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अनदेखा न करें इसे

गर्मियों के मौसम में अकसर स्त्रियों को यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन क ा सामना करना पड़ता है, जिसे वे मौसम से जुड़ी मामूली परेशानी समझकर नजरअंदाज कर देती हैं, पर ऐसा करना भविष्य में उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

By Edited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 04:13 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 04:13 PM (IST)
अनदेखा न करें इसे

गर्मियों के मौसम में अकसर स्त्रियों को यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन क ा सामना करना पडता है, जिसे वे मौसम से जुडी मामूली परेशानी समझकर नजरअंदाज कर देती हैं, पर ऐसा करना भविष्य में उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

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कुदरती तौर पर मानव शरीर की संरचना ऐसी है कि किसी भी बाहरी संक्रमण की स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम तत्काल उससे लडऩा शुरू कर देता है। इतना ही नहीं, कई लक्षणों के माध्यम से वह शरीर के भीतर पैदा होने वाली गडबडी का संकेत भी देता है। यूटीआइ भी एक ऐसा ही संक्रमण है। पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को यह समस्या ज्यादा परेशान करती है क्योंकि उनकी शारीरिक संरचना ऐसी होती है कि स्टूल डिस्चार्ज के समय जो भी बैक्टीरिया या फंगस शरीर से बाहर आता है, वह बडी आसानी से यूरिनरी ट्रैक की दीवारों से चिपक सकता है और इन्फेक्शन पैदा करने लगता है। अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो यह संक्रमण ब्लैडर और किडनी तक पहुंच जाता है।

प्रमुख वजह

-टॉयलेट के इस्तेमाल या सेक्स संबंध के बाद व्यक्तिगत सफाई का ध्यान न रखना

-यूरिन के प्रेशर को देर तक रोके रखना

-किडनी में स्टोन या डायबिटीज

-स्त्रियों के शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हॉर्मोन वजाइना के भीतरी हिस्से में सुरक्षा कवच की तरह एक प्रोटेक्टिव लेयर बना कर रखता है, लेकिन मेनोपॉज के बाद उनके शरीर में इस हॉर्मोन की कमी हो जाती है। इससे अधिक उम्र की स्त्रियों में यूटीआइ की आशंका बढ जाती है।

-जिन पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैंड के बढऩे की समस्या होती है, उनमें यूटीआइ की आशंका बढ जाती है।

प्रमुख लक्षण

-बार-बार टायलेट जाने की जरूरत महसूस होना और थोडा-थोडा यूरिनेशन होना

-यूरिनेशन के दौरान जलन और दर्द

-प्राइवेट पाट्र्स में खुजली

-यूरिन में तेज दुर्गंध और रंगत में बदलाव

-बुखार और पेट के निचले हिस्से में दर्द

कैसे करें बचाव

-यूरिन के प्रेशर को देर तक रोकना सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।

-सेक्स संबंध से पहले और उसके बाद टॉयलेट जरूर जाना चाहिए। इस दौरान पर्सनल हाइजीन ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

-पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल के पहले और बाद में फ्लश जरूर करें। ध्यान रखें कि टॉयलेट सीट साफ और सूखी हो।

-भरपूर पानी पिएं। अगर संक्रमण हो तो अपने खानपान में ठंडे और तरल पदार्थो की मात्रा बढा दें। ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें। इससे शरीर में मौजूद नुकसानदेह तत्व आसानी से बाहर निकल जाते हैं।

-आजकल बाजार में प्राइवेट पाट्र्स के हाइजीन को बरकरार रखने का दावा करने वाले कई तरह के स्प्रे मौजूद हैं, पर डॉक्टर की सलाह के बगैर उनका इस्तेमाल न करें।

-अगर कभी ऐसी समस्या हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं और उसके द्वारा दी गई सभी दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें। ज्यादातर स्त्रियां थोडा आराम मिलने पर बीच में ही दवा छोड देती हैं, इससे उन्हें दोबारा यह संक्रमण हो जाता है। इसलिए यूटीआइ होने पर एंटीबायोटिक्सका कोर्स अधूरा न छोडें।

इन्फेक्शन होने पर शारीरिक संबंधों से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है।

ऐसी स्थिति में मसालेदार भोजन, कॉफी और एल्कोहॉल के सेवन से बचें।

अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो यह समस्या आसानी से दूर हो जाती है।

विनीता

( सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. माला श्रीवास्तव से बातचीत पर आधारित)


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