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शहरनामा रूपनगर

कोई तो बने खैर ख्वाह.. रूपनगर हलका पहले भी लावारिस होने का दंश झेलता रहा है। और अगर अब भी सत्तारूढ

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 07:54 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 07:54 PM (IST)
शहरनामा रूपनगर
शहरनामा रूपनगर

कोई तो बने खैर ख्वाह..

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रूपनगर हलका पहले भी लावारिस होने का दंश झेलता रहा है। और अगर अब भी सत्तारूढ़ पार्टी ने न संभाला तो आगे भी लावारिस रहेगा। न कोई सत्तारूढ़ पार्टी का नेता खुलकर सामने आ रहा है औ न ही ओहदेदार। हाथ वाली पार्टी के जिला कमाडर जिले के वर्करों के साथ साथ हलके के वर्करों के लिए हर दम खड़े होने का दावा जरूर करते हैं लेकिन लोग अब हलका इंचार्ज जिसका इस सरकार में कोई वजूद नहीं है, को ढूंढ रहे हैं। हलके से सत्तारूढ़ पार्टी को बेशक हार मिली है लेकिन वर्कर हलके के नेता के रूप में किसी न किसी को चाहते हैं। बेशक चुनाव लड़ने वाले नेता इलाके में सरगर्म हैं और उनका एक धड़ा इलाके में वर्करों की खैरख्वाही भी करने लगा है। पर इलाका उसी नेता को नेता कहता है जो उनके बीच रहकर मसलों के हल के लिए लड़े। जो विजिबल हो यानी आप लोगों के लिए उपलब्ध हो। पहले भी इन्हीं कारणों के कारण इलाके में सत्तारूढ़ पार्टी का वजूद खत्म होने के कगार पर आ गया था। सियासी पंडितों की माने तो रूपनगर हलका है तो शुरू से ही हाथ वाली पार्टी के हक का। लेकिन पिछले चंद सालों में हाथ वाले नेताओं ने आपसी रंजिशबाजी के चक्कर में ये नहीं देखा कि हलके का क्या हश्र हो रहा है। हारकर इलाके के लोगों के पास तीसरे विकल्प के अलावा कोई और आसरा नहीं बचा।

नीले मोर.. पर हो गया विवाद

चिट्टे कूकड़ नीले मोर एैह वी चोर ओह वी चोर. . .के नारे नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों के प्रधान के मुंह से नारे शहर के जत्थेदार के सीने में चुभ गए। जत्थेदार साहब ने भरे प्रदर्शन स्थल पर इस नारे का विरोध कर दिया। माहौल बिगड़ते देख लोक नुमाइंदों ने माहौल संभाला और बात आई गई हो गई। बाद में जब सब शात हो गया और जत्थेदार ने इस पर पर्दा डालते हुए कहा कि कामरेड किस्म के मुलाजिम नेताओं के मुंह में असहज ही ऐसे नारे आ जाते हैं। लेकिन बाद में नारे लगाने वाले नेता ने इसे महसूस किया और दोबारा ये नारा नहीं लगाया।

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर


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