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जयपुर फिल्म फेस्टिवल आरंभ

By Edited By: Published: Thu, 31 Jan 2013 12:11 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2013 06:36 AM (IST)

जयपुर [जागरण संवाद केंद्र]। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-2013 मंगलवार से शुरू हो गया। जयपुर के गोलछा सिनेमा में फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने मंगलवार की शाम को उद्घाटन किया। इस मौके पर शर्मिला टैगोर को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। तीन फरवरी तक चलने वाले इस पांच दिवसीय फिल्म समारोह की लोकप्रियता को देखते हुए इस बार सिनेमा से जुड़े विभिन्न विषयों पर 16 वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित होंगी। इनमें फिल्म आलोचक जयप्रकाश चौकसे, कोमल नाहटा, अरुण दत्ता, बी.बी. नागपाल, प्रसून सिन्हा, संतोष जैन सरीखे अनुभवी लोग हिस्सा लेंगे। इस बार जयपुर के आठ विभिन्न स्थलों पर कुल ग्यारह स्क्रीन के माध्यम से 217 फिल्मों का प्रदर्शन किया जायेगा। दर्शक गोलछा सिनेमा, चेंबर भवन, गोलछा ट्रेड सेंटर, महारानी कॉलेज, एमजीडी स्कूल, स्पेस, फन सिनेमा और पर्ल एकेडमी में यह फिल्में देख सकेंगे। यहां प्रदर्शित फिल्मों में से विभिन्न श्रेणियों में कुल 28 फिल्मों को पुरस्कृत किया जायेगा। जिनका चयन ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त फिल्मकार मार्क बाशीत की अध्यक्षता वाली चौदह लोगों की अंतर्राष्ट्रीय ज्यूरी द्वारा किया जायेगा। इसमें अमेरिका, श्रीलंका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और भारत के फिल्मकार शामिल है।

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समारोह का उद्घाटन फिल्म के रूप में ओमपुरी और शर्मिला टैगोर अभिनीत लाइफ गोज ओन को चुना गया है। लन्दन में रहने वाली संगीता दत्ता द्वारा बनाई गई इस फिल्म में सोहा अली और गिरीश कर्नाड भी हैं। जबकि इसके गीत जावेद अख्तर ने लिखे हैं। फिल्म में आपको रवीन्द्र संगीत भी सुनने को मिलेगा।

शेक्सपियर के मशहूर नाटक किंग लियर से अभिप्रेरित इस कहानी के केन्द्र में एक आधुनिक भारतीय बंगाली चिकित्सक का परिवार है जो लन्दन में रहता है। डॉ. संजय की पत्नी मंजू का अचानक निधन हो जाता है। संजय अपनी दो बेटियों को आधुनिक परिवेश में पालने में अनेक चुनौतियों से जूझता है। खासकर अपनी छोटी बेटी रिया जो कि एक मुस्लिम लड़के से प्रेम करती है। संजय को अपना बचपन और बंगाल विभाजन के दौरान हुए हिंदु-मुस्लिम फसाद का दर्द याद आ जाता है। इसके साथ ही एक पांच मिनट की शॉर्ट फिल्म जन गण मन भी प्रदर्शित होगी। जिसमें राष्ट्रीय गीत के प्रति सम्मान की भावना को दिखाया गया है। फिल्म फेस्टिवल-2013 में भी ऐसी ही उपयोगी चर्चाएँ सुनने को मिलेगी।

भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने में सुप्रसिद्ध फिल्मकार स्तंभकार जयप्रकाश चौकसे, चरित्र अभिनेता प्रेम चौपड़ा, गायिका इला अरुण, फिल्मकार प्रसून सिन्हा और अरुण दत्ता 31 जनवरी को गोलछा सिनेमा के चन्द्रमहल में सिनेमा की शताब्दी पर बात करेंगे। इसी दिन चैंबर भवन में सुप्रसिद्ध फिल्म लेखक शिवानन्द कामडे भारत की पहले बोली फिल्म आरलमआरा और भारतीय सिनेमा पर चर्चा करेंगे।

एक फरवरी को फेस टू फेस में गोलछा में फिल्म निर्देशक गौतम घोष, अभिनेत्री दिया मिर्जा एवं लेखक-निर्देशक प्रतिम दासगुप्ता के साथ बात होगी। सिनेमा में अभिनय की प्रासंगिकता पर चेंबर भवन में इसी दिन इला अरुण और प्रेम चौपड़ा अपने विचार व्यक्त करेंगे।

2 फरवरी को चेंबर भवन में संवाद लेखन पर एक कार्यशाला होगी जिसमें प्रसून सिन्हा और बिजोय जेना शिरकत करेंगे, इसी दिन शाम को गोलछा के चन्द्रमहल में आनंद पटवर्धन के विचार मास्टर क्लास में सुने जा सकेंगे।

3 फरवरी को सिनेमा के बदलते चेहरे पर अभिनेत्री रवीना टंडन के साथ गोलछा में बातचीत होगी। वहीं, चेंबर भवन में को-प्रोडक्शन पर ट्रेड विश्लेषक कोमल नाहटा, सुप्रसिद्ध फिल्म पत्रकार बी.बी. नागपाल बात करेंगे। इनके अलावा प्रतिदिन फिल्म शो के बाद गोलछा में फिल्मकारों के पृथक सेशन भी होंगे।

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