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नगर कौंसिल ने पेश किया 14 करोड़ के घाटे वाला बजट

सचिन धनजस, संगरूर : नगर कौंसिल ने अपने आप को घाटे से उबारने के लिए बजट में ऐसी तिकड़म

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 04:10 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 04:10 PM (IST)
नगर कौंसिल ने पेश किया 14 करोड़ के घाटे वाला बजट
नगर कौंसिल ने पेश किया 14 करोड़ के घाटे वाला बजट

सचिन धनजस, संगरूर :

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नगर कौंसिल ने अपने आप को घाटे से उबारने के लिए बजट में ऐसी तिकड़मबाजी की कि कोई भी हास्य नाटक नगर कौंसिल के बजट के सामने उन्नीस ही दिखाई देगा।

नगर कौंसिल ने 2016-17 में 5 लाख रुपये की बचत दिखाई है, लेकिन, मजेदार बात यह है कि नगर कौंसिल ने नगर सुधार ट्रस्ट से लिए गए लोन का बकाया ही नहीं दिखाई। साथ ही मांगों को लेकर संघर्ष करने वाले अपने मुलाजिमों के करोड़ों रुपये के पीएफ की स्थिति भी मौजूदा बजट में नहीं दिखाई। मसलन, अगर नगर कौंसिल के बजट का अध्ययन किया जाए तो नगर कौंसिल करीब 11 करोड़ 88 लाख रुपये के घाटे में है, जो भविष्य में कम होने की जगह हर वर्ष बढ़ने ही वाला है। नगर कौंसिल की सारी उम्मीद सेल आफ लैंड पर निर्भर करती है और अगर जमीन नहीं बिकी तो नगर कौंसिल भगवान भरोसे ही चलेगी।

गौर हो कि वैट के हिस्से से 667.53 लाख रुपये की आमदनी दिखाई गई है, सेल ऑफ लैंड 90.94 लाख, बिजली से चुंगी 81.19 लाख, एक्साइज ड्यूटी से 189.87 लाख, हाउस टैक्स से 88.17, वाटर सप्लाई व सीवरेज से 43.13, रेंट से 22.94, नक्शा फीस से 32.27, लाइसेंस फीस से 1.05, विज्ञापन टैक्स से 22.60, फुटकर से 35.73, मुर्दा जानवर, टीपी स्कीम व फायर कंट्रीब्यूशन से कोई आमदन नहीं हुई। यानी नगर कौंसिल को पिछले वर्ष कुल 12 करोड़ 75 लाख 42 हजार की आमदन हुई है।

दूसरी तरफ नगर कौंसिल को मुलाजिमों के वेतन व अन्य पर करीब साढ़े 11 करोड़, कंटनजैंसी पर 88 लाख 89 हजार, जरूरी खर्चों पर एक करोड़ 59 लाख 39 हजार रुपये और 69 लाख 77 हजार रुपये विकास कार्यों पर खर्च किए गए। यानी नगर कौंसिल का 14 करोड़ 68 लाख 5 हजार सीधे खर्चे दर्ज किए गए और अगर आंकड़ों के लेन-देन का हिसाब लगाया जाए तो नगर कौंसिल सीधे-सीधे एक करोड़ 92 लाख 63 हजार घाटे में रही। इसके अलावा नगर सुधार ट्रस्ट से नगर कौंसिल द्वारा लिए गए आठ करोड़ की एक भी किस्त न भरने के चलते करीब 6 करोड़ 95 लाख 40 हजार के साथ-साथ 2 प्रतिशत ब्याज के साथ देनदारी भी नगर कौंसिल की जिम्मेवारी थी। साथ ही नगर कौंसिल के मुलाजिमों का पीएफ व डीए व रिटायर्ड भत्ते करीब 3 करोड़ बकाया है। यानी अगर इन्हें जोड़ लिया जाए तो नगर कौंसिल 11 करोड़ 88 लाख रुपये के घाटे में रही, लेकिन आंकड़ों की जादूगर नगर कौंसिल ने सब कुछ को अनदेखा कर नगर कौंसिल को 5 लाख की बचत दिखाकर हरेक को हिला दिया है। जानकारों की मानें तो यह तो नगर कौंसिल की अभी शुरुआत हुई है। अगले दिनों में नगर कौंसिल का घाटा लगातार बढ़ने वाला है। स्थिति ऐसी हो जाएगी कि नगर कौंसिल अपने मुलाजिमों का वेतन तक नहीं दे पाएगी। सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी से नगर कौंसिल का काम नहीं चलने वाला और न ही नगर कौंसिल की प्रापर्टी बेचकर ही काम चलने वाला है। नगर कौंसिल को अपने आमदन के साधन उपलब्ध करवाने होंगे। अगर नगर कौंसिल अपने रवैये में बदलाव नहीं करेगी तो स्थिति बद से बदतर होने वाली है।

उधर, नगर कौंसिल के कार्यकारी अधिकारी बर¨जदर ¨सह ने दैनिक जागरण से बातचीत करते कहा कि यह देनदारियां क्लब करके दोबारा नगर कौंसिल की आने वाली बजट बैठक में स्पष्ट कर दी जाएंगी।

बाक्स

एक नजर में बजट

नगर कौंसिल की आमदन 12 करोड़ 75 लाख 42 हजार और पिछले वर्ष के खर्चे व देनदारियां 26 करोड़ 91 लाख 80 हजार। यानी 14 करोड़ 16 लाख 38 हजार घाटा घोषित किया गया है।


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