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इंजन खराब, दूसरे दिन भी भाखड़ा बांध की ट्रेन लेट

जागरण संवाददाता, नंगल भाखड़ा बांध के दुर्गम पहाड़ी इलाके की ओर से विगत पांच दशकों से अपनी सेवाएं प्र

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 02:41 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 02:41 AM (IST)
इंजन खराब, दूसरे दिन भी भाखड़ा बांध की ट्रेन लेट

जागरण संवाददाता, नंगल

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भाखड़ा बांध के दुर्गम पहाड़ी इलाके की ओर से विगत पांच दशकों से अपनी सेवाएं प्रदान कर रही भाखड़ा ट्रेन अब बूढ़ी हो गई है। शायद इस वजह से ही अब ट्रेन का इंजन दम तोड़ता नजर आ रहा है। बुधवार को दूसरे दिन भी ट्रेन भाखड़ा बांध से वापस नंगल नहीं पहुंची क्योंकि रास्ते में ही ट्रेन का इंजन खराब हो गया। बांध के निकट नेहला गांव की सुरंग पार करते हुए ट्रेन का इंजन फिर खराब हो गया जिसके चलते ट्रेन में बैठे कर्मचारी जैसे-तैसे जुगाड़ करके कुछ वाहनों की लिफ्ट लेकर व कई पैदल चलते हुए भाखड़ा बांध देरी से पहुंचे। इस वजह से ट्रेन नंगल पौना घंटा देरी से सुबह करीब पौने दस बजे पहुंची। गौरतलब है कि गत मंगलवार सायं भी भाखड़ा बांध की ट्रेन खराब हो जाने से नंगल में सायं करीब एक घंटा देरी से पहुंची थी। आज दोबारा फिर ट्रेन खराब हो जाने से जहां कर्मचारी देरी से डयूटी पर पहुंची वहीं डयूटी से लौटने वाले कर्मचारी भी परेशान रहे।

दूसरी तरफ इस ट्रेन के माध्यम से रोजाना बांध से सटे गांव ओलिंडा, नैहला, सलांगड़ी, हंडोला, बरमला आदि के लोग व नंगल में स्कूल आने वाले छात्र भी देरी से अपने गंतव्यों की ओर पहुंