मूड ठीक तो है..
इशिता जिंदादिल हैं.. लीगल एडवाइजर होने के साथ सोशलाइट भी हैं, पर अपने मूड स्विंग से परेशान हैं..। वह कहती हैं, 'मैं बहुत पापुलर और वैल्यू फेस हूं अपने क्लब का, पर कभी-कभी अचानक मेरा मूड खराब हो जाता है और मेरा व्यवहार भी बेहद रूखा हो जाता है.. जिसकी वजह से मेरे रिलेशन बहुत कमजोर हो
इशिता जिंदादिल हैं.. लीगल एडवाइजर होने के साथ सोशलाइट भी हैं, पर अपने मूड स्विंग से परेशान हैं..। वह कहती हैं, 'मैं बहुत पापुलर और वैल्यू फेस हूं अपने क्लब का, पर कभी-कभी अचानक मेरा मूड खराब हो जाता है और मेरा व्यवहार भी बेहद रूखा हो जाता है.. जिसकी वजह से मेरे रिलेशन बहुत कमजोर हो जाते हैं और लोग मुझे बहुत तुनकमिजाज समझते हैं'।
सच है, छोटी-छोटी घटनाएं और बातें हमारे मूड को खराब कर देती हैं और चाहे न चाहे फिर भी उस दिन तो हमारी प्रोडक्टीविटी जीरो हो ही जाती है। कभी-कभी तो मूड खराब होने का कोई ठोस कारण होता है, पर अधिकतर मामलों में यह हमारी सोच पर निर्भर करता है।
'मूड डिसआर्डर' का शिकार हर उम्र, तबके और स्टेटस का व्यक्ति हो सकता है। यह एक गंभीर साइकोलॉजिकल डिसआर्डर है, जो हमारे व्यवहार को अनिश्चित और व्यक्तित्व को रहस्यमयी बना देता है। धीरे-धीरे इससे ग्रसित व्यक्ति नियंत्रणहीन हो जाता है और उसे स्वयं भी नहीं पता होता है कि कब उसका मूड खराब होगा और कब ठीक।
मूड है क्या
अक्सर सुनने में आने वाला यह शब्द वर्तमान में जीवनशैली और कुंठाओं का परिणाम है। मूड वैचारिक प्रक्रिया की उस दशा को कहते हैं, जहां व्यवहार तय होता है। 'टेंपरेरी थॉट अरेंजमेंट' ही मूड है, जहां त्वरित घटना का त्वरित व्यवहारात्मक निस्तारण होता है।
मूड डिसआर्डर क्यों होता है
मूड डिसआर्डर के लिए परिस्थितियां सोचने और विश्लेषण करने के तरीके के साथ एस्ट्रोजेन और इस्ट्रोजेन हार्मोन का असंतुलन भी जिम्मेदार है, पर इन सबसे ज्यादा व्यक्ति विशेष का व्यक्तित्व, उसका दृष्टिकोण असर डालता है। हमारा अवचेतन मन विशेष कल्पनाएं और अपेक्षाएं करता है और यदि वास्तविकता उससे परे होती है तो मूड खराब हो ही जाता है..। मसलन हमने सोचा कि हमारा प्रजेंटेशन देखकर बास वाह कर बैठेंगे, पर वाहवाही तो दूर बास ने 'और मेहनत करो' की सलाह दे दी..। कल्पना और वास्तविकता में अंतर हुआ और नतीजा मूड खराब।
मूड डिसआर्डर के परिणाम
यदि आप मूड डिसआर्डर की शिकार हैं तो यह जान लीजिए कि सामान्य जीवन जीने में भी आपको ज्यादा इनपुट देने होंगे, क्योंकि 'पल में तोला, पल में मासा' स्वभाव वाले व्यक्ति को लोग ज्यादा पसंद नहीं करते। अनिश्चित व्यवहार न सिर्फ हमें, बल्कि हमसे जुड़े लोगों को भी परेशान करता है।
प्रोफेशनल लाइफ पर प्रभाव
-आपका संगठन/कंपनी आपको महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स देने से कतराएगा, क्योंकि क्या पता कब आप 'मूड' के कारण फिनिशिंग टच न दें।
-मूड डिसआर्डर का असर टीम मैनेजमेंट पर पड़ता है, जो सीधे आपकी पदोन्नति को प्रभावित करता है।
-आपसे लोग निश्चित दूरी बनाकर रखेंगे। इससे आपकी लोकप्रियता पर असर पड़ता है।
पर्सनल लाइफ पर प्रभाव
-मूड डिसआर्डर से घर का माहौल बिगड़ता है। यहां खुशियां आपके मूड की मोहताज बनी रहती हैं।
-यदि माता-पिता में से कोई भी मूड डिसआर्डर का शिकार है तो बच्चों पर भी इसका प्रभाव आ जाता है।
-मित्रों व सामाजिक रिश्तों में भी इसका असर आपको सनकी व अविश्सनीय घोषित कर देता है।
-आप खुद को भी इस 'मूड डिसआर्डर' के कारण नान एडजस्टेबल मानती हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
-बुझी आंखें, निस्तेज चेहरा, अस्त-व्यस्त पहनावा और कमजोर शरीर.. कारण मूड डिसआर्डर ही है।
-अक्सर मूड डिसआर्डर का असर माहवारी और मेनोपाज जैसी प्रक्रियाओं पर भी पड़ता है।
-इनफर्टिलिटी, पॉलिसिस्टिक ओवरी, ओवेरियन फेल्योर जैसी समस्याओं में मूड की भी भूमिका होती है।
-माइग्रेन, हाइपरटेंशन, हार्टस्ट्रोक, डिप्रेशन, डाइजेशन, न्यूरोलॉजिकल व अन्य साइकोसोमैटिक समस्याएं मूड डिसआर्डर का ही परिणाम हैं।
-अच्छा मूड हमारी शारीरिक फिटनेस और आकर्षण को बढ़ाता है।
निश्चित मानिए, यदि आपने मूड मैनेजमेंट सीख लिया तो लोग आपके जादू के कायल हो जाएंगे।
(लेखिका साइकोलॉजिकल काउंसलर व कॉर्पोरेट ट्रेनर हैं)