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हेल्थ वॉच

श्वसन-तंत्र की समस्या से ग्रस्त मरीजों को गंभीर परिस्थितियों में अंग प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता होती है, लेकिन फेफड़े के प्रत्यारोपण में सबसे बड़ी व्यावहारिक दिक्कत यह है कि किडनी या लिवर की तरह कोई जीवित व्यक्ति अपने लंग्स डोनेट नहीं कर सकता।

By Edited By: Published: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)
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लैब में मृत फेफडों को मिलेगा पुनर्जीवन

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श्वसन-तंत्र की समस्या से ग्रस्त मरीजों को गंभीर परिस्थितियों में अंग प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता होती है, लेकिन फेफडे के प्रत्यारोपण में सबसे बडी व्यावहारिक दिक्कत यह है कि किडनी या लिवर की तरह कोई जीवित व्यक्ति अपने लंग्स डोनेट नहीं कर सकता। इसी समस्या को देखते हुए अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की वैज्ञानिक जॉन निकोलसन ने लैब में मृत शरीर से निकाले गए लंग्स को पुनर्जीवन देने की नई तकनीक ईजाद की है। उन्होंने अपने शोध की शुरुआत सडक दुर्घटना में मारे गए दो बचों के क्षतिग्रस्त फेफडों से की। उन्होंने लंग्स की कोशिकाओं को जोडने वाले टिश्यूज में मौजूद कोलेजन और इलास्टिन नामक प्रोटीन को छोडकर अन्य सभी तत्वों को हटा दिया। इसके बाद उन्होंने दूसरे खराब फेफडे से कुछ टिश्यूज को निकालकर पहले फेफडे में डाला। फिर उस ढांचे को कोशिकाओं को पोषण देने वाले एक तरल पदार्थ से भरेबडे चैंबर में डुबोया गया। इससे करीब चार सप्ताह बाद एक नया फेफडा तैयार हो गया। वैज्ञानिकों को इस शोध से काफी उम्मीदें हैं। हालांकि, ब्रिटेन और अमेरिका में लंग्स ट्रांसप्लांट की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन भारत में अभी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।

केले से होगा अनिद्रा का इलाज

तनावपूर्ण आधुनिक जीवनशैली की वजह से दुनिया भर में करोडों लोग अनिद्रा के शिकार हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि बेहद सामान्य तरीकों से भी इसका इलाज संभव है। केला खाकर भी हम आसानी से अनिद्रा दूर कर सकते हैं। अगर रात को सोने के घंटे भर पहले पहले इसके आधे टुकडे का भी सेवन किया जाए तो सुबह तक चैन की नींद जाएगी। दक्षिण यॉर्कशायर के निद्रा विशेषज्ञ विकी डॉसन और उनके सहयोगियों ने अपने शोध के बाद यह दावा किया। उन्होंने इस तरह से कई मरीजों की अनिद्रा का इलाज किया और उसमें पूरी तरह सफल रहे। खास तौर पर इस बीमारी के शिकार बचों को इससे काफी फायदा पहुंचा। शोध में शामिल वैज्ञानिकों के मुताबिक केले में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम थकी हुई मांसपेशियों को आराम पहुंचाकर आसानी से नींद लाने में मददगार होते हैं। इसमें ट्रिप्टॉन या ट्राइप्टोफॉन नामक अमीनो एसिड भी होता है। इसके संपर्क में आने पर मस्तिष्क सेरोटोनिन और मेलाटोनिन नामक हैप्पी हार्मोस का स्राव करता है, जो मन को शांत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इसीलिए केले का सेवन अनिद्रा दूर करने में मददगार साबित होता है। तो फिर देर किस बात की? आज से ही केले को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें।

हरी सब्जियां करती हैं ब्रेन स्ट्रोक से बचाव

अब तक केवल हीमोग्लोबीन की मात्रा बढाने के लिए आयरन का सेवन जरूरी माना जाता था, लेकिन कम ही लोगों को यह मालूम है कि शरीर में आयरन की कम मात्रा से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ जाता है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ता डॉ.क्लेर शोवलिन के मुताबिक इस समस्या से बचने के लिए अधिक आयरन वाली चीजों जैसे हरी पत्तेदार सब्जियों, मूंगफली, गुड, सोयाबीन, खजूर आदि का सेवन फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा नॉन वेजटेरियन लोग चिकेन, रेड मीट और अंडे का भी सेवन कर सकते हैं।

