ड्रेगन डोर की घातक मार असहनीय
संवाद सहयोगी, रूपनगर घातक समझी जा रही ड्रेगन डोर के लिए युवा पीढ़ी का मोह भंग नहीं हो रहा है। रोक
संवाद सहयोगी, रूपनगर
घातक समझी जा रही ड्रेगन डोर के लिए युवा पीढ़ी का मोह भंग नहीं हो रहा है। रोक के बावजूद बाजारों में यह डोर उपलब्ध है। परिवारों के बड़े मानते हैं कि ड्रेगन डोर का प्रयोग जहां उनके बच्चों के लिए है वहीं इसकी चपेट में आने वाले लोगों के अलावा पशु व पक्षियों के लिए भी दर्दनाक है। जबकि दूसरी तरफ युवाओं का ड्रेगन डोर प्रति मोह भंग करने के लिए कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने स्तर पर ड्रेगन डोर के खिलाफ जागरूकता अभियान छेड़ रखा है तथा जिसका मानना है कि उनके अभियान को सफलता भी मिलने लगी है।
लोगों को दिखाए जाते हैं घायल पशु-पक्षियों के चित्र-विपन
चेतना नशा विरोधी लहर के संचालक विपन कुमार का कहना है कि संगठन पिछले तीन साल से कालेज के विद्यार्थियों को साथ लेकर ड्रेगन डोर के खिलाफ विशेष अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत उनकी टीम विभिन्न मोहल्लों व स्कूलों में जाकर युवाओं को ड्रेगन डोर के कारण होने वाले दर्दनाक हादसों के बारे जानकारी देती है।
मोहल्लों में छेड़ा जागरूकता अभियान : सहगल
लायन राजेश सहगल ने भी शहर के विभिन्न मोहल्लों में अपने स्तर पर लोगों को ड्रेगन डोर से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने का अभियान छेड़ रखा है। उनका कहना है कि पारंपरिक डोर किसी प्रकार का नुकसान नहीं करती है, जबकि ड्रेगन डोर की चपेट में आने वाले व्यक्ति या पक्षी अथवा पशु की मौत भी हो सकती है तथा डोर को प्रयोग करने वाला भी घायल हो सकता है।
ड्रेगन डोर से युवाओं का मोह भंग कर रहे हैं उप्पल
एडवोकेट प्रेम कुमार उप्पल कहते हैं कि उन्होंने अपने गांव में जागरूकता अभियान चलाते हुए अनेकों युवाओं का ड्रेगन डोर के प्रति मोह भंग किया है जबकि उनका जागरूकता अभियान अभी तक जारी है। उन्होंने कहा कि वकालत करते वक्त उन्होंने दो साल पहले आनंदपुर साहिब में एक स्कूटर सवार को डोर की चपेट में आने कारण गंभीर रूप से घायल होते देखा था।
स्कूल संस्थान चला रहे हैं जागरूकता अभियान
नेताजी सुभाष क्रांति मंच के संयोजक वीपी सैणी ने अपने नेता जी स्कूल में जबकि ¨प्रसीपल संतोष कुमार ने अपने जीनियस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में बच्चों को हर साल ड्रेगन डोर के खिलाफ जागरूक करने का अभियान छेड़ रखा है। वीपी सैणी तथा संतोष कुमार का कहना है कि बसंत से पहले हर साल बच्चों को जहां जागरूक किया जाता है। वहीं बच्चों के माता-पिता को स्कूल में बुला कर समझाया जाता है कि ड्रेगन डोर का प्रयोग आम लोगों व खुद की ¨जदगी के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता समझने लगे हैं कि ड्रेगन डोर का प्रयोग घातक है तथा स्कूल के ज्यादातर बच्चे इस घातक डोर से तौबा भी कर चुके हैं लेकिन अभियान अभी तक निरंतर जारी है।