होले में सजे बाजार, लोगों ने की खूब खरीदारी
जागरण संवाददाता, संगरूर : रंगों के त्योहार होली की तैयारियां शहर भर में जोरों पर चल
जागरण संवाददाता, संगरूर :
रंगों के त्योहार होली की तैयारियां शहर भर में जोरों पर चल रहा है। विधानसभा चुनावों का परिणाम आने के बाद होली के जश्न के लिए युवाओं में जोश कई गुणा बढ़ गया है। कांग्रेस के समर्थकों में होली का खास उत्साह देखने को मिल रहा है, जिसके लिए बाजारों में रंगों की खरीददारी पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ने के आसार है। सभी बंधन व सीमाएं तोड़ मनाए जाने वाले रंगों के त्योहार होली को लेकर शहर के बाजार भी रंगीन हो चुका हैं। होली को लेकर बच्चे, युवा समेत बुजुर्गों का दिल भी उत्साह से लबालब है, जो धूमधाम से होली मनाने के लिए तरह-तरह के रंगों की खरीदारी करने में लगे हुए हैं।
होली के पावन त्योहार पर बाजार में एस्बेस्टम, चाक पाउडर, सिलिका, क्षारीय बेस कई तरह के रंग उपलब्ध हैं। उक्त रंग बाजार में 50 से 100 रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं, जिनमें कीमत के हिसाब से क्वालिटी में भी काफी अंतर है। इनके अलावा बच्चों की पसंदीदा पिचकारियां की बाजार में भारी किस्में मौजूद हैं, जिनकी कीमत 30 से 200 रुपये तक रखी गई हैं। वहीं, चाइनिज पिचकारियों की भी बाजार में पहुंच रही है। नन्हें बच्चों में पिचकारियां खरीदने का रुझान काफी तेजी से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, आजकल बाजार में नई किस्म के स्प्रे रंगों का भी दौर शुरू हो चुका है।
हालांकि, इस त्योहार को खुशी पूर्वक मनाने के लिए डाक्टरों द्वारा दी गई जानकारियों को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि केमिकल से बने रंगों के कारण स्पर्श को भारी नुकसान पहुंच सकता है, जिसका संताप जीवन भर भुगतना पड़ सकता है। इसलिए होली के खुशियों को मनाने के साथ ही सावधानी भी बरतनी बेहद जरूरी है।
केमिकल रंगों से करे गुरेज, घरेलू रंग अपनाएं
चमड़ी रोग माहिर डॉ. अंजू ¨सगला का कहना है कि आजकल बाजारों में केमिकल्स से बने रंगों की बिक्री अधिक होती है, जिससे चमड़ी को न केवल नुकसान पहुंचता है, बल्कि कई गंभीर परिणाम भी सामने आते हैं। बच्चों को साधारण घरेलू रंगों जैसे मेहंदी, हल्दी, फूलों से बने रंगों, चंदन की लकड़ी से बने रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे उनकी त्वचा कोई नुकसान नहीं होता। रंग खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि जो रंग खरीद रहे हैं, वह रंग किसी की त्वचा, आंखों आदि को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएगा। कोशिश करें कि होली के लिए पारंपरिक रंग ही प्रयोग करें, जो शरीर के लिए लाभदायक होते हैं।
आंखों पर अवश्य लगाए चश्मा:- डा. मित्तल
आंखों के माहिर डॉ. अशोक मित्तल का कहना है कि मार्केट में आने वाले केमिकल्स से बने रंगों से आंखों को भारी नुकसान पहुंचता हैं। आंखों को रंगों से बचाने के लिए होली खेलते समय चश्मा अवश्य लगाया जाना चाहिए। आंखों में रंग पड़ जाए तो आंखों को मसलने की बजाए, साफ पानी से आंखों को अच्छी तरह से धो लेने चाहिए। यदि आंखों में किसी प्रकार की जलन या कोई रगड़ महसूस होती है तो डाक्टर से सलाह अवश्य लें।
पशुओं पर न डाले रंग
पशु प्रेमी हरजीत ¨सह का कहना है कि लोग अक्सर गाय, भैस, कुत्तों पर भी होली के दिन रंग डाल देते हैं। पशु इन रंगों को अपने शरीर से उतारने के लिए अपनी जीभ से साफ करते हैं, जिससे यह घातक रंग उनके शरीर में चले जाते हैं जो उनकी सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। ऐसे में उनकी लोगों से यही अपील है कि लोग होली का जश्न मनाएं, लेकिन बेजुबान जानवरों पर रंग न डालें, ताकि इन जानवरों को बीमार पड़ने से रोका जा सके।
न उड़ाए ट्रैफिक नियमों की धज्जियां, कटेगा चालान
जिला ट्रैफिक इंचार्ज वीरइंद्र ¨सह का कहना है कि होली का जश्न अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ मनाने के साथ ही युवा पीढ़ी दो पहिया व चार पहिया वाहनों पर चढ़कर बाजारों में जमकर हो-हल्ला करते हैं। दो पहिया वाहनों पर ट्रिपल सवारी करने, चार पहिया वाहनों की छत या खिड़कियों से बाहर लटकते हुए ड्राइ¨वग करने वालों पर ट्रैफिक पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी। होली के जश्न में किसी प्रकार खल न पड़े। इसलिए वाहन चालक ट्रैफिक नियमों का पूरी तरह से पालन करें, अन्यथा हर चौक पर खड़ी ट्रैफिक पुलिस उनसे नमी नीं बरती जाएगी।
तिलक होली मनाएं, पानी बचाएं
होली पर प्रयोग किए जाने वाले पक्के गहरे रंगों को साफ करने कई लीटर पानी बर्बाद होती है। लगातार गिरता भूजल स्तर को बचाने के लिए होली का त्योहार तिलक होली खेलना अधिक जरूरी है। वातावरण प्रेमी कमल आनंद ने लोगों से अपील की कि वह तिलक होली मनाएं और पानी को बचाएं।