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भारी बारिश के बीच 550 से अधिक गायों की मौत, 2000 की जान खतरे में

दुनिया की सबसे बड़ी गोशालाओं में है पथमेड़ा।दो लाख गायों की देखभाल होती इस गोशाला में एक करोड़ रुपए प्रतिदिन खर्च होते हैं गायों की देखभाल पर।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 01:04 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 01:06 PM (IST)
भारी बारिश के बीच 550 से अधिक गायों की मौत, 2000 की जान खतरे में
भारी बारिश के बीच 550 से अधिक गायों की मौत, 2000 की जान खतरे में

जयपुर, [जागरण संवाददाता]। दुनिया की सबसे बड़ी गोशालाओं में से एक राजस्थान के जालौर जिले में  पथमेड़ा गोशाला और इसकी 18 शाखाओं में चार दिन की भारी बारिश के कारण 550 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है। गोशाला प्रबंधन का कहना है कि जिले का पांचला बांध टूटने से पथमेड़ा सहित अन्य गोशालाओं में पानी का तेज बहाव हुआ, जिसमें कई गायें पानी में बह गई और कुछ दलदल में फंसने के कारण मर गई।

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गोशाला के सह प्रबंधक गोविंद बल्लभ ने बताया कि वर्तमान में दो हजार से अधिक गायें बीमार हैं। यदि समय पर इनका इलाज नहीं हुआ, तो इनका बचना मुश्किल होगा। प्रबंधन ने बताया कि गोशाला में खड़े पेड़ पानी के तेज बहाव के कारण गायों पर गिर गए, जिससे कुछ गायों की वहीं मौत हो गई। चार दिन से जालौर और सिरोही जिलों में बने बाढ़ के हालात के कारण गोशालाओं में चारा भी नहीं पहुंच पा रहा है, जो चारा पहले से वहां रखा हुआ था वह या तो पानी में बह गया अथवा खराब हो गया है। भूख से भी कई गायों की मौत हो गई। बाढ़ के कारण पशु चिकित्सक भी समय पर देखभाल के लिए नहीं पहुंच सके। प्रबंधन के अनुसार मुख्य गोशाला सहित 18 शाखाओं में 14 हजार से अधिक कमजोर, वृद्ध और बेसहारा गायें रहती हैं।

राजस्थान में बारिश का दौर गुरूवार को थोड़ा कम तो हुआ,लेकिन बाढ़ प्रभावित सिरोही,जालौर,पाली और बाड़मेर जिलों के कई गांवों में अभी भी पानी भरा हुआ है। भारी बारिश का सबसे अधिक असर जालौर जिले में अभी भी नजर आ रहा है। देश की सबसे बड़ी गौशालाओं में से एक मानी जाने वाली पथमेड़ा गौशाला और इसकी 18 शाखाओं में पिछले चार दिन की भारी बारिश के कारण 550 से अधिक गायों की मौत हो चुकी।

जालौर जिले के आधा दर्जन गांव अभी भी पानी में डूबे होने के कारण वहां के अधिकांश लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था,लेकिन जो लोग अभी गांव में ही है उन्हे हैलिकॉप्टरों से भोजन के पैकिट मुहैया कराए जा रहे है। बांसवाड़ा में पानी के बहाव के कारण डगिया बांध का पाल टूट गई। वहीं प्रतापगढ़ की ऐराव नदी पूल के ऊपर से बह रही है।

राज्य के एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू के मार्ग पर गुरूवार को वाहनों की आवाजाही प्रारम्भ हो गई। यहां मंगलवार देर राहत पहाड़ की दो चट्टाने गिरने से मार्ग अवरूद्ध हो गया था,इन चट्टानों को बुधवार देर रात हटा दिया गया। माउंट आबू में दो दिन तक दो हजार पर्यटक फंसे रहे थे।

बाडमेर के कई गांवों में गुरूवार को दूसरे दिन भी बाढ़ के हालात बने रहे,हालांकि आज बारिश कम होने से लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली। आपदा प्रबंधन सचिव हेमंत गैरा ने बताया कि तेज बारिश से होने वाले विभिन्न हादसों के कारण अब तक 22 लोगों की मौत हुई है। गैरा ने गुरूवार को जिला कलेक्टरों से बात कर राहत कायरें की जानकारी ली।

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