजह से मेरी सास मुझसे बहुत नाराज रहती क्योंकि मेरे पति भी 4 बहनों के इकलौते भाई हैं। मेरी सास को इस बात की चिंता है कि अगर उनका पोता नहीं हुआ तो उनका वंश आगे कैसे बढेगा। वह चाहती हैं कि बेटे की उम्मीद में मैं एक और संतान को जन्म दूं, पर डॉक्टर्स का कहना है कि मेरी सेहत अब इस लायक नहीं है कि मैं तीसरे बच्चे को जन्म दे सकूं, पर पति और सास दोनों को बेटे की चाहत इतनी ज्यादा है कि इसके आगे उन्हें मेरी सेहत की भी परवाह नहीं है। मेरे साथ उनका बर्ताव तो ठीक है, पर परिवार में बेटा न होने की बात से बेहद दुखी रहते हैं। मैं उन्हें कैसे समझाऊं?

एस. एस., प्रतापगढ

आप अपना दिल मजबूत करके दोनों बच्चियों को अच्छी परवरिश दें। जब कभी आपकी सास अच्छे मूड में हों तो उन्हें प्यार से समझाएं कि यह जरूरी नहीं है कि तीसरी संतान भी लडका ही हो। वैसे भी, आज के जमाने में लडके और लडकी के बीच भेदभाव ख्ात्म हो चुका है। चाहे बेटा हो या बेटी, बच्चों की परवरिश जरूरी है। ऐसा नहीं है कि केवल बेटों से ही वंश चलता है। आजकल लडकियां भी पढ-लिखकर करियर के क्षेत्र में कामयाबी ऊंचाइयों को छू रही हैं। जाहिर है शादी के बाद ऐसी बेटियों के बुद्धिमान बच्चे भी अपने अपने माता-पिता का नाम रोशन करते हैं। इसलिए यह सोचना गलत है कि केवल लडकों से ही परिवार का वंश चलता है। जब आप अपने पति को प्यार से समझाएंगी तो वह आप पर तीसरे बच्चे के लिए दबाव नहीं डालेंगे।

मैं 52 वर्षीया होममेकर हंू। मेरा बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। पिछले एक साल से वह लिव इन में है। मैंने उसे बहुत समझाया कि अगर तुम्हें वह लडकी पसंद है तो तुम उसी से शादी कर लो, पर उसका कहना है हम दोनों अभी शादी की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। मेरे बेटे की उम्र 28 वर्ष हो चुकी है और वह लडकी भी लगभग इसी उम्र की है। मुझे अपने बेटे के भविष्य की बहुत चिंता हो रही है। उसे कैसे समझाऊं कि देर से शादी करना उसके लिए कितनी मुश्किलें पैदा कर सकता है।

आर. पी., लखनऊ

एक बार उन दोनों के साथ बैठकर इस मुद्दे पर बातचीत करें। ख्ाासतौर पर अपने बेटे की पार्टनर के सामने अपनी यह आशंका जाहिर करें कि आखिऱ इस रिश्ते का भविष्य क्या होगा? हो सकता है कि वह लडकी आपकी बात ज्य़ादा सही ढंग से समझ पाए। इसी बहाने आपको लडकी के बारे में भी अंदाजा हो जाएगा कि वह कैसे स्वभाव की है। शादी केवल दो इंसानों का ही नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी बंधन है। दोनों परिवारों के आपसी रिश्ते पर भी इसका असर पडता है। शादी परिवारों का बंधन है, इसका दोनों परिवारों पर असर पडता है। आप उन दोनों को समझाएं कि अगर वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं तो उन्हें शादी कर लेनी चाहिए, अगर उनके मन में अभी भी एक दूसरे के प्रति अविश्वास है तो उन्हें इस रिश्ते को यही विराम देकर अपने भविष्य के बारे में नए सिरे से सोचना चाहिए क्योंकि देर से शादी का निर्णय उनके लिए हर तरह से नुकसानदेह साबित होगा। अगर आपकी इस कोशिश के बाद भी वे आपकी बात नहीं मानते तो उन्हें उनके हाल पर छोड दें क्योंकि आज की आत्मनिर्भर युवा पीढी पर जबरन अपने निर्णय थोपने की कोशिश करना व्यर्थ है।

प्रचलित धारणा

प्यार में दिल टूटने का दर्द इंसान ताउम्र भूल नहीं पाता।

एक्सपर्ट की राय : प्यार या शादी के रिश्ते में मिलने वाली बेवफाई से हर इंसान दुखी होता है, पर यह दुख इतना बडा भी नहीं है कि इससे जिंदगी ही थम जाए। यह जीवन का सबसे बडा सच है कि उदास व्यक्ति हमेशा अकेला होता है, पर ख्ाुशमिजाज लोगों का साथ सभी को अच्छा लगता है। यह न भूलें कि वक्त का मरहम हर जख्म को भर देता है। सकारात्मक सोच रखने वाले बुरी यादों को जल्द से जल्द भुला कर आगे बढऩे में यकीन रखते हैं, लेकिन निराशावादी लोग दुखद यादों के बारे में सोच कर अकसर उदास हो जाते हैं। अगर मन में ख्ाुश रहने की प्रबल इच्छा हो तो बुरी यादें ख्ाुशी के रास्ते में रुकावट नहीं बन सकतीं।

डॉ. जयंती दत्ता


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