भारत को होना चाहिए जातिमुक्त देश : भागवत
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक डा.मोहन भागवत ने कहा कि भारत को जातिमुक्त देश होना चाहिए। देश में पुराने समय से हो रहे जातीय भेदभाव के परिणाम आज भी भुगतने पड़ रहे हैं। इससे विकास में बाधा हो रही है।
जागरण संवाददाता, रुपनगर (राेपड़)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक डा.मोहन भागवत ने कहा कि भारत को जातिमुक्त देश होना चाहिए। देश में पुराने समय से हो रहे जातीय भेदभाव के परिणाम आज भी भुगतने पड़ रहे हैं। इससे विकास में बाधा हो रही है। इससे पहले उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देने से बचते हुए कहा कि एेसा है कि मेरा काम बोलने का नहीं है मुझे डांट पड़ेगी।
वह यहां लहरी शाह मंदिर परिसर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे देश में आज से 60 साल पहले जातीय भेदभाव के राष्ट्र को परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। जातीय भेदभाव से देश के विकास में बाधा पड़ी है जिसके परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं।
उन्हों शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस पर उनको याद किया। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह के अादर्शों का अनुसरण करना चाहिए। उनके अादर्शों तथा विचारों पर चलना सबका कर्तव्य है।
रूपनगर (रोपड़) में एक कार्यक्रम में पहुंचे डा. मोहन भागवत।
उन्होंने कहा कि संघ का भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ की एक राष्ट्र नीति है जिसके अंतर्गत वह समय-समय पर अपने कार्यक्रम आयोजित करता रहता है और जनता से संपर्क रखता है। भारत जमीन का कोई टुकड़ा नहीं है, जिसे बेचा या गिरवी नहीं रखा जा सकता है। यह हमारी मातृभूमि है।
इसके पश्चात डा. भागवत ने श्री लहरीशाह मंदिर में प्रवेश कर वहां माथा टेका। डा. मोहन भागवत के लिए कड़ी सुरक्षा की जा रही थी। यहां तक कि लोगों को सभा में मोबाइल फोन, घडिय़ां एवं पर्स आदि ले जाने के लिए रोका गया था और वहां पर इन सभी चीजों को रखने के लिए एक स्टाल बनाया गया था।
चंडीगढ़ भी पहुंचे भागवत, किसी वीआइपी से नहीं मिले
रूपनगर के कार्यक्रम के बाद सर संघ चालक मोहन भागवत चंडीगढ़ पहुंचे। हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के किसी वीआइपी से मिले बगैर संघ प्रमुख ने आरएसएस दफ्तर में पूरे दिन चिंतन किया। मोहन भागवत के इस एकांतवास में खलल डालने की किसी को इजाजत नहीं थी।
संघ प्रमुख रविवार रात को चंडीगढ़ के सेक्टर 18 स्थित संघ कार्यालय में पहुंच गए थे। सोमवार सुबह पंजाब जिले के रोपड़ स्थित रूपनगर में संघ की शाखा में बौद्धिक देने के बाद भागवत वापस चंडीगढ़ लौट आए। भागवत यहां सुबह करीब 11 बजे चंडीगढ़ लौट आए थे।
उसके बाद संघ दफ्तर चारों तरफ से सिक्योरिटी में कैद रहा। दफ्तर के बाहर हालांकि नाममात्र की सिक्योरिटी थी, लेकिन भीतर करीब डेढ़ दर्जन सुरक्षाकर्मी अलग-अलग स्थानों पर तैनात रहे। दरअसल, संघ प्रमुख चंडीगढ़ के नए आरएसएस दफ्तर का औपचारिक उद्घाटन करने आए थे। मकान नंबर 1017 में लंबे समय से चल रहे इस दफ्तर को हाल में ही नया रूप दिया गया है।
बिना किसी तामझाम के संघ प्रमुख ने दफ्तर का उद्घाटन करने के बाद अवलोकन किया। दफ्तर तीन मंजिला है और संघ प्रमुख सबसे ऊपर की मंजिल पर रहे। उनके लिए हालांकि दोपहर का भोजन बाहर से आया, लेकिन जांच परख के बाद ही परोसा गया। भोजन के बाद संघ प्रमुख विश्राम के लिए चले गए।
संघ दफ्तर में हालांकि पूरे समय स्वयंसेवकों का आना-जाना लगा, लेकिन किसी को यह अहसास नहीं हुआ कि ऊपर की मंजिल पर संघ प्रमुख ठहरे हुए हैं। रुटीन में दफ्तर आने वाले स्वयंसेवक अपने काम निपटाकर नीचे से नीचे वापस लौटते रहे। सोमवार रात को भी संघ प्रमुख यहीं रहेंगे। उन्हें चंडीगढ़ में शाखा अटैंड करनी है, लेकिन उसे भी अभी तक गोपनीय रखा गया है।
संघ कार्यालय चंडीगढ़ के प्रमुख ने इस बात से इनकार किया कि हरियाणा-पंजाब व चंडीगढ़ का कोई वीआइपी मोहन भागवत से मिलने आया था। उन्होंने बताया कि मोहन जी का यह बेहद निजी दौरा था और इस अवधि में उनसे मिलने की किसी को इजात नहीं थी।