वह उसे जरूर सजा देता...
जब कोई हमारी तारीफ करता है, तो हम खुशी से फूल उठते हैं। लेकिन वही व्यक्ति जब हमें अपशब्द कहने लगता है तो हम उसे कोसने लगते हैं।
एक बार मुल्ला इस्माइल इसफहानी नमाज पढ़ रहे थे। एक दुष्ट व्यक्ति वहां से गुजरा और उन्हें अपशब्द कहने लगा। लेकिन मुल्ला साहब उस ओर ध्यान न देते हुए नमाज पढ़ते रहे। बाद में नमाज खत्म होने के बाद उनके एक शिष्य मिर्जा मुकीम ने पूछा, 'यह दुष्ट आपको इतने अपशब्द कह रहा था, और आप उसे नजरअंदाज कर रहे थे। आपकी जगह और कोई होता तो वह उसे जरूर सजा देता।'
तब मुल्ला इस्माइल बोले, भाई एक व्यक्ति होंठ हिला रहा है, उसके सामने थोड़ी सी हवा चल रही है। मगर क्या वह हमारा कुछ बिगाड़ रही है? नहीं ना। फिर क्यों हम अपने ध्यान को खुदा से हटाकर इस व्यक्ति की तरफ लाएं। इससे हमारे काम में ही हर्ज होगा।
मुल्ला ने आगे कहा, 'जब कोई हमारी तारीफ करता है, तो हम खुशी से फूल उठते हैं। लेकिन वही व्यक्ति जब हमें अपशब्द कहने लगता है तो हम उसे कोसने लगते हैं। तब हम यह भूल जाते हैं कि यही व्यक्ति थोड़ी देर पहले हमारी तारीफ कर रहा था। इसलिए कहा गया है कि निंदा,स्तुति की ओर ध्यान न देकर हमें तो चुपचाप अपने काम में लगे रहना चाहिए।'