Move to Jagran APP

कूड़ा बीनने वाली एक लड़की से मिला सबक

बात उस समय की है, जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। मेरा घर मेरे स्कूल से कुछ ही दूरी पर था। मैं अपनी कक्षा में पढ़ने में बहुत होशियार थी, पर मेरे अंदर एक बहुत बड़ी कमी थी कि मैं समय की पाबंद नहीं थी। स्कूल जाने के सिर्फ

By deepali groverEdited By: Published: Mon, 08 Dec 2014 11:34 AM (IST)Updated: Mon, 08 Dec 2014 01:12 PM (IST)

बात उस समय की है, जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। मेरा घर मेरे स्कूल से कुछ ही दूरी पर था। मैं अपनी कक्षा में पढ़ने में बहुत होशियार थी, पर मेरे अंदर एक बहुत बड़ी कमी थी कि मैं समय की पाबंद नहीं थी। स्कूल जाने के सिर्फ आधा घंटे पहले उठती थी और जल्दी-जल्दी सारे काम निपटाकर स्कूल भागती थी। मेरी मम्मी मेरे इस व्यवहार से बहुत परेशान रहती थीं। लेकिन मुझ पर किसी की बात का कोई असर नहीं होता था।

loksabha election banner

इसी तरह मैंने हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की। मेरी मम्मी ने सोचा कि शायद बडी क्लास में जाकर मैं सुधर जाऊंगी। पर इंटरमीडिएट में भी मेरा रवैया वही था। चूंकि पापा बाहर रहते थे, इसलिए मुझे किसी का डर भी नहीं था।

एक दिन मेरी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया, जब मैंने एक कचरा उठाने वाली लड़की से समय का महत्व समझा। एक दिन मैं घर से स्कूल जा रही थी। जनवरी की कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। मैंने सिर से पैर तक अपने आपको ढक रखा था। तभी मेरी नजर रास्ते में कचरा बीन रही एक छोटी से लड़की पर पड़ी। मैं उसे देखकर ठिठक गई। इतनी सर्दी में भी उसने सिर्फ एक शॉल ओढ़ रखा था और बहुत तल्लीनता के साथ कचरा बीन रही थी। मैंने सोचा, 'इतनी ठंड में यह इतनी सुबह-सुबह कचरा क्यों बीन रही है? धूप निकलने के बाद भी तो बीन सकती थी।' दूसरे दिन फिर मैंने उसे देखा। अब तो मेरी जिद हो गई कि मैं इस छोटी लड़की से पहले आऊंगी और देखूंगी कि यह सुबह कितने बजे यहां आ जाती है। यह सिलसिला पूरे दो हफ्ते चला, पर वह लड़की हमेशा मुझसे जल्दी आ जाती थी।

एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया कि तुम इतनी सर्दी में इतनी सुबह कचरा बीनने क्यों आती हो? उसने जो जवाब दिया, उससे मुझे जीवन में समय का महत्व समझ में आ गया। उसने जवाब दिया, 'जब इतनी सुबह आते हैं, तभी तो दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं दीदी, अगर सूरज निकलने का इंतजार करेंगे तो पेट की आग नहीं बुझा पाएंगे।'

उस दिन से आज तक मैंने कभी अपना टाइम बर्बाद नहीं किया। आज मैं एम.ए. इंग्लिश से कर रही हूं और समय का सदुपयोग कर रही हूं।

माया सविता, कानपुर (उत्तर प्रदेश)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.