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जब चुनने हों सनग्लासेज

कलरफुल और फंकी सनग्लासेजसे बाजार भरा पड़ा है। सनग्लासेज का चलन भी खूब है। ऐसे में कोई फैशन से कैसे पीछे हट सकता है। लेकिन बाजार में मिलने वाले सस्ते और रंगीन नकली धूप के चश्मे आंखों के लिए कितने सुरक्षित हैं, शायद इस ओर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। नेत्र रोग विशेषज्ञों की मानें तो नकली धूप के चश्मे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को नहीं सोख पाते, जिसके चलते आंखों में तमाम तरह की तकलीफें हो सकती हैं। आप अपने लिए कैसा सनग्लास चुनें, जानें सखी के साथ।

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)
जब चुनने हों सनग्लासेज

धूप के चश्मे यानी सनग्लासेज गर्मियों के लिए एक आवश्यक एक्सेसरी होते हैं। लेकिन आजकल इन्हें एक फैशन सिंबल समझा जाता है। सनग्लासेज सूरज की किरणों से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों से होने वाली मोतियाबिंद की बीमारी की रोकथाम में भी काफी हद तक सहायक होते हैं। चिकित्सकों का मानना है कि अल्ट्रा वायलेट किरणें और सूरज की तेज रोशनी मोतियाबिंद का मुख्य कारण है, जिसकी रोकथाम धूप के चश्मे के नियमित उपयोग से की जा सकती है। लेकिन साधारण धूप के चश्मे का प्रयोग आंखों के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

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गॉगल्स की बढती मांग को देखते हुए आज बाजार में तमाम तरह के डिजाइनर सनग्लासेज उपलब्ध हैं, जो कि चीन निर्मित हैं। ब्रैंडेड सनग्लासेज के मुकाबले इन चश्मों की कीमत खासी कम होती है। ये लोकल शॉप्स और विक्रेताओं के पास आसानी से मिल जाते हैं।

फ ोर्टिस हेल्थकेयर के नेत्र रोग विषेशज्ञ डा. संजय धवन के अनुसार 70 प्रतिशत भारतीय या यूं कहें कि दस में से सात लोग लोकल या चीन में निर्मित चश्मे प्रयोग करते हैं। हालांकि ये सनग्लासेज की तरह ही दिखाई देते हैं, लेकिन यह सूर्य की यूवी किरणों से किसी तरह की सुरक्षा प्रदान नहीं करते।

बल्कि ये चश्मे आंखों को खतरनाक अल्ट्रावायलेट रोशनी के संपर्क में ले आते हैं। इससे समय बीतने के साथ मोतियाबिंद, लेंस का धुंधला होना और मैक्यूलन डीजेनरेशन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जो कि वृद्धावस्था में आंखों की रोशनी खोने के मुख्य कारण हैं।

मिलती नहीं पूरी सुरक्षा

तेज रोशनी में आंखों की प्यूपिल सिकुड जाती हैं और कम प्रकाश में यह फैल जाती हैं। ऐसे में जब आप धूप के चश्मे पहनती हैं तो आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं। बिना पर्याप्त यूवी सुरक्षा के खतरनाक यूवी किरणें आंखों में सीधे प्रवेश करती हैं और नुकसान पहुंचाती हैं। यह जानना जरूरी है कि यूवी प्रोटेक्शन के लिए लेंस की एक उपयुक्त मोटाई होना बहुत जरूरी है।

जबकि नकली चश्मे बेहद पतले होते हैं। सस्ते नकली चश्मों में विकृत लेंस भी हो सकते हैं, जिससे देखने की क्षमता में समस्या उत्पन्न हो सकती हैं और दृष्टि में व्यवधान उत्पन्न होने के कारण सिर दर्द भी होने लगता है।

ध्यान रखें

धूप का चश्मा खरीदते समय यह ध्यान सबसे महत्वपूर्ण है कि सनग्लास कितनी यूवी किरणों के प्रभाव की रोकथाम कर सकता है। विकिरण को सोखने के मामले में ग्रे कलर के लेंस सबसे बेहतर समझे जाते हैं, क्योंकि यह चीजों के रंगों में किसी प्रकार का परिवर्तन किए बिना, रोशनी की तीव्रता को कम देते हैं। ऐसे में यह सबसे अधिक प्राकृतिक रंग की दृष्टि प्रदान करते हैं। वहीं न्यूट्रल ग्रे, एंबर, भूरे और हरे रंगों वाले सनग्लासेज का चयन भी सही होता है।

करें खुद जांच

यूवी सुरक्षा के साथ-साथ लेंस की ऑप्टिकल गुणवत्ता की जांच भी जरूरी है। चश्मे की गुणवत्ता की जांच आप आसानी से कर सकती हैं। इसके लिए किसी भी चीज को एक रेक्टेंगुलर पैटर्न में देखें। जैसे कि फर्श (जमीन) पर लगे टाइल्स को देखें। चश्मे को उचित दूरी में पकडें और एक आंख बंद करें।

चश्मे को धीरे-धीरे एक तरफ से दूसरी तरफ और ऊपर से नीचे करें। यदि लाइनें सीधी रहती हैं तो लेंस ठीक हैं। यदि लाइनें टेढी-मेढी हो जाती हैं, खास कर लेंस के बीच में तो दूसरा चश्मा लें।

यदि आप प्राकृतिक नजारे जैसे पानी और स्नो स्कींग को देखना चाहते हैं। जहां आपकी आंखों में चोट लगने का खतरा अधिक है तो सुरक्षा के लिए नजर के चश्मों पर निर्भर न रहें। इस तरह की परिस्थितियों में रिफ्लेक्टिव मेटल कोटिंग चश्मे सबसे उपयुक्त होते हैं, क्योंकि यह लेंस के द्वारा प्रवेश करने वाले प्रकाश को काफी कम कर देते हैं।

नजर का चश्मा

जिन लोगों को नजर का चश्मा लगा हुआ है उनके लिए तेज और चिलचिलाती धूप वाले मौसम में फोटोक्रोमेटिक लेंस उपयुक्त ऑप्शन कहे जा सकते हैं। ये चश्मे कम रोशनी में बिलकुल रंग रहित दिखाई पडते हैं और सूर्य के प्रकाश में गहरे रंग में बदल जाते हैं। इसके साथ ही इनमें यूवी सुरक्षा वाले लेंस भी लिए जा सकते हैं।

यह 30-60 सेकंड में डार्क हो जाते हैं और कम रोशनी में अपना मूल रंग लाने में पांच मिनट लेते हैं। जब आप सही सनग्लास चुन लें तो यह भी सुनिश्चित करें कि उसे नियमित रूप से पहनेंगी। विशेषकर तेज धूप वाले मौसम में जब यूवी स्तर सर्दियों के मुकाबले तीन गुना से भी अधिक हो जाता है।

कीमत नहीं, गुण देखें

रंग-बिरंगे और सुंदर फे्रम वाले आम चश्मे (सनग्लासेज) सस्ते में जरूर मिल जाते हैं, लेकिन यह आंखों को पूरी सुरक्षा नहीं देते। आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। बेहतरी इसी में है कि भले थोडा कीमती हो, लेकिन ब्रैंडेड और यूवी प्रोटेक्शन देने वाला सनग्लास ही खरीदें। अगर आप अपनी आंखों को पुरी सुरक्षा और सही स्टाइल स्टेटमेंट अपनाना चाहती हैं तो समझदारी इसी में है कि सही प्रोटेक्शन वाला चश्मा चुनें। ऐसा चश्मा चुनें जो यूवीए और यूवीबी दोनों तरह की किरणों से सौ फीसद सुरक्षा प्रदान करें। ताकि आगे चलकर जीवन में दृष्टि संबंधी समस्याओं से बचा जा सके।

इला श्रीवास्तव


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