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स्टार्टअप से मिलेगी पहचान

अच्छा पैसा और कुछ करने की चाह युवाओं को स्टार्टअप में करियर बनाने को आकर्षित कर रही है। अगर आप भी इस दुनिया में एंट्री करना चाहते हैं तो जरूरी है कि कुछ बातों पर ध्यान दें।

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2016 12:26 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 12:26 PM (IST)
स्टार्टअप से मिलेगी पहचान

यदि आप प्रोफेशनल हैं और अपने काम को लेकर जुनूनी हैं तो स्टार्टअप में कदम रख सकते हैं, लेकिन इसमें आने से पहले आपको समझना होगा कि यहां सफलता की संभावनाएं और जरूरतें क्या हैं? बता दें कि उन बिजनेस को स्टार्टअप कहा जाता है, जो किसी आइडिया पर बेस्ड नहीं होते हैं और जिन्हें पहले कभी एग्जिक्यूट न किया गया हो।

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इन दिनों निवेशकों को लुभाने के लिए सरकार अपनी आर्थिक नीतियों को सरल बनाने की कोशिश कर रही है। सरकार की नीतियों से आकर्षित होकर निवेशकों का हौसला भी बढा है। इसलिए भारतीय स्टार्टअप्स अब प्रमुख तौर पर इन्वेस्टर्स जॉब क्रिएटर के रूप में अपनी जगह बना रहे हैं। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनी (नैसकॉम) और जिनॉव की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रजिस्टर्ड स्टार्टअप की वार्षिक ग्रोथ 40 प्रतिशत है।

हाल ही में शुरू किए गए स्टार्टअप्स से भारत को वैश्विक स्तर पर अलग पहचान मिली है। भारत में स्टार्टअप के आंकडों पर जरा गौर फरमा कर देखें-

वर्ष 2014 में स्टार्टअप की संख्या 805 थी, जबकि 2013 में इसकी संख्या 680 और 2012 में 590 तक थी।

भारत दुनिया भर में स्टार्टअप के मामले में तीसरेे नंबर पर है।

20-30 साल की उम्र वाले उद्यमियों की सहभागिता करीब 42 फीसदी है।

लुभावनी सैलरी

आजकल एमएनसीज की तुलना में स्टार्टअप्स फ्रेशर्स को अच्छा सैलरी पैकेज ऑफर कर रहे हंै, जो आमतौर पर कोई भी ट्रडिशनल कंपनी नहीं देती। एक तरह से युवा स्टार्टअप को लर्निंग ग्राउंड की तरह भी देखते हैं। इसलिए वे इसे भविष्य में खुद का स्टार्टअप शुरू करने के विकल्प के तौर पर भी रखते हैं।

सभी सेक्टर्स में मौके

अभी तक देखा गया है कि सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स ई-कॉमर्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स जैसे टेक्नोलॉजी बेस्ड सेक्टर्स में शुरू हुए हैं। अब नॉन टेक्निकल क्षेत्रों में भी स्टार्टअप्स खुलने लगे हैं। माइक्रोफाइनेंस, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स और कॉरपोरेट कंसल्टिंग जैसे सेक्टर्स में भी इनकी शुरुआत होने लगी है।

यूनीक आइडिया

किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए एक ऐसे आइडिया की जरूरत होती है, जो लीक से हटकर हो, नया हो और लोगों की उसकी जरूरत भी हो। बिजनेस स्टार्टअप्स शुरू करने से पहले कुछ सवाल जो आप खुद से पूछ सकते हैं। जैसे-

आप जो सर्विसेज या प्रोडक्ट लॉन्च करने वाले हैं, वह कितना प्रासंगिक है या फिर मार्केट में लोगों को उसकी कितनी जरूरत है।

आइडिया यूनीक है? अगर हां तो और क्षेत्रों से कितना बेहतरीन है?

आपके आइडिया से अधिक से अधिक कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं?

रॉ मटीरियल और मैन पावर उपलब्ध है या नहीं?

पर्याप्त पूंजी की व्यवस्था है या नहीं?

