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हेल्थवॉच

अमेरिका स्थित हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि उन्होंने मानव शरीर की कोशिकाओं में मौजूद ऐसे जीन की पहचान कर ली है, जो बढ़ती उम्र की वजह से शरीर पर दिखने वाले लक्षणों को नियंत्रित करते हैं। ठीक से सक्रिय किए जाने पर ये जीन काफी

By Edited By: Published: Tue, 30 Dec 2014 03:27 PM (IST)Updated: Tue, 30 Dec 2014 03:27 PM (IST)

थमेगी उम्र बढऩे की रफ्तार

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अमेरिका स्थित हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि उन्होंने मानव शरीर की कोशिकाओं में मौजूद ऐसे जीन की पहचान कर ली है, जो बढती उम्र की वजह से शरीर पर दिखने वाले लक्षणों को नियंत्रित करते हैं। ठीक से सक्रिय किए जाने पर ये जीन काफी प्रभावशाली सिद्ध हो सकते हैं और इससे उम्र बढऩे के बाद भी व्यक्ति युवा दिखाई देगा। इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों ने चूहों के शरीर में एनएमएन नामक एक ऐसा एंजाइम डाला है, जो उम्र बढऩे की प्रक्रिया को धीमी कर देती है। चूहों को एंजाइम का इंजेक्शन लगाने के एक सप्ताह बाद उनके शरीर पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया। शोध में शामिल वैज्ञानिक डेविड शिकलेर के अनुसार अब ऐसी दवा बनाई जा सकती है, जो शरीर में युवा कोशिकाओं को फिर से पैदा कर सकेगी। उन्होंने कहा कि इंसानों पर भी हमने यह प्रयोग शुरू कर दिया है और हमें पूरा विश्वास है कि हमारे द्वारा किए जा रहे परीक्षण के परिणाम सकारात्मक होंगे।

मस्तिष्क के लिए फायदेमंद है अंडा

अमेरिका स्थित टफ्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि अंडा खाने से दिमाग मजबूत होता है और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का ख्ातरा टल जाता है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों की स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है। शोध में शामिल लोगों को दो टीमों में विभाजित किया गया। पहली टीम को खाने के लिए रोजाना 2 अंडे दिए गए, जबकि दूसरी टीम को अंडे की जगह दूसरी चीजें दी गईं। छह महीने बाद दोनों टीमों के सदस्यों की स्मरण-शक्ति, तर्कक्षमता और एकाग्रता के स्तर की जांच की गई। रोजाना अंडा खाने वाली टीम के सदस्यों का प्रदर्शन दूसरी टीम की तुलना में ज्य़ादा बेहतर था। अंडे में ल्यूटीन और जेक्साथीन नामक दो तरह के ऑक्सीकरण रोधी तत्व पाए जाते हैं, जो सोचने-समझने की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं। इसलिए अगर आप नॉन वेजटेरियन हैं तो अपनी डाइट में अंडे को नियमित रूप से शामिल करें।

गलत समय पर दवा लेना नुकसानदेह

कुछ लोग लापरवाही की वजह से दिन के वक्त दवा लेना भूल जाते हैं तो उसकी भरपाई रात को कर लेते हैं, पर ऐसा करना सेहत की दृष्टि से ठीक नहीं है। समय के अनुसार शरीर के अंगों की कार्यप्रणाली बदलती रहती है। अमेरिका में हुए नए शोध में यह दावा किया गया है कि गलत समय पर ली गई दवा नुकसानदेह साबित होती है। इसलिए दवा हमेशा सही समय पर लेनी चाहिए। अब वैज्ञानिक जैविक घडी के बारे में ज्य़ादा से ज्य़ादा जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे हर दवा के सेवन का सबसे सटीक समय जाना जा सके। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के शोधकर्ताओं के मुताबिक मानव शरीर की जैविक घडी दवाओं के असर को भी प्रभावित करती है। उनका दावा है कि दुनिया में सबसे ज्य़ादा बिकने वाली 100 दवाओं में से 56 पर दिन और रात के अंतर का जबर्दस्त प्रभाव पडता है। इन दवाओं में सर्दी-जुकाम की सामान्य दवाओं से लेकर कैंसर की दवाएं तक शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि सही फायदा उठाने के लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए समय पर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए।

मृत दिल का सफल प्रत्यारोपण

ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सकों ने पहली बार मृत हृदय को दोबारा जीवित कर उसे दूसरे मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित करने में कामयाबी हासिल की है। अब तक प्रत्यारोपण के लिए ऐसे मरीज की आवश्यकता होती थी, जिसका दिल तो धडक रहा हो लेकिन उसे दिमागी रूप से मृत (ब्रेन डेड) घोषित कर दिया गया हो। सिडनी के सेंट विन्सेंट अस्पताल में नेपाली मूल के चिकित्सक डॉ. कुमुद धीतल पिछले कुछ महीनों में ऐसे दो दिलों का प्रत्यारोपण कर चुके हैं, जिन्होंने धडकना बंद कर दिया था। अब दोनों मरीज पूर्णत: स्वस्थ हैं। प्रत्यारोपण के दौरान मृत हृदय को एक ख्ाास तरह की मशीन के भीतर एक ऐसे घोल में डुबो कर रखा जाता है, जिसे एक्स वाइवो ऑर्गन केयर सिस्टम कहा जाता है। इस घोल के संपर्क में आने के बाद मृत हृदय दोबारा धडकने लगता है। इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया द्वारा हृदय को प्रत्यारोपित किया जाता है। हार्ट ट्रांस्प्लांट के लिए डोनर का मिलना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन इस प्रयोग से वैज्ञानिक काफी आशान्वित हैं। अब मृत व्यक्ति के शरीर से हृदय को निकाल कर इसका सफल प्रत्यारोपण संभव होगा।

