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अनुसंधान सहयोग का दौरा कर लौटी आइआइटी की टीम

संवाद सहयोगी, रूपनगर आइआइटी रूपनगर की ओर से नए शिक्षकों की भर्ती करने के लिए विदेश गई उच्च स्तरीय

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 04:54 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 04:54 PM (IST)
अनुसंधान सहयोग का दौरा कर लौटी आइआइटी की टीम

संवाद सहयोगी, रूपनगर

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आइआइटी रूपनगर की ओर से नए शिक्षकों की भर्ती करने के लिए विदेश गई उच्च स्तरीय कमेटी की टीम अपना सफल दौरा करने के बाद लौट आई है। आइआइटी के निदेशक प्रो. सरित कुमार दास के नेतृत्व में गई इस टीम ने यूनाइटेड ¨कगडम सहित कनाडा व अमेरिका का दौरा करते हुए वहां भारतीय मूल के शिक्षकों का चयन संस्थान की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से किया। प्रो. सरित कुमार दास के अनुसार भारतीय मूल के विदेशी शिक्षकों का चयन इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग, कंप्यूटर साइंस इंजीनिय¨रग, मकेनिकल इंजीनिय¨रग तथा सिविल इंजीनिय¨रग जैसे कुछ विभागों के लिए किया गया है।

इस उच्च स्तरीय टीम में प्रोफेसर सरित कुमार दास, आइआइटी रूपनगर के एसोसिएट डीन (इंटरनेशनल अफेयर्स) डॉ. हरप्रीत ¨सह, आइटी सेंटर के हैड डॉ. नितिन औलख के अलावा प्रोफेसर एमएल मुंजाल तथा प्रोफेसर एसएस मूर्ति (आइआइटी दिल्ली) जैसे बाहरी विशेषज्ञ भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि इस दौरे के दौरान 14 उम्मीदवारों के इंटरव्यू करने के बाद इनमें से इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग, कंप्यूटर साइंस इंजीनिय¨रग और मैकेनिकल इंजीनिय¨रग के विभागों के लिए छह उम्मीदवारों का चयन किया गया है जबकि इसके अलावा दो उम्मीदवारों की अंतिम मूल्यांकन के लिए सिफारिश की गई है तथा दो संभावित उम्मीदवारों की पहचान अलग से की गई है जिन्हें विचाराधीन सूची में रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रतिनिधि दल ने शिक्षकों व छात्र विनिमय कार्यक्रमों के लिए यूनाइटेड ¨कगडम के कार्डिफ विश्वविद्यालय, कनाडा के ओंटारियो प्रौद्योगिकी संस्थान तथा अमेरिका के ¨बघमटन स्टेट विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए। उनके अनुसार इस समझौते से बॉयो मेडिकल इंजीनिय¨रग, ऊर्जा, कृषि आदि क्षेत्रों में अनुसंधान सहयोग की स्थापना की जाएगी। इस प्रतिनिधि दल ने अनुसंधान सहयोग पर बातचीत शुरू करने के लिए कैब्रिज विश्वविद्यालय, मकमास्टर्स विश्वविद्यालय, प‌र्ड्यू विश्वविद्यालय, यूसीएलए और एमआइटी का भी दौरा किया।

उन्होंने कहा कि यह दौरा तीन महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित था। पहला, उच्च स्तर के शिक्षकों की भर्ती करना, दूसरा आइआइटी रूपनगर के विकास के लिए विदेशों में बसे भारतीयों का समर्थन हासिल करना तथा तीसरा विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान सहयोग बनाना था। उन्होंने दावा करिया कि यह दौरा हर पहलु से बेहद सफल रहा है तथा हमने कुछ प्रतिभाशाली युवा शिक्षकों का चयन भी किया है। उन्होंने बताया कि आइआइटी रूपनगर के उच्च स्तरीय अनुसंधान, राष्ट्रीय रैं¨कग व विदेशी छात्रों के उत्प्रेरणा की भारतीय सरकार की निति ने हमारे इस दौरे में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि इन नीतियों के चलते विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने आइआइटी रूपनगर के साथ अनुसंधान सहयोग में अत्यन्त रूचि दिखाई। उन्होंने दावा किया कि इस दौरे की सफलता से आइआइटी रूपनगर की शैक्षणिक गुणवता में वृद्धि होगी और संस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता व सराहना भी मिलेगी।


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