यदि आपको इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल रहे हैं तो फिर इस फील्ड में आप कदम बढाने को एकदम तैयार हैं।

कैपिटल (फंडिंग)

अब जरूरत है स्टार्टअप्स को स्टार्ट करने के लिए कैपिटल, यानी पूंजी जुटाने की, इसके लिए आप ये तरीके अपना सकते हैं-

यदि खुद की पंूजी हो तो बेस्ट है। यदि नहीं है तो ऐसे में बैंक लोन या फिर फाइनेंसर की मदद लेकर या उसे पार्टनर बना कर बिजनेस शुरू किया जा सकता है।

बैंक से लोन लेने के लिए आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपकी कंपनी, कंपनी लॉ के तहत पंजीकृत हो। आजकल कई सरकारी संस्थाएं निम्न ब्याज दरों पर नए बिजनेस को शुरू करने के लिए लोन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराती हैं।

मार्केट एनालिसिस

मार्केट एनालिसिस के अंतर्गत आप अपने प्रोडक्ट से जुडी सारी जानकारी जुटा सकते हैं, जैसे मार्केट में प्रोडक्ट की क्या वैल्यू है?

आपका टारगेट ऑडियंस क्या होगा, साथ ही क्या वह इतनी संख्या में होगा कि पर्याप्त लाभ दे सके? इस दौरान नफा-नुकसान की संभावनाएं भी तलाशी जा सकती हैं।

सोशल मीडिया का रोल

स्टार्टअप्स को बूस्ट करने के लिए आजकल सोशल मीडिया एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां एक समय पर ही करोडों लोग एक-दूसरे से जुडे होते हैं। जिससे स्टार्टअप्स के प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की पहुंच एक साथ कई लोगों के बीच होती है।

फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आजकल एडवरटाइजिंग के उपयुक्त साधन बन रहे हैं। अपने बिजनेस की पहुंच को बढाने के लिए और इसे उपभोक्ता के नजरिये से सरल व सहज बनाने के लिए मोबाइल एप भी शुरू किए जा सकते हैं।

फाइनेंशियल सपोर्ट

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड) छोटी इंडस्ट्रीज के नए स्टार्टअप्स को फाइनेंशियल हेल्प देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसके अंतर्गत तीन स्टेप में लोन प्रोवाइड किया जाता है। जानिए इन्हें किस तरह व कैसे इस्तेमाल करें-

पहली कैटेगरी में नए बिजनेस को शुरू करने के लिए शुरुआती दौर में 50 हजार का लोन।

दूसरी कैटेगरी मेें 50 से 5 लाख तक के लोन उन एंटरपे्रन्योर्स के लिए, जिन्होंने अपना बिजनेस स्टार्ट तो किया लेकिन पूर्ण रूप से स्थापित नहीं किया।

10 लाख के लोन उन एंटरप्रेन्योर्स के लिए जिन्हें अपने स्टार्टअप बिजनेस को बूस्ट करने के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट चाहिए।

मुद्रा योजना का लाभ उठाने के लिए आप नजदीकी प्राइवेट व सरकारी ग्रामीण बैंक में संपर्क कर सकते हैं। साथ ही आइडेंटिटी प्रूफ व अड्रेस प्रूफ के साथ आपको अपने यूनीक बिजनेस आइडिया का ब्यौरा भी देना होगा। इसके साथ ही नाबार्ड, एनएसआईसी, सिडबी से भी संपर्क कर सकते हैं। द्य

कंपनी रजिस्ट्रेशन

किसी भी स्टार्टअप को शुरू करने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। जिसके लिए मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स काम करती है। कंपनी लॉ के अनुसार रजिस्टर्ड कंपनी के लिए कम से कम 2 पार्टनर और 2 शेयर होल्डर्स होना जरूरी है। शेयर होल्डर्स किसी भी हाल में 50 से ज्यादा नहीं हो सकते हैं जबकि सोल प्रोप्राइटरशिप के लिए किसी कंपली लॉ के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पडता है। रजिस्ट्रेशन के लिए मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स की आधिकारिक वेबसाइट 222.द्वष्ड्ड.द्दश1.द्बठ्ठ की मदद ली जा सकती है।

प्रशांत श्रीवास्तव


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