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जब तुम गर्भ में आए, तब से सुन रही हूं तुम्हारी आहट..

मातृत्व..। दुनिया का सबसे पवित्र, अहसास है। मां दूर होकर भी अपने बच्चों के पास रहती है। पता नहीं 'टेलीपैथी' जैसी कोई चीज होती है या नहीं, पर अगर होती होगी तभी शायद दूर बैठे बच्चे का अबोला दर्द किसी मां के चेहरे पर पढ़ा जा सकता है। दरअसल, गर्भ से शुरू हुए इस अनूठे रिश्त

By Edited By: Published: Sat, 10 May 2014 12:54 PM (IST)Updated: Sat, 10 May 2014 12:54 PM (IST)
जब तुम गर्भ में आए, तब से सुन रही हूं तुम्हारी आहट..

मातृत्व..। दुनिया का सबसे पवित्र, अहसास है। मां दूर होकर भी अपने बच्चों के पास रहती है। पता नहीं 'टेलीपैथी' जैसी कोई चीज होती है या नहीं, पर अगर होती होगी तभी शायद दूर बैठे बच्चे का अबोला दर्द किसी मां के चेहरे पर पढ़ा जा सकता है। दरअसल, गर्भ से शुरू हुए इस अनूठे रिश्ते में मां और बच्चे के बीच एक 'अमूक' समझ होती है, जो स्वत: स्वाभाविक रूप से विकसित होती रहती है..। मदर्स डे के मौके पर आइए मिलते हैं कुछ जाने-माने सेलेब्रिटीज से जो इसी 'अनबूझे' अहसास को साझा कर रहे हैं..

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मेरा अंश मेरी दुनिया

हिमानी शिवपुरी, अभिनेत्री

जब मेरा बेटा कात्यायन बहुत छोटा था, उसने अपने पिता को खो दिया था। उस वक्त मैंने खुद को संभाला तो बस कात्यायन के लिए। उसका दून स्कूल में दाखिला करा दिया, ताकि वह मेरे दुख से दूर रहे। उन दिनों मेरा शिड्यूल बहुत टाइट रहता था। उससे बात नहीं हो पाती थी, पर जब भी बात करती, वह मुझसे बात करने के बजाय, मेरे दर्द को सुनता था, जिसे मैं बड़े जतन से छुपाने की कोशिश में लगी रहती। जब वह कहता कि मां तुम नहीं मिलने आ पाई तो क्या हुआ, तुम्हारा काम भी जरूरी है तो यह सुनकर मैं रो पड़ती! कात्यायन अब बड़ा हो गया है। वह मेरा अंश ही नहीं है, बल्कि मेरा मन, मेरी दुनिया उसी से है। वह अब हरदम मेरे साथ रहता है, लेकिन इसके बावजूद उसके लिए मेरी तड़प पहले जैसी है। जरा भी नहीं बदली।

साड़ी में समेटती हूं याद

नेहा मेहता, टीवी आर्टिस्ट

मैं शुरू से मां से दूर रही। स्कूल में हाफ बोर्डिग में पढ़ी इसके बाद कॉलेज के लिए अपने शहर से दूर रहकर पढ़ने चली आई। दूर रहते-रहते उनसे दूर रहने की आदत हो गई। दूसरों की तरह, उनके खाने, उनकी लोरियों को ज्यादा मिस नहीं करती, पर जब भी उनकी याद आती है, इसका एक उपाय है मेरे पास। यह मैं शुरू से करती हैं, वो यह कि मैं मां की पुरानी साडि़यों को अपने पास रखती हूं। साड़ी पास रखकर लगता है, जैसे मां के आंचल मैं जब चाहे तब छुप सकती हूं, उनके साथ अठखेलियां कर सकती हूं।

रहती है साए की तरह

सपना मुखर्जी, सिंगर

ईश्वर की दया से मैंने प्लेबैक सिंगिंग में खूब नाम कमाया। इतनी सारी उपलब्धियों के केंद्र में एक ही शख्स है मेरी मां। उन्होंने कहा था कि जीवन में एक लक्ष्य रखो और उसे पूरा करने में पूरी तरह रम जाओ। उनकी बात मैंने मान ली और उनकी दुआ कुबूल हुई। मैं मुंबई में हूं और वह दिल्ली में। इसके बाद भी पता नहीं कैसे उन्हें खबर लग जाती है कि मैं उदास हूं या मेरी तबियत नासाज है। वह तकरीबन अस्सी वर्ष की हैं, लेकिन मैं हैरान हो जाती हूं, जब वह आज भी बिन देखे, मेरे मन की थाह ले लेती हैं। कॅरियर हो या निजी जिंदगी, उनकी हामी के बिना मेरा कोई काम नहीं होता।

'हलो' बता देता है हाल

इंदु भांबरी

टेनिस चैंपियन यूकी की मां

मेरे तीन बच्चे हैं। मेरी दोनों बेटियों की जिम्मेदारी इनके पापा संभालते थे। ऐसे में, सबसे छोटे यूकी की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर ही थी। यह आज तक है। टूर्नामेंट्स के सिलसिले में वह अक्सर बाहर रहता है। उसकी सारी चीजें मैं ही मैनेज करती हूं। उसने अपने आपको विदेशी खानपान में एडजस्ट कर लिया है, पर यह जानते हुए भी जब वह विदेश यात्रा पर होता है, मैं चैन से नहीं रह पाती। उसने क्या खाया होगा, कैसे दिन बिताया होगा, ऐसी तमाम छोटी-छोटी बातें मेरे लिए एक सीरियस इश्यू होती हैं। मैं एक मां हूं, यह समझकर वह मुझे प्यार से समझा देता है। इसके बावजूद मेरी 'आदत' जाती नहीं। बस किसी तरह उसका एक 'हलो' सुनना चाहती हूं। उसकी आवाज सुनकर मुझे कुछ पल के लिए ही सही शांति मिल जाती है।

