ये लो बकाया..
मिसाल कुमार मैंने जो कभी किसी से नफरत किया था, मैंने जो कभी किसी पर व्यंग्य किया था, मैंने जो कभी किसी का दिल दुखाया था, जो भी मेरा किया धरा था, वो मेरा बकाया मुझे मिल गया। किस कहानी का कौन सा माथा.. जो अधूरा सा रह गया था कुछ घिसा पिटा सा उग आया है, और मुझे मेरा बकाया मिल गया। अब तो
By Edited By: Published: Wed, 11 Jun 2014 04:08 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jun 2014 04:08 PM (IST)
मिसाल कुमार
मैंने जो कभी किसी से नफरत किया था,
मैंने जो कभी किसी पर व्यंग्य किया था,
मैंने जो कभी किसी का दिल दुखाया था,
जो भी मेरा किया धरा था, वो मेरा बकाया मुझे मिल गया।
किस कहानी का कौन सा गाथा..
जो अधूरा सा रह गया था कुछ घिसा पिटा सा उग आया है,
और मुझे मेरा बकाया मिल गया।
अब तो शायद याद नहीं और मेरा गणित भी अच्छा नहीं,
पर किसी के पास मेरा कुछ नया पुराना पड़ा होगा,
कृपा कर जल्दी लौटा देना होगा, बाकी तो मुझे मेरा बकाया मिल गया।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें