अब परेशान नहीं करेगा पसीना
शरीर से पसीना आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन गर्मियों के मौसम में इसकी अधिकता की वजह से कुछ लोगों को बहुत परेशानी होती है। आइए जानते हैं कि क्यों होता है ऐसा और इससे कैसे किया जाए बचाव। गर्मी के मौसम में आने वाले पसीने का नाम सुनते ही वाकई
शरीर से पसीना आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन गर्मियों के मौसम में इसकी अधिकता की वजह से कुछ लोगों को बहुत परेशानी होती है। आइए जानते हैं कि क्यों होता है ऐसा और इससे कैसे किया जाए बचाव।
गर्मी के मौसम में आने वाले पसीने का नाम सुनते ही वाकई लोगों के पसीने छूट जाते हैं। मामूली स्वेटिंग तो स्वाभाविक है, पर कुछ लोगों को बहुत ज्यादा पसीना आता है और इससे वे बहुत असहज महसूस करते हैं।
क्यों होता है ऐसा
गर्मियों में शरीर का तापमान स्वाभाविक रूप से बढ जाता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। तापमान की इसी अधिकता को संतुलित करने के लिए त्वचा के भीतर मौजूद स्वेट ग्लैंड्स सक्रिय हो जाते हैं और शरीर से पसीना निकलना शुरू हो जाता है, जो तेज धूप से झुलसते शरीर को ठंडक पहुंचाता है। इससे त्वचा की स्वाभाविक नमी बरकरार रहती है। सबसे अहम बात यह है कि पसीने के माध्यम से कई नुकसानदेह तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इसलिए शरीर से थोडा पसीना निकलना भी जरूरी है, पर इसकी अधिकता की वजह से लोगों को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होने लगती है।
कैसे करें बचाव
पसीने को स्थायी रूप से रोक पाना न तो संभव है और न ही उचित। हां, कुछ ऐसे उपाय हैं, जिन्हें अपना कर हम इसकी अधिकता से पैदा होने वाली परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं :
-थोडे ढीले और सूती कपडे पहनें, ताकि पसीना आसानी से सूख जाए।
-एंटी बैक्टीरियल सोप का इस्तेमाल करें। नहाने के पानी में यूडी कोलन की कुछ बूंदें डालना भी फायदेमंद साबित होता है।
-पसीने की वजह से पैरों में फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। इससे बचने के लिए उंगलियों के बीच एंटी फंगल पाउडर छिडकने के बाद ही शूज पहनें।
-इस मौसम में कुछ लोग सॉक्स पहनना छोड देते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं, इससे पैरों की त्वचा में एलर्जी हो सकती है।
-तलवों से अधिक पसीना आता है तो इससे बचने के लिए नहाने से पहले पानी से भरे टब में दो चम्मच फिटकरी पाउडर डाल कर उसमें दो मिनट तक पैर डुबो कर रखें।
-इस मौसम में आर्मपिट्स से सबसे ज्य़ादा पसीना आता है। बाहर निकलने से पहले यदि कुछ मिनटों तक शरीर के इस हिस्से पर आइस क्यूब रखा जाए तो इससे पसीना आने की गति धीमी पड जाती है।
-शर्ट के आर्मपिट्स वाले हिस्से को पसीने के निशान से बचाने के लिए स्वेट पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
-डियो स्प्रे के बजाय रोलॉन या टेल्कम पाउडर का इस्तेमाल ज्य़ादा सुरक्षित होता है। स्प्रे का अधिक इस्तेमाल त्वचा की भीतरी लेयर को नुकसान पहुंचा सकता है।
-पसीने की अधिकता से सिर की त्वचा में दाने निकलने की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए हर दूसरे दिन माइल्ड शैंपू का इस्तेमाल करें।
-हमेशा ख्ाुश रहने की कोशिश करें क्योंकि तनाव की स्थिति में स्वेट ग्लैंड्स तेजी से सक्रिय हो जाते हैं।
-एक्सेसिव स्वेटिंग से बचाव के लिए अमोनियम क्लोराइड से बने कुछ ऐसे लोशन और स्प्रे भी आते हैं, जो स्वेट्स ग्लैंड्स के पोर्स को ब्लॉक कर देते हैं।
-अगर ऑर्मपिट्स से अत्यधिक पसीना निकलने की समस्या हो तो लेजर ट्रीटमेंट द्वारा भी इसका उपचार किया जाता है।
-आइनोटो फोरिसिस उपचार की एक ऐसी नई तकनीक है, जिसमें टब में भरे पानी को एक यंत्र के जरिये चार्ज करके उसके पॉजिटिव और निगेटिव आयन्स को सक्रिय कर दिया जाता है। फिर उसमें कुछ समय के लिए व्यक्ति के हाथ-पैर डुबोए जाते हैं, जिससे स्वेट ग्लैंड्स की सक्रियता कम हो जाती है।
-इस समस्या से बचाव के लिए बोटॉक्स के इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन पसीने से बचाव के लिए ऐसी किसी भी तकनीक का इस्तेमाल विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
विनीता
(मेदांता मेडिसिटी हॉस्पिटल गुडग़ांव की सीनियर कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. शैली कपूर से बातचीत पर आधारित)