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साधु-संतों को दान करके पछतावा न करे मनुष्य : साध्वी प्रवीण

जागरण संवाददाता, संगरूर : जिस मनुष्य को भगवान की वाणी सुनने व भूखे व्यक्ति को भोजन देकर आनंद

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Nov 2017 05:20 PM (IST)Updated: Sat, 25 Nov 2017 05:20 PM (IST)
साधु-संतों को दान करके पछतावा न करे मनुष्य : साध्वी प्रवीण

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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जिस मनुष्य को भगवान की वाणी सुनने व भूखे व्यक्ति को भोजन देकर आनंद आता है, उसका संसार कम हो जाता है। यह विचार स्थानीय एसएस जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी प्रवीण महाराज ने पेश किए। उन्होंने कहा कि दान देकर कभी भी पश्चाताप नहीं करना चाहिए, जैसे ममन सेठ ने पहले तो साधु संतों को घर आने पर खुशी के मारे सारे लड्डू बांट दिए, लेकिन बाद में वह इसका पछतावा करने लगा कि सारे लड्डू क्यों दिए, ऐसा करने से उसका संसार बढ़ गया। ऐसे मनुष्य को धन की प्राप्ति तो होती है, लेकिन वह उस धन को इस्तेमाल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि हमें दान देकर खुशी का अनुभव करना होगा, जैसे भगवान महावीर स्वामी ने नयसार के भाव में नियम किया था कि वह भोजन खाने से पहले किसी साधु संत को भोजन करवाने के बाद ही खुद भोजन ग्रहण करेंगे। जंगलों में होते हुए भी उन्होंने उस नियम का पालन किया।

साध्वी प्रवीण ने कहा कि धन इकट्ठा करना परिग्रह नहीं है, लेकिन उसका आकर्षण करना परिग्रह है। अगर आकर्षण नहीं तो वह तो धन दौलत है जो धन दौलत किसी को नहीं देता, वह मिट्टी के समान होता है। हमें निस्वार्थ भाव से धर्म करना चाहिए, तभी हम संसार सागर से पार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि साध्वी सुनंदा महाराज ठाणे-4 मैहला चौक से सुनाम की ओर विहार करने का भाव है। साध्वी सुव्रता ठाणे-4 संगरूर से रविवार को विहार कर अशोक जैन के निवास से विहार करेंगे।


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