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दुरुस्त रखें दिल को

आर्टरी ब्लॉकेज यानी दिल की रक्तवाहिका धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। मुंबई स्थित एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्डियो वैस्कुलर थोरोसिक सर्जन डॉ. रमाकांत पांडा बता रहे हैं, इस समस्या के कारणों और बचाव के बारे में।

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)
दुरुस्त रखें दिल को

हमारा दिल अपनी हर धडकन के साथ खून की पंपिंग करके शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह सुचारु ढंग से करता रहता है, लेकिन आटर्री में ब्लॉकेज एक ऐसी गंभीर समस्या है, जो हार्ट के इस कार्य में बाधा पहुंचाती है। अत्यधिक वसायुक्त चीजों के सेवन से हृदय की रक्तवाहिका धमनियों में नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल एलडीएल (लिपोप्रोटींस डिपॉजिट कोलेस्ट्रॉल) का जमाव हो जाता है। ऐसी स्थिति में दिल की धमनियों में खून के जमाव का खतरा बढ जाता है। कई बार बहुत कम उम्र से ही हार्ट की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल युक्त प्लाक जमा होने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। ऐसी स्थिति में उम्र बढने के साथ-साथ यह प्लाक सख्त होता जाता है, जिससे धमनियों की भीतरी दीवारों में संक्रमण हो जाता है। इससे खून के थक्के जमने और हार्ट अटैक का खतरा बढ जाता है। हालांकि, प्लाक से कुछ खास तरह के केमिकल्स का स्राव होता है, जो हीलिंग की प्रक्रिया में मददगार होते हैं, लेकिन ये धमनियों की भीतरी दीवारों को चिपचिपा बना देते हैं। इसी वजह से खून में मौजूद इन्फ्लेमेट्री सेल्स, लिपोप्रोटींस और कैल्शियम आर्टरीज की धमनियों की दीवारों से चिपकने लगते हैं। अंत में, एक संकरी कोरोनरी आर्टरी नई रक्तवाहिका नलिकाएं तैयार करती है, जो ब्लॉकेज के आसपास के रास्ते से हृदय तक खून पहुंचाने का काम करती है। अत्यधिक तनाव या थकान के दौरान ये नवनिर्मित नई रक्तवाहिका नलिकाएं हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन से भरपूर खून नहीं सप्लाई कर पातीं और पंप करने के दौरान हार्ट पर ज्यादा दबाव पडता है। ऐसे में हार्ट अटैक की आशंका बढ जाती है।

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प्रमुख लक्षण

-सीने के बाएं हिस्से में हल्का या तेज दर्द महसूस होना, कभी-कभी यह दर्द कंधों, बांहों या जबडे तक भी पहुंच जाता है।

-कई बार अचानक दिल तेजी से धडकने लगता है तो कभी उसकी रफ्तार बहुत कम हो जाती है।

-सीने में जलन और दबाव महसूस होना।

-ब्लॉकेज की वजह से शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता। इसी वजह से सांस लेने में तकलीफ, घुटन, बेचैनी और थकान का अनुभव होता है।

-जी मिचलना एक ऐसा लक्षण है, जिसे अकसर लोग पाचन-तंत्र संबंधी समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।

-बेवजह कमजोरी महसूस होना, जुबान लडखडाना।

-आंखों के सामने अंधेरा छाना और सामान्य तापमान में भी पसीना आना।

क्या है उपचार

आमतौर पर आर्टरी में ब्लॉकेज का अंदेशा होने पर एंजियोग्राफी द्वारा ब्लॉकेज का पता लगाया जाता है। अगर ब्लॉकेज हलका (20 से 45 प्रतिशत) हो तो उसे दवाओं से दूर किया जा सकता है, लेकिन समस्या गंभीर (80 से 90 प्रतिशत ब्लॉकेज) होने पर एंजियोप्लास्टी विधि द्वारा इसका उपचार किया जाता है। बैटरी से संचालित छोटा सा यंत्र पेसमेकर भी आटर्री ब्लॉकेज की समस्या में कारगर साबित होता है। इसे ऑपरेशन द्वारा हार्ट के पास फिट कर दिया जाता है। इससे निकलने वाली तरंगें दिल की धडकन को नियमित बनाए रखने में सहायक होती हैं। ज्यादा गंभीर स्थिति में बायपास सर्जरी भी की जाती है। अगर ब्लॉकेज बहुत ज्यादा हो तो पैरों के जरिये एंजियोग्राम तकनीक का इस्तेमाल संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में आर्टरी ग्राफ्ट और वेन ग्राफ्ट के तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक-एक करके हर आर्टरी को खोलकर वहां से ब्लॉकेज हटाया जाता है। यहां दिए केस में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। चूंकि, मरीज की आर्टरी की नलियां बेहद संकुचित थीं। उनका व्यास लगभग 1 एम एम था। अत: उसकी ग्राफ्टिंग के लिए बाल से भी ज्यादा बारीक धागे का इस्तेमाल किया गया था।

कैसे करें बचाव

-सादा, संतुलित और पौष्टिक खानपान अपनाएं। ज्यादा घी-तेल और मसालों के सेवन से बचें।

-एल्कोहॉल और सिगरेट से दूर रहें। एल्कोहॉल का सेवन करने के बाद हार्ट के पंपिंग की गति अनियंत्रित हो जाती है। इससे शरीर के विभिन्न हिस्सों तक सही ढंग से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता। इसी तरह सिगरेट में मौजूद निकोटीन हार्ट की रक्तवाहिका नलियों के भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है। सिगरेट पीने के बाद दिल की धडकन तेज हो जाती है और इससे ब्लडप्रेशर भी बढ जाता है, जो हार्ट अटैक का बहुत बडा कारण है।

-क्रीमयुक्त दूध के बजाय स्किम्ड मिल्क का सेवन करें।

-प्रतिदिन हरी सब्जियों और फलों की पांच मिलीजुली सर्विग जरूर लें।

-अगर आप नॉन-वेजटेरियन हैं तो रेड मीट से दूर रहें, अंडा पसंद है तो केवल उसकी सफेदी का सेवन करें। हां, मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के लिए फायदेमंद होता है।

-ब्लडप्रेशर नियंत्रित रखने के लिए नमक का सेवन सीमित मात्रा में करें।

-अगर डायबिटीज की समस्या है तो शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए चीनी, चावल, आलू और मीठे फलों का सेवन बेहद सीमित मात्रा में करें क्योंकि इससे भी हार्ट अटैक का खतरा बढ जाता है।

-नियमित रूप से व्यायाम और सुबह-शाम की सैर करें। इससे शरीर के मेटाबॉलिज्म का स्तर नियंत्रित रहता है और हृदय की धमनियों में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल का जमाव नहीं होता।

-यह समस्या आनुवंशिक कारणों से भी होती है। अगर परिवार में इस बीमारी की हिस्ट्री रही है तो एहतियात के तौर पर साल एक बार हार्ट का रूटीन चेकअप जरूर करवाना चाहिए।


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