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आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास 'फरिश्ता'

'फरिश्ता' आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास है जिसमें युवा लेखक कपिल ईसापुरी ने समाज में फैली कुरीतियों को उजागर करने का प्रयास किया है। लेखक ने तीन संवेदनशील मुद्दों को उठाते हुए भ्रष्टाचार, नक्सलवाद और आतंकवाद पर गहरी चोट की है। उपन्यास के कथानक में लेखक एक ऐसे विश्व की कल्पना करता है, जहां मानव

By Edited By: Published: Sat, 01 Feb 2014 03:23 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2014 03:23 PM (IST)
आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास 'फरिश्ता'

'फरिश्ता' आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास है जिसमें युवा लेखक कपिल ईसापुरी ने समाज में फैली कुरीतियों को उजागर करने का प्रयास किया है। लेखक ने तीन संवेदनशील मुद्दों को उठाते हुए भ्रष्टाचार, नक्सलवाद और आतंकवाद पर गहरी चोट की है।

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उपन्यास के कथानक में लेखक एक ऐसे विश्व की कल्पना करता है, जहां मानवता का राज हो और अन्य तमाम निर्ममताएं वहां से दूर हों। वह ऐसे भारत की परिकल्पना करना चाहता है, जहां जाति और धर्म के मुकाबले देश सर्वोपरि हो। लेखक ने प्रकति से खिलवाड़ और दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण से भविष्य में सामने आने वाली आफत के प्रति भी आगाह किया है। लेखक कपिल ईसापुरी का यह उपन्यास अंधविश्वासों की पोल खोलता है।

लेखक ने प्यार, शादी तथा दोस्ती जैसे रिश्तों से जुड़ी नई राहें दिखाने का भी प्रयास किया है। कहानी का मुख्य पात्र शिवांग दूसरे धर्म की विधवा से शादी करके एक साहसिक कदम उठाता है और कई मान्यताओं को तोड़ देता है। उपन्यास का कथानक रोचक है और भाषा प्रवाहयुक्त।

[दीपक भारती]

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