डायबिटीज के मरीजों के लिए स्पेशल फुट वेयर

डायबिटीज से पीडित लोगों को अकसर एडियों में दर्द की शिकायत होती है। उनकी इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के विशेषज्ञों ने ऐसे मरीजों के लिए विशेष किस्म के जूते तैयार किए हैं, जो उन्हें पैरों के संक्रमण व अल्सर से बचाते हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बी.डी. अथानी के अनुसार डायबिटीज के कारण नसों में खराबी आने लगती है। लंबे अरसे के बाद ऐसे मरीजों के पैर सुन्न पड जाते हैं। ऐसे में पैरों में संक्रमण या गांठ की वजह से अल्सर का खतरा रहता है। इसीलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए विशेष प्रकार के फुटवेयर का इस्तेमाल जरूरी होता है। दरअसल नसों की खराबी के कारण जूते पर मरीज के पैरों का भार समान रूप से नहीं पडता। इसी वजह से उनके तलवों में दर्द होता है। मरीजों को ऐसी समस्या से बचाने के लिए बायोथिजियोमिट्री पद्धति से उनके पैरों की संवेदनशीलता की जांच की जाती है और फुट स्कैन के जरिये यह मालूम कर लिया जाता है कि पैरों के किस हिस्से में अधिक दबाव पड रहा है। ऐसे लोगों के लिए जूते के सोल में सिलिकॉन की परत डालकर स्पेशल जूते तैयार किए जाते हैं, ताकि सोल के हर हिस्से पर पैरों का भार बराबर पडे।

हार्टअटैक के बाद भी सुरक्षित रहेगा दिल

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे हार्ट अटैक के बाद भी दिल को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचेगा। इस तकनीक में दवाओं से युक्त छोटे-छोटे माइक्रोपार्टिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। दिल का दौरा पडने के 24 घंटे के अंदर इन कणों को इंजेक्शन के जरिये शरीर के भीतर पहुंचाना होता है।

नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के शोधकर्ताओं के मुताबिक दिल के दौरे के समय भयंकर तनाव उत्पन्न होता है। इसे कम करने के लिए शरीर का इम्यून सिस्टम बडी संख्या में सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्सर्जन करता है, जो रक्त का प्रवाह ठीक करती हैं, लेकिन साथ ही दिल के टिश्यूज को कमजोर बनाने वाली कई हानिकारक कोशिकाएं भी तैयार होती हैं। ऐसी स्थिति में इंजेक्शन द्वारा दिए माइक्रोपार्टिकल्स हानिकारक कोशिकाओं को नष्ट करके मरीज का बचाव करते हैं। दिल के मरीजों के लिए एक और अछी ख्ाबर यह भी है कि अब ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने एक ऐसा स्प्रे तैयार कर लिया है जिसकी मदद से दिल की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत हो सकेगी।

इस नए तरीके में स्प्रे मशीन के जरिये दिल की स्वस्थ कोशिकाओं को उन कोशिकाओं तक पहुंचाया जाएगा जो हृदयाघात के दौरान नष्ट हो गई हों। इस स्प्रे के जरिये दिल के क्षतिग्रस्त हिस्से पर कोशिकाओं की एक परत बन जाएगी और शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह विधि दिल के प्रभावित हिस्से की मरम्मत करने में मददगार साबित होगी।

धूप सेंकने से दूर होगा हाई ब्लडप्रेशर

उच रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए नियमित रूप से हल्की धूप सेंकना बहुत फायदेमंद साबित होता है। लंदन स्थित साउथैंप्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार धूप के संपर्क में आने पर त्वचा में नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर गिरने लगता है। इससे रक्तवाहिका नलिकाएं चौडी हो जाती हैं और उनमें खून का प्रवाह सामान्य गति से होने लगता है।


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