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टूटे पुल से

सेमल के फूल में अब तो उड़ती हुई रुई सी

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 01:40 PM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 01:42 PM (IST)
टूटे पुल से
टूटे पुल से

हम टूटे पुल से हुए

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हो गए भीतर तक सूने

नदी एक वहां बहती थी

बहुत खूबसूरत सी

सेमल के फूल में अब तो

उड़ती हुई रुई सी

हम छोटे घर से हुए

बाढ़ में पाए दुख दूने

रखकर जेब में भावों को

बाजार तलक दौड़े

दौड़ लगाते थे गांव में

वे सूरज के घोड़े

हम मां के दुख से हुए

छान से लग जाते चूने

लगे चिड़ियों से डैनों से

उड़ते बादल दिन के

दिखते नील पंखुड़ियों में

कब के सूखे तिनके

हम उड़ते डैने हुए

लगते सीवान को छूने।

(प्रतिष्ठित नवगीतकार, अनेक गीत संग्रह

प्रकाशित)

2, कैजर बंग्लो, कपाली रोड (कदमा सोनारी लिंक)

कदमा, जमशेदपुर 831005, झारखंड)

शांति सुमन्


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