नहीं भूलती वो दीपावली
अंधेरी रात में जगमगाते दीयों की कतार, घर के द्वार पर सजी रंगोली, स्वादिष्ट मिठाइयों और खील-बताशे से सजी पूजा की थाली.. दीपावली का नाम सुनते ही और न जाने कितनी ही मीठी यादें हमारे मन के दरवाजे पर दस्तक देने लगती हैं। यहां बॉलीवुड की कुछ मशहूर शख्सीयतें अपनी कुछ ऐसी ही यादों की साझेदारी कर रही हैं आपके साथ।
सब होते हैं एक साथ
अर्जुन कपूर, अभिनेता
यही एक ऐसा माका होता है, जब मेरे दोनों चाचू, सोनम, रिया, हर्ष और हम सब एक साथ होते हैं। उस दिन किसी के पास कोई बहाना भी नहीं होता। हमारे परिवार की परंपरा है कि उस रोज सभी सदस्य साथ बैठकर लक्ष्मी-पूजा करते हैं। बडा ही सात्विक माहौल होता है घर का। जब सब साथ होते हैं तो ढेर सारी बातें भी होती हैं। बचपन में हमारे घर पर आतिशबाजी की रौनक देखने लायक होती थी, पर अब पॉल्यूशन की वजह से हम पटाखे नहीं चलाते। प्रदूषण तो पहले भी होता होगा, पर उन दिनों लोगों में इन बातों को लेकर इतनी जागरूकता नहीं थी। यह अच्छी बात है कि अब लोग ऐसी समस्याओं के बारे में सोचते हैं।
मदद करती हूं जरूरतमंदों की
रवीना टंडन, अभिनेत्री
मैं आतिशबाजी को एनकरेज नहीं करती। बचपन में मेरी मां अपने साथ हम सभी को किसी अनाथालय में ले जाती थीं। वहां जाकर हम बच्चों को मिठाइयां और नए कपडे देते थे। खास अवसरों पर शगुन के तौर पर रिश्तेदार हमें जो भी पैसे देते थे, हम उन्हें बचाकर रखते थे। फिर उन्हीं पैसों से दीपावाली पर जरूरतमंद बच्चों के लिए गिफ्ट खरीदते थे। मैं आज भी उसी परंपरा का निर्वाह कर रही हूं। मैं अपने बच्चों में भी वही संस्कार विकसित करना चाहती हूं, जो अपने माता-पिता से मुझे विरासत में मिले हैं।
मिठाइयों का रहता था इंतजार
दीपिका पादुकोन, अभिनेत्री
बचपन की दीपावली मुझे बहुत याद आती है। तब मैं पापा-मम्मी और अपनी बहन के साथ बंगलुरू में रहती थी। मुझे मिठाइयां बहुत पसंद हैं। दीपावली के मौके पर मां कुछ खास दक्षिण भारतीय मिठाइयां बनाती थीं। तब हमें बडी बेताबी से दीवाली का इंतजार रहता था। मैं अपने हाथों से सुंदर-सुंदर रंगोलियां बनाती थी। घर आए मेहमानों के संग हम ढेर सारी बातें करते और पूरे घर में हंसी-खुशी का माहौल रहता। अब तो लाइफ बहुत बिजी हो गई है। फिर भी हमेशा यही कोशिश होती है कि त्योहार वाले दिन मैं अपने मम्मी-पापा के साथ रहूं।
जमकर होती थी आतिशबाजी
श्रद्धा कपूर, अभिनेत्री
मैं अपने बचपन की दीवाली को आज भी बहुत मिस करती हूं। हमारे परिवार में बहुत धूमधाम से दीवाली मनाई जाती थी। मैं अपने कजंस के साथ मिलकर खूब धमाचौकडी मचाती थी। हफ्तों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती थीं। शॉपिंग के लिए मैं भी मम्मी के साथ जाती थी। मम्मी को मिठाइयां, पूजा का सामान और ढेर सारी चीजें खरीदनी होती थीं, पर मेरा ध्यान तो सिर्फ पटाखों पर होता था। मैं जिद करके अपने लिए ढेर सारे पटाखे और फुलझडियां खरीदती थी। खुशी के मारे दीपावली की सुबह बहुत जल्दी नींद खुल जाती। हम बच्चे शाम होने का बेसब्री से इंतजार करते। फिर हम देर रात तक पटाखे चलाते थे, लेकिन अब व्यस्तता की वजह से पहले की तरह त्योहार एंजॉय नहीं कर पाती।
घर की सजावट करती हूं
शिबानी कश्यप, गायिका
दीपावली का त्योहार मुझे बेहद पसंद है, पर आतिशबाजी से सख्त नफरत है। इस दिन मुझे अपने घर को सजाना बहुत अच्छा लगता है। इसके लिए मैं तरह-तरह की कंदील और कैंडल्स खरीद कर लाती हूं। खुद अपने हाथों से रंगोली बनाना और फूलों के बंदनवार से घर को सजाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। यही एक माका होता है, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने का। इसलिए दीवाली पर सभी दोस्तों को अपने घर बुलाती हूं।
प्रस्तुति : अमित कर्ण एवं स्मिता श्रीवास्तव