हड्डियों को मजबूत बनाए मूंगफली

उम्र बढऩे के साथ-साथ हड्डियां कमजोर पडऩे लगती हैं। उम्रदराज स्त्रियों को यह समस्या ज्य़ादा परेशान करती है। इसकी वजह से हलकी सी चोट लगने पर भी हड्डी टूटने का डर रहता है। डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने कमजोर हड्डियों को मजबूत बनाने वाले खाद्य पदार्थों पर शोध किया है। उनके अनुसार मूंगफली में हड्डियों को मजबूत बनाने वाला प्राकृतिक तत्व रिस्वेराट्रॉल होता है। लोगों के एक बडे समूह पर मूंगफली और इससे बनी चीजों का परीक्षण करवाने के बाद विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इनका सेवन करने से शरीर में हड्डी बनाने वाली कोशिकाएं पनपनी शुरू हो गईं। साथ ही रीढ की हड्डी भी मजबूत हुई। इसलिए सर्दियों में नियमित रूप से मूंगफली का सेवन करें। हां, जिन लोगों को एलर्जी हो, उन्हें इससे दूर रहना चाहिए।

एंटीबायोटिक का नया विकल्प

एंटीबायोटिक दवाओं का साइड इफेक्ट पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। हालैंड के वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि उन्होंने एंटीबायोटिक का नया विकल्प ढूंढ लिया है। यह नई दवा जम्र्स से सुरक्षा उपलब्ध कराएगी। वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि इन दवाओं के सेवन से उन्हें कुछ जानलेवा संक्रामक रोगों को दूर करने में कामयाबी मिली है। लंदन में हुए एक सम्मेलन में इस दवा के बारे में बताया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार जो वायरस या बैक्टिरीया एंटीबायोटिक से भी नहीं मरते, वे हमारी सेहत के लिए बहुत बडा ख्ातरा हैं। इन नई दवाओं की ख्ाासियत यह है कि वायरस इनके विरुद्ध अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं कर पाएंगे। उन्होंने एक ऐसा एंजाइम खोज निकाला है, जो ऐसेे नुकसानदेह जम्र्स की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। त्वचा के संक्रामक रोगों के लिए क्रीम के रूप में इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे अन्य दवाओं के रूप में भी उपलब्ध कराया जाएगा।

अखरोट करेगा कैंसर से बचाव

अगर आपको अखरोट पसंद है तो इसका सेवन नियमित रूप से करें। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में यह तथ्य सामने आया है कि अखरोट खाने से कैंसर की आशंका कम हो जाती है क्योंकि यह शरीर में कैंसर युक्त कोशिकाएं विकसित होने नहीं देता। कुछ लोगों को यह गलतफहमी होती है कि अखरोट खाने से वजन बढता है। इसी वजह से वे इसका सेवन नहीं करते, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। अखरोट नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को घटाने में भी मददगार साबित होता है।

मोबाइल बन सकता है दर्द का सबब

आजकल जिसे देखो वही मोबाइल पर मेसेजिंग और चैटिंग में व्यस्त दिखाई देता है। आइफोन के आगमन के बाद लोगों में यह लत तेजी से बढती जा रही है। यह आदत उनकी गर्दन पर भी भारी पड रही है। न्यूयॉर्क के स्पाइन सर्जरी एंड रिहैबिलिटेशन हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पाया यह गया है कि मेसेज पढऩे के लिए सिर आगे की ओर झुकाने से गर्दन पर अतिरिक्त दबाव पडता है। इससे पीठ का दर्द भी बढ जाता है। हम जितना अधिक गर्दन झुकाते हैं, उस पर उतना ज्य़ादा भार पडता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक गर्दन और रीढ की हड्डी पर पडऩे वाला यह दबाव 4 से 27 किलोग्राम तक होता है। सात साल के बच्चे का वजन करीब 27 किलोग्राम होता है। यानी जब हम मोबाइल फोन पर कोई मेसज देखने के लिए 60 डिग्री एंगल पर गर्दन झुकाते हैं तो गर्दन और रीढ की हड्डी पर इतना दबाव पडता है कि जैसे कि हमारी गर्दन पर सात साल का बच्चा बैठा हो। आजकल लोग अपना ज्य़ादातर वक्त मोबाइल या टैबलेट के साथ बिताते हैं। ऐसे में मोबाइल से होने वाले नुकसान का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए मोबाइल के अनावश्यक इस्तेमाल से बचें। मेसेज चेक करने के लिए गर्दन झुकाने के बजाय फोन को सामने रख कर देखें। वैसे, रोजमर्रा के कामकाज के दौरान भी बहुत ज्य़ादा गर्दन न झुकाएं और हमेशा पीठ सीधी रखने की कोशिश करें।


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