आसाराम को नहीं मिली हाई कोर्ट से जमानत
नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में करीब तीन वर्ष से जोधपुर जेल में बंद आसाराम को मंगलवार को भी जमानत नहीं मिली। न्यायाधीश ने कहा कि आसाराम को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं है।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में करीब तीन वर्ष से जोधपुर जेल में बंद आसाराम को मंगलवार को भी जमानत नहीं मिली। आसाराम के वकील ने बीमारियों की सूची हाई कोर्ट में पेश कर कहा इनका इलाज सिर्फ केरल में होता है, इसलिए मानवीय आधार पर जमानत मिलनी चाहिए।
न्यायाधीश निर्मल जीत कौर ने आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट को देखा और कहा कि इसके आधार पर उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं है। ऐसे में इलाज कराने केरल जाने का क्या औचित्य है? इस पर आसाराम के वकील ने सुझाव दिया कि उनकी नियमित याचिका पर सुनवाई 12 जुलाई को प्रस्तावित है। ऐसे में इस याचिका को भी उसके साथ जोड़ दिया जाए।
न्यायाधीश कौर ने आसाराम के वकीलों के सुझाव को स्वीकार करते हुए उनकी इस याचिका को नियमित याचिका के साथ जोडऩे का आदेश दिया। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कोर्ट में आसाराम की कई जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी है। इनमें पहली सितंबर 2013 में जिला एवं सेशन न्यायालय ने उनकी पहली जमानत याचिका खारिज की।
राजस्थान हाईकोर्ट में उनकी अपील पर वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी उनकी पैरवी करने आए। उन्होंने पीडि़ता पर पीड़ाफीलिया (बाल यौन शोषण) बीमारी से पीडि़त बताया। एक अक्टूबर 2013 को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
बीमारी का आधार बना आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर उनकी जांच रिपोर्ट मांगी। मेडिकल बोर्ड ने एम्स दिल्ली में उनका इलाज कराने का सुझाव दिया।
एम्स दिल्ली के मेडिकल बोर्ड ने उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी से इनकार किया। इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की बेंच ने बीस जनवरी 2015 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। फरवरी 2015 में आसाराम ने जिला न्यायालय से जमानत हासिल करने का एक और प्रयास किया। मार्च 2015 में अपने भांजे शंकर पगरानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक बार फिर जमानत याचिका दाखिल की। लेकिन न्यायाधीश ने उनकी याचिका खारिज कर दी। जून 2015 में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रह्मïण्यम स्वामी ने उनकी तरफ से जिला न्यायालय में एक बार फिर जमानत याचिका दाखिल की। 19 जून को न्यायालय ने स्वामी की दलीलों को नकारते हुए आसाराम को जमानत देने से इनकार कर दिया।