राजस्थान महिला आयोग का 'लिव इन' के खिलाफ अभियान
लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ राजस्थान महिला आयोग अभियान चलाएगा।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान महिला आयोग लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ अभियान चलाएगा। आयोग इस तरह के संबंधों को भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं मानता।
आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस तरह के संबंधों में महिला को ही परेशान होना पड़ता है। ऐसे संबंध ज्यादा नहीं चलते हैं और जब खत्म होते हैं तो सबसे ज्यादा प्रभावित संबंधित महिला ही होती है। पीडि़त महिलाओं को सहायता देने के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही पांच सदस्यों की एक समिति भी बनाई गई है, जो शादी करने जा रहे युवक-युवतियों की काउंसिलिंग करेगी।
उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन एवं कांग्रेस नेता ममता शर्मा का कहना है कि राजस्थान महिला आयोग बिना सोचे-समझे निर्णय कर रहा है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष एवं मीडिया विभाग की चेयरमैन अर्चना शर्मा का कहना है कि राज्य महिला आयोग का निर्णय इस रिश्ते को महिलाओं की रिश्ता चुनने की आजादी के खिलाफ बताया। सुप्रीम कोर्ट इस रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चे को मान्यता दे चुका है। अर्चना ने कहा कि महिला आयोग आरएसएस का एजेंडा थोंप रहा है ।
उल्लेखनीय है कि लिव इन रिलेशन को लेकर 2008 से विवाद शुरू हुआ था। तत्कालीन विधि मंत्री हंसराज भारद्वाज ने इसे संसद में कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 एवं 2013 में लिव इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे को कानूनी अधिकार दे दिए थे।