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मुझे सीखने का जुनून है..

दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कालेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन, फिर एडवरटाइजिंग व पीआर में पोस्ट ग्रेजुएशन तत्पश्चात लॉ की डिग्री और इंटीरियर डिजाइन में लंदन से डिप्लोमा करने वाली मशहूर इंटीरियर डिजाइनर लिपिका सूद जीवन में अनेक उतार चढ़ावों से जूझने के बावजूद सफलता की सीढि़यों पर दृढ़ता से आगे बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने अपनी लगन, मेह

By Edited By: Published: Mon, 11 Nov 2013 03:00 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2013 03:00 PM (IST)

दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कालेज

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से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन, फिर एडवरटाइजिंग व पीआर में पोस्ट ग्रेजुएशन तत्पश्चात लॉ की डिग्री और

इंटीरियर डिजाइन में लंदन से डिप्लोमा करने वाली मशहूर इंटीरियर डिजाइनर लिपिका सूद जीवन में अनेक उतार चढ़ावों से जूझने के बावजूद

सफलता की सीढि़यों पर दृढ़ता से आगे बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने अपनी लगन, मेहनत और पैशन से बनाया है अपने को कुछ खास। उनसे बातचीत के मुख्य अंश

अपनी फैमिली बैकग्राउंड के बारे में कुछ बताएं?

मैं बंगाली हूं, लेकिन मेरा जन्म और पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में ही हुआ है। मेरे पापा इंजीनियर थे और मां हाउस वाइफ। हम दो बहने हैं और मेरा एक छोटा भाई है। हम सभी सेटल हैं। मेरी शादी पंजाबी फैमिली में हुई है और मेरे पति फोटोग्राफर हैं।

आप बचपन में शरारती थीं या शांत प्रवृत्ति की?

मैं बहुत शरारती थी। मैं अपने स्कूल की हेडगर्ल भी थी। लीडरशिप की

क्वालिटी मेरे अंदर शुरू से ही थी। सभी लोग कहते थे कि बड़ी होकर जरूर लीडर बनेगी।

कला के प्रति रुचि बचपन से ही थी?

मां की वजह से ही मेरी रुचि कला

के प्रति हुई। जब मैं पेंटिंग करती थी तो मां बताती थीं कि कैसे पेपर पर पेंटिंग करनी चाहिए।

इंटीरियर डिजाइनर कैसे बनीं?

जब मुझे ताज होटल में प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट में इंटीरियर का काम देखने

को मिला, तब मुझे एहसास हुआ कि मेरे लिए यही सबसे अच्छा काम है। इसमें क्रिएटिविटी के साथ साथ चैलेंज भी है। उसी समय मैंने तय किया कि मुझे इसी फील्ड में अपना कॅरियर बनाना है।

अब तक कितने प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी हैं और सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कौन सा रहा?

मेरे लिए यह कहना बहुत ही मुश्किल है कि अभी तक कितने प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी हूं और सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कौन सा है। मैं इस फील्ड में 25 साल से काम कर रही हूं। मैं हमेशा यही सोचती हूं कि अगला प्रोजेक्ट इससे भी बेहतर करूंगी। मेरे अंदर सीखने की सदैव भूख रहती है।

अपनी पहचान बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ी?

अधिक नहीं, सब अपने आप हो गया। मैं सिर्फ अपने काम पर फोकस करती हूं। मेरी कोशिश यही रहती है कि मेरे क्लाइंट संतुष्ट रहें।

घर-परिवार को देखते हुए वर्क प्लान कैसे करती हैं?

यह सच है कि मैंने बहुत परिश्रम से अपने घर-परिवार और प्रोफेशन को बैलेंस किया है। खासकर महिलाओं के लिए यह बहुत ही चैलेंजिंग काम है। फिर भी करना तो पड़ता ही है।

कॅरियर में परिवार का कितना सहयोग रहा?

शुरू में हमारी फैमिली को समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रही हूं। वे सोचते थे कि काफी पढ़ाई-लिखाई करने के बावजूद यह अपना समय बर्बाद कर रही है, लेकिन पति समझते थे, इसलिए उनका बहुत सहयोग रहा है। बाद में सास-ससुर का भी सपोर्ट मिलने लगा।

परिवार में सबसे अधिक किससे अटैच हैं?

मैं मां और पापा से बहुत अटैच हूं। इसके अलावा अपनी बड़ी बेटी से भी बहुत अटैच हूं। मैं उससे इतनी क्लोज हूं, जैसे दो बहनें। उसी तरह हम दोनों रहते हैं। मैं उससे सारी बातें शेयर करती हूं।

इस प्रोफेशन में आपकी बेस्ट फ्रेंड कौन है?

इस फील्ड में मेरा कोई बेस्ट फ्रेंड नहींहै। बेस्ट फ्रेंड मेरे पति और बड़ी बेटी है।

अपने परिवार और प्रोफेशन में सामंजस्य कैसे बिठाती हैं?

मेरे लिए फस्ट प्रायरटी परिवार है और सेकेंड में प्रोफेशन। जब तक मेरे सास और ससुर जीवित थे, मुझे तालमेल बिठाकर चलना पड़ता था। मैंने अपने ब'चों को भी समझाया है कि कॅरियर बनाना बहुत जरूरी है और वही आपको आगे लेकर जाएगा, लेकिन इसके साथ-साथ परिवार के लिए समय निकालना भी बेहद जरूरी है।

क्या कुकिंग का शौक है। अगर है तो क्या बनाना पसंद करती हैं?

मैं खाने की बेहद शौकीन हूं, लेकिन अफसोस की बात है कि मेरा बनाया हुआ खाना कोई चखना ही नहीं चाहता है। वैसे, मेरा खाना बनाने में मन भी नहीं लगता है।

अपनी फिटनेस पर ध्यान देती हैं?

हां, मैं रोज योगा करती हूं। उसी से अपने को फिट रखने का प्रयास करती हूं। मैंने बहुत सी जिम का डिजाइन किया है, लेकिन मैं वहां कभी नहीं जाती हूं। दरअसल, वहां भारी-भरकम मशीनों को देखकर ही मेरा दिल घबरा जाता है।

आपकी खूबसूरती का राज क्या है?

मैं कभी भी अपने को ओल्ड नहीं समझती हूं। उम्र तो एक नंबर है। मैं दिमागी तौर पर अपने को बहुत यंग समझती हूं। मैं हमेशा अच्छा सोचती हूं, जिसका प्रभाव मेरे शरीर पर भी पड़ता है। यही मेरी खूबसूरती का राज है। इसके अलावा मैं डाइटिंग बिल्कुल नहीं करती हूं और जमकर खाती हूं।

आपकी हॉबी क्या है?

मेरा काम ही मेरी हॉबी है बन गया है। इसके अलावा मेरी कोई हॉबी नहीं है।

अपनी जिंदगी को किस नजर से देखती हैं?

एक इंसान को दूसरे के बारे में जरूर सोचना चाहिए। जो लोग दूसरों के बारे में सोचते हैं, वही लोग अधिक सफल होते हैं।

मुश्किलों का सामना कैसे करती हैं?

सभी के जीवन में मुश्किलें आती हैं और आती रहेंगी, लेकिन उन्हीं दिनों में इंसान की पहचान होती है। बुरे दिनों में ही आदमी अपने को समझ पाता है और दूसरे को परखता है।

क्या कभी हताश या निराशा का सामना करना पड़ा?

हां, जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया कि बस में सफर करना पड़ा। स्टाफ को सैलरी देने के पैसे तक नहीं थे। ब'चे के जन्म के बाद भी मुझे आराम करने का मौका नहीं मिला, क्योंकि मेरे लिए काम करना बेहद जरूरी था। मेरी माली हालत ठीक नहीं थी। अ'छा हो या बुरा समय बीत जाता है। बस, उसकी यादें रह जाती हैं।

टाइम मैनेजमेंट कैसे करती हैं?

मैं कभी भी टाइम मैनेजमेंट नहीं करती हूं, पर पीपुल मैनेजमेंट जरूर करती हूं। तभी मैं अपने काम को सही तरीके से कर पाती हूं।

धर्म को आप किस रूप में देखती हैं?

मैं नियमित रूप से पूजा-पाठ नहीं करती हूं, जबकि मैं हिंदू हूं। दरअसल, मैं कर्म में विश्वास करती हूं। मैं मानती हूं कि एक आदमी को दूसरे आदमी की सदैव इज्जत करनी चाहिए। मेरे लिए यही सबसे बड़ा धर्म है।

अगर ईश्वर से कुछ मांगना हो तो क्या मांगना पसंद करेंगी?

बचपन से ही मां-पापा ने सिखाया है कि कभी भी भगवान से कुछ नहीं मांगना चाहिए। उन्होंने जो कुछ हमें दिया है, उसके लिए हमेशा धन्यवाद देना चाहिए।

आप दिल्ली में रहती हैं। आपको लगता है कि यह सेफ सिटी है?

मैं पूरा व‌र्ल्ड घूम चुकी हूं। सभी जगह एक ही स्थिति है। यह कहना गलत होगा कि दिल्ली सेफ नहीं है। यह सिटी पहले भी अनसेफ थी और आज भी है। महिलाओं को अपने आपको बचाकर चलना होगा। लड़कों को सिखाना चाहिए कि महिलाओं की इज्जत करें। तभी समाज में बदलाव

आ सकता है। यदि कोई इस प्रोफेशन में आना चाहता है तो क्या सलाह देंगी?

यह बहुत ही टफ प्रोफेशन है। लोग सोचते हैं कि इस फील्ड में नाम, पैसा और ग्लैमर सब है। अगर वे ग्लैमर की चकाचौंध से प्रभावित होकर इस फील्ड में आना चाहते हैं तो मैं उनसे यही कहूंगी कि आपके लायक यह जगह नहीं है। दरअसल, उन्हीं लोगों को इस प्रोफेशन में आना चाहिए, जो मेहनती होने के साथ-साथ क्रिएटिव भी हैं। इसके अलावा यह जरूर ध्यान रखें कि इंटीरियर डिजाइनर की पढ़ाई करने के बाद किसी एक फील्ड में स्पेशलाइजेशन जरूर करें।

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