कोई ताबीज हो तुम

सृष्टि राणा, मॉडल व मिस इंडिया

पेसिफिक व‌र्ल्ड

मां के बारे में क्या कहूं। बस कह सकती हूं कि वह एक अहसास है, जिसके बिना दुनिया की हर चीज खोखली है। मां एक ताबीज है, जो दूर रहकर भी हमें बुरी नजरों से बचा लेती है..। मिस इंडिया कंटेस्ट में आने के बाद से मां से दूर रहने का सिलसिला जारी है। इससे पहले कभी मैं उनसे दूर नहीं रही। जाहिर है मां को भी यही दर्द परेशान कर रहा होगा..। वह यह जताना नहीं चाहतीं, पर मैं अपने दिल के हाल से जान सकती हूं उसका भी हाल। वह सुबह से लेकर रात तक मेरे साथ रहती हैं। वह जानती हैं कि मैं सुबह देर से उठती हूं, इसलिए देर ही सही हर दिन उनका 'कॉल' जरूर आता है। जब नहीं आता तो मेरी नींद भी टाइम पर नहीं खुलती। वह किसी वेकअप कॉल की तरह मुझे जगाती हैं और रात में थपकियां देकर मुझे सुला भी देती हैं। उनके हाथ का खाना, उनकी थपकियां मेरे पास नहीं हैं, लेकिन उनकी परवाह, उनका प्यार है, जिसके साए में रहकर मेरी हर तकलीफ हवा हो जाती है।

सख्ती का खोल चढ़ाए मां

निकिता टंडन, फैशन डिजायनर

बचपन में हर बच्चा अपनी मां से चिपका रहता है। उससे एक पल भी अलग नहीं होना चाहता, लेकिन मुझे और मेरे छोटे भाई को मां से अलग रहना पड़ता था। जब मैं और मेरे भाई ने होश संभाला, थोड़ा बड़े हुए तो मम्मा को काम के सिलसिले में दिन भर बाहर रहना पड़ता। हम उनके लिए रोते रहते, लेकिन मम्मा हमें 'सेल्फ डिपेंडेंट' होने की सलाह देतीं। 'अच्छा बच्चा' बनने की सीख देतीं। तब बहुत गुस्सा आता था, लेकिन आज अहसास होता है कि मां ने इस त्याग के लिए कितना दर्द लिया होगा। वह बाहर से सख्त रहती थीं, लेकिन सख्ती के इस खोल में अंदर ही अंदर कितना रोती होंगी। मैं मां के इस दर्द को उसी रूप में महसूस नहीं कर सकती, लेकिन उनका ख्याल पहले से कहीं ज्यादा रहता है। यही वजह है कि वह डांटती हैं या किसी बात के लिए कुछ कहती हैं तो बुरा मानने के बजाय, उसका मर्म समझने की कोशिश करती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि मेरी किसी बात से उन्हें ठेस न पहुंचे।

तुम ही मेरी दोस्त हो

नम्रता पुरोहित, फिटनेस इंस्ट्रक्टर

मैं शुरू से हाइपर एक्टिव हूं। जब सातवीं क्लास में थी, फुटबॉल, बेसबॉल आदि में सक्रिय रही। इस चक्कर में मेरे दोस्त छूटते गए। इस परेशानी को कोई नहीं समझ रहा था। मां ने जब पूछा तो उन्हें सारी बातें बताई। वह मेरी तकलीफ को वैसा ही समझ रही थीं, जैसा मैंने महसूस किया था! मेरी परेशानी को उन्होंने इस तरह गले लगा लिया था कि स्कूल तक वह मेरा हाल लेने आ जातीं थीं। उस घटना को बीते कई साल बीत गए हैं, लेकिन इससे एक चीज पता चली कि दोस्त साथ हों न हों, पर एक मां दोस्त भी बन सकती है। आज भी वह वैसी ही हैं चेहरे को झट से पढ़ लेने वाली, बिन बताए सब समझ लेने वाली एक अच्छी और सच्ची दोस्त।

विवान ने बदल दी दुनिया

शिल्पा शेंट्टी, अभिनेत्री

क्या होता है मातृत्व, इसे मैंने मां बनने के बाद जाना। कितना कठिन होता है बच्चों को बड़ा करना, इसका अहसास मुझे विवान के जन्म के बाद हुआ, पर तमाम तकलीफों, दर्द के बावजूद मातृत्व को एंजॉय करती हूं। नच बलिए सीजन 5 के समय जब विवान बीमार हुआ तो मैंने निर्माताओं से निवेदन किया कि वे मुझे इसके लिए छुट्टी दें। फिर आंखों में कई रातें काटी मैंने। वह भी मेरे बिना नहीं रह पाता। एक बार आईपीएल ऑक्शन के दौरान मैं उसे साथ नहीं रख पाई। यह पहला मौका था, जब वह मेरे बिना नहीं सो पाया। विवान ने मेरी दुनिया बदल दी है। वह केंद्र है, बाकी सब उसके आसपास।

(सीमा झा)


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