Move to Jagran APP

कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म का बाधक नहीं होता है

कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म का बाधक नहीं होता है। खोट हमारे मन में होता है कि हम अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे धर्म को तुच्छ समझते हैं। और घृणा के पथ पर चल देते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 14 Jun 2016 11:09 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jun 2016 11:28 AM (IST)

बहुत समय पहले आरिफ सुभानी नाम के दरवेश हुए थे। उन्हें दुनिया की किसी भी वस्तु से मोह-माया नहीं थी। पहनने के लिए कपड़ों के अलावा उनके पास दूसरी कोई ओर चीज न थी। शांतिप्रिय और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले इस दरवेश का स्वभाव दूसरों से मेल भी नहीं खाता था।

loksabha election banner

आरिफ सुभानी मंदिर, मस्जिद और चर्च में कोई भेद नहीं देखते थे। एक बार उनके पास एक व्यक्ति रियाज सीखने आया। उन्होंने पूछा, क्या तुम्हें और कोई नहीं मिला? उस व्यक्ति ने कहा, आपसे ही सीखना है। यह बात सुनकर दरवेश ने कहा, यदि तुम मुस्लिम हो तो ईसाईयों के पास जाओ। अगर शिया हो तो इखराजियों( एक मुस्लिम संप्रदाय) के पास जाओ। और यदि सुन्नी हो तो ईरान जाओ।

आरिफ सुभानी की बातें सुनकर वह व्यक्ति हैरान हो गया। दरवेश ने उसकी तरफ एकटक देखा और फिर कहा, मेरे कहने का मतलब है कि तुम जिस धर्म को मानते हो, उस धर्म को न मानने वाले के पास जाओ। उनके पास जाने पर वह तेरे धर्म की निंदा करेंगे। तुम सुनते रहना। और तुम्हें इतनी सहिष्णुता आ जाए कि विरोधियों की बातों का बुरा न लगे तो तुम्हें सच्ची शांति मिलेगी। और तू खुदा के बंदों में अपना स्थान बना लेगा।

संक्षेप में

कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म का बाधक नहीं होता है। खोट हमारे मन में होता है कि हम अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे धर्म को तुच्छ समझते हैं। और घृणा के पथ पर चल देते हैं। इसीलिए ऐसी स्थिति से सदैव बचना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.