भाजपा नेता चतुर्वेदी के अंतिम संस्कार में प्रदेशभर से पहुंचे लोग
राजस्थान में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी का रविवार सुबह 5 बजे जयपुर में निधन हो गया। वे 84 साल के थे। उनका जन्म 2 अगस्त 1931 को हुआ था। उनके निधन से पूरे राज्य में भाजपाइयों और उनके साथियों में शोक छा गया
जयपुर। राजस्थान में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी का रविवार सुबह 5 बजे जयपुर में निधन हो गया। वे 84 साल के थे। उनका जन्म 2 अगस्त 1931 को हुआ था। उनके निधन से पूरे राज्य में भाजपाइयों और उनके साथियों में शोक छा गया है। उनका शाम को आदर्श नगर मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में उत्तर प्रदेश के प्रभारी ओम माथुर सहित देश और प्रदेश के बड़ी संख्या में नेता व अन्य लोग पहुंचे। मुख्यमंत्री की ओर से पुष्पचक्र चढ़ाकर श्रृद्धांजलि अर्पित की गई।
चतुर्वेदी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दो दिन पहले ही ज्यादा तबीयत खराब होने पर यहां जयपुर में फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां सुबह 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके लंग्स में पानी भर गया था, इससे कई दिनों से वे ज्यादा तकलीफ में थे। उन्हें अस्तपाल में भर्ती कराने के बाद वेंटीलेटर पर भी रखा गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
चतुर्वेदी की पत्नी उर्मिला चतुर्वेदी का करीब 10 साल पहले ही निधन हो गया था। चतुर्वेदी के चार पुत्र और एक पुत्री थे, जिनमें से दूसरे नंबर के पुत्र महेश चतुर्वेदी का पूर्व में निधन हो गया। सबसे बड़े पुत्र उमेश चतुर्वेदी ने मुखाग्नि दी। इस समय छोटे राकेश चतुर्वेदी और लोकेश चतुर्वेदी, बेटी ऊषा चतुर्वेदी व दामाद केदार भी साथ थे।
अंतिम समय तक जुड़े रहे राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों से
अधिक उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों के बावजूद भाजपा नेता चतुर्वेदी राजनीतिक व सामाजिक गिविधियों से जुड़े रहे। करीब एक दशक से राजनीतिक गतिविधियों में उनकी सक्रियता लगातार कम होती चली गई। हालांकि अपने निवास पर भी वे नियमित रूप से लोगों से मिलते रहे। इनमें ज्यादातर वे लोग भी शामिल थे, जो उनके या तो नजदीकी रहे या उनके समय में पार्टी व सरकार में सक्रिय रहे।
भाजपा नेता ललित किशोर चतुर्वेदी का राजनीतिक जीवन खासा लंबा रहा है। राजस्थान में ही नहीं, पूरे देश में उनका वरिष्ठ भाजपा नेता के रूप में नाम रहा है। उनका कद इतना बड़ा रहा कि वे मुख्यमंत्री के पद के दावेदारों में माने जाते रहे। इस बात को लेकर राजनीतिक विवादों के केंद्र में भी रहे। वे राज्य में कैबिनेट मंत्री, राज्यसभा सदस्य सहित कई पदों पर रहे। फिजि़क्स में एमएससी करने वाले चतुर्वेदी ने अपना कॅरियर शिक्षक के रूप में शुरू किया। वे शुरुआती दौर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे। संघ में काम करने के दौरान चतुर्वेदी ने अपनी पहचान बनाई। भैरोंसिंह शेखावत के मुख्यमंत्रित्व काल में चतुर्वेदी मंत्री भी रहे। उन्होंने दो बार बीजेपी में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। मुख्यमंत्री के रूप में वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल के दौरान भी वे पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रहे।
1977 में पहली बार एमएलए बने। इसके बाद 1980 से 1985 तक दूसरी बार एमएलए बने। 1985-90, 1990-92 और 1993-1998 तक तीसरी, चौथी और पांचवीं बार एमएलए बने। विधानसभा सदस्य रहने के दौरान वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पीडब्लूडी, स्थानीय निकाय, सिंचाई, ऊर्जा, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे। इसके अलावा 2004 में वे राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुने गए। इस दौरान वे रेलवे कमेटी, पिटीशन कमेटी, हैल्थ एंड वेलफेयर कमेटी के सदस्य भी रहे। चतुर्वेदी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय पर एक किताब भी लिखी। चतुर्वेदी बचपन से ही संघ कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे। इसके साथ ही वे जनसंघ से जुड़े और फिर भाजपा में बड़े पदों पर रहे।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने चतुर्वेदी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने एक बड़ा राजनीतिज्ञ खो दिया है। राजनीतिक जगत को उनके निधन से अपूर्णीय क्षति हुई है। राजनीति में कदम रखने वालों ने उनसे लगातार प्रेरणा ली है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, राज्य के मंत्री राजेंद्र राठौड़, अरुण चतुर्वेदी, सांसद रामचरण बोहरा, भाजपा प्रवक्ता कैलाश नाथ भट्ट, भाजपा नेता सुमन शर्मा, पूर्व मंत्री व विधायक घनश्याम तिवाड़ी समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया व अंतिम संस्कार में शामिल हुए।