कला और संगीत का संगम
दिल्ली की भीड़भाड़ से दूर महरौली के रिज एरिया में एक अपार्टमेंट की तीसरी मंजिल पर है जाने-माने फोटोग्राफर रघु राय का आशियाना। पत्नी गुरुमीत के साथ इसी शांत जगह पर रहते हैं वह। इस घर में प्रकृति बिखरी हुई है तो दुर्लभ कलाकृतियां भी हैं। इस घर की एक झलक।
By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 04:49 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 04:49 PM (IST)
मशहूर फोटोग्राफर रघु राय के घर में देश-विदेश की अनुपम कलाकृतियों का संग्रह है। इस घर में क्लासिक और विंटेज फर्नीचर मिक्स किया गया है। बचपन से ही प्रकृति के बीच रहने के कारण उनकी रुचि कला में बढी। शायद इसीलिए इंजीनियर होने के बावजूद उन्होंने फोटोग्राफी को अपनाया। रघु राय की पत्नी गुरुमीत (मीता) पेशे से आर्किटेक्ट हैं। घर में इंजीनियर-फोटोग्राफर और आर्किटेक्ट की कला झलकती है। संगीत भरा स्वागत रघु राय के घर में भारतीय कला के प्रति लगाव को महसूस किया जा सकता है। लिफ्ट से ऊपर पहुंच कर डोरबेल बजाते ही पंडित भीमसेन जोशी का संगीत हवा में तैरता कानों में पडता है और मालूम होता है, जैसे किसी मंदिर के प्रांगण में खडे हैं। मेन गेट से भीतर जाने वाले पैसेज में एक तरफ कई हैट्स सजे नजर आते हैं। बताते हैं रघु राय, 'मुझे इनका शौक है, जहां भी जाता हूं, खरीद लेता हूं।' यह घर लगभग 2600 स्क्वेयर फीट में बना हुआ है। पहले इसमें चार बेडरूम थे। बाद में एक बडे कमरे को उन्होंने लिविंग एरिया में कन्वर्ट कर दिया, जिससे लिविंग और डाइनिंग एरिया काफी बडा हो गया। बताते हैं वह, 'मैं प्रकृति प्रेमी हूं। यहां से बाहर जंगल दिखाई देता है। मैं इंटीरियर में खूबसूरती के साथ-साथ स्पेस का ध्यान भी रखता हूं।' लिविंग एरिया अब हम एक बडे हॉल में बैठे हैं, जहां तीन कॉर्नर में सिटिंग अरेंज्मेंट है। दाहिनी ओर एक बडा सा काउच और सेंटर टेबल है। इस टेबल पर मार्बल टॉप लगाया गया है। कमरे में प्लांट्स नजर आते हैं, जो कैमरे के चितेरे का प्रकृति प्रेम दर्शाते हैं। दीवार से सटे बडे-बडे कॉलोनियन मिरर हैं, जिनसे कमरा बडा दिखता है। किताबों के लिए अलग रैक है। कई साल पहले उन्होंने अहमदाबाद से एक पिलर खरीदा था, जिसे घर में लगवाया है। इस पर प्रिंटेड सिल्क चादर लगाई गई है, जिससे कमरा पारंपरिक मंडप की तरह दिखता है। कहते है रघु राय, 'मुझे वॉर्म कलर्स पसंद हैं। ऑरेंज, येलो, ब्राउन, डीप ऑरेंज और रेड.... इनसे जिंदगी में लयबद्धता बनी रहती है। गर्मी में हलके रंग इस्तेमाल करता हूं और ठंड में गहरे रंग। सर्दी में सोफे और कुशंस के कवर्स पर कॉटन के बजाय वुलेन या सिल्क फैब्रिक इस्तेमाल करता हूं।' खिडकियों से नजारा हॉल में दो बडी-बडी खिडकियां हैं। इनमें ग्रिल के बजाय शीशे का इस्तेमाल किया गया है। यहां से बाहर का नजारा देख कर लगता ही नहीं कि यह दिल्ली की कोई जगह है। बिलकुल किसी कसबे या गांव जैसा महसूस होता है। शांत कमरे की खिडकी से कुतुब मीनार का दीदार कर सकते हैं तो दूसरी तरफ है जैन मंदिर। खिडकियों में चिक के स्थान पर परदे लगाए गए हैं। कहते हैं, 'यह मेरी बेगम की पसंद है।' दीवारों का रंग डार्क पिंक और लाइट येलो है। दीवार पर एक ओर पुरानी तलवार डिस्प्ले की गई है। महंगे पत्थरों या टाइल्स के बजाय फर्श पर वुडेन लोरिंग की गई है। दुर्लभ कलाकृतियां हॉल से सटा एक पाउडर रूम व बैलकनी है। फर्श पर कलरफुल कालीन और रनर का खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। दीवार पर बडी सी तसवीर है, जिसे मीता ने खरीदा है। इसके बारे में वह बताते हैं, 'मैं इतनी महंगी चीजें नहीं खरीदता। यह शौक मीता का ही है।' एक ओर गणपति प्रतिमा है। बताते हैं वह, 'इसे मैंने बनारस से लिया था। यह हाथ से बनी हुई है।' कमरे में पीतल की भी कई छोटी-बडी मूर्तियां हैं। रघु राय ने बैलकनी के इंटीरियर पर भी बखूबी ध्यान दिया है। यह काफी बडी और खुली है। यहां तरह-तरह के प्लांटर्स अपनी ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। अपनी कोई तसवीर नहीं आश्चर्य तब होता है, जब रघु राय की खींची कोई तसवीर घर में नहीं दिखती। दीवारों पर एम.एफ. हुसैन की पेंटिंग्स के अलावा कई छोटे-बडे स्केचेज नजर आते हैं। लगभग दो सौ साल पुराना एक तानपूरा भी है। वे शास्त्रीय संगीत में रुचि रखते हैं। कहते हैं, 'मुझे बचपन से ही वाद्य यंत्र बजाने का शौक था।' वह किसी धर्म के बजाय सर्वशक्तिमान पर आस्था रखते हैं। इसलिए उनके घर में गुरु नानक, दलाई लामा, बुद्ध, महावीर और मदर मैरी की तसवीरें नजर आती हैं। उनके आध्यात्मिक गुरु की तसवीर भी दिखती है। किसी ने सच ही कहा है कि घर उसमें रहने वालों के व्यक्तित्व का आईना होता है। रघु राय का घर भी इसका अपवाद नहीं...। संध्या रानी फोटोज : संजीव कुमार
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