पैरों का भी रखे खयाल
नेल फंगस आम समस्या है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। समय पर ध्यान न दिया जाए तो समस्या गंभीर हो सकती है। जानें क्यों होता है यह संक्रमण और इससे बचाव कैसे संभव है।
By Edited By: Published: Tue, 07 Feb 2017 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2017 04:31 PM (IST)
पैर के नाखून गंदे दिखने लगें, किनारों पर कालापन सा हो या उंगलियों के बीच के हिस्से की त्वचा कटने-फटने लगे तो समझ लें कि नेल फंगस की समस्या हो गई है। डर्मेटोलॉजी की भाषा में इसे ऑनिकोमिकॉसिस कहा जाता है। आजकल यह समस्या काफी लोगों को होने लगी है। फंगस गंदगी के कारण पैदा होता है। यीस्ट्स या मोल्ड्स भी इसका कारण हैं। फंगस ज्यादातर गर्म और नम वातावरण में पैदा होता है। मॉयस्चर वाली जगहों जैसे मुंबई या गोवा की जलवायु में इसके पनपने के आसार ज्यादा होते हैं। पुरुषों में यह इन्फेक्शन अधिक होता है क्योंकि वे जूते-मोजे ज्यादा पहनते हैं। क्यों होता है संक्रमण 1. पसीना अधिक आने से। 2. परिवार में पहले किसी को हुआ हो। 3. नमी वाली जगहों पर काम करने वाले लोगों जैसे- किसानों, हाउसकीपिंग या बारटेंडिंग के क्षेत्र में कार्यरत लोगों को। 4. ऐसे जूते-मोजे, जिनमें हवा की आवाजाही ठीक से न हो, संक्रमण पैदा कर सकते हैं। 5. संक्रमित व्यक्ति से दूसरों को। 6. नंगे पैर स्विमिंग पूल या जिम में रहने से। 7. एथलीट फुट वाले लोगों को। 8. त्वचा या नाखून पर चोट लगने से। 9. डायबिटीज, ब्लड सर्कुलेशन प्रॉब्लम या कमजोर इम्यून सिस्टम से पीडित लोगों के अलावा डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों को भी यह संक्रमण अधिक होता है। लक्षण इस संक्रमण में नाखूनों की चमक गायब हो जाती है। वे भद्दे और मटमैले दिखने लगते हैं। कई बार नाखून या आसपास की त्वचा पर खुजली, सूजन या दर्द होता है। डायबिटीज के रोगियों या लंबी बीमारी की दवा लेने वालों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिस कारण उन्हें फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। डायबिटीज अनियंत्रित होने से कई बार पैर में रक्त-संचार धीमा होता है, जिस कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाता है। फंगस से ग्रस्त पैर में कोई भी बाहरी चोट या खरोंच आदि लग जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इलाज की प्रक्रिया ट्रीटमेंट के तीन तरीके हैं- 1. ओरल एंटी फंगल क्रीम्स (डॉक्टर के निर्देशानुसार ही इन्हें खरीदें) 2. टॉपिकल फॉर्म्युलेशन 3. सर्जरी (समस्या गंभीर होने पर आधे या पूरे नाखून की सर्जरी की जाती है) 4. लेजर्स : टो फंगस के लिए आजकल एफडीए से मान्यता प्राप्त लेजर तकनीक भी उपलब्ध हो चुकी है। इसके अलावा कुछ नई दवाएं भी आ रही हैं। बचाव 1. नियमित एंटी फंगल स्प्रे और पाउडर इस्तेमाल करें। ये क्रीम्स मेडिकल स्टोर्स में आसानी से उपलब्ध होती हैं। 2. शॉवर लेने के बाद अपने पैरों को टॉवल से अच्छी तरह साफ करें। उंगलियों के बीच की स्किन को अच्छी तरह सुखा लें। 3. हमेशा ऐसे मोजे पहनें जो पसीना या नमी सोख सकें। उन्हें रोज धोएं। 4. सोने से पहले एंटी-फंगल क्रीम लगाएं। 5. लंबे समय तक आर्टिफिशियल नेल्स या नेल पेंट्स न लगा कर रखें। 6. सार्वजनिक स्थलों पर नंगे पैर न चलें। 7. फंगस होने पर खुले जूते-सैंडिल पहनें। जितना संभव हो, पैरों पर हवा लगने दें। द्य इंदिरा इनपुट्स : डॉ. अप्रतिम गोयल, डर्मेटोलॉजिस्ट, लेजर सर्जन, क्युटिस स्किन स्टूडियो, दिल्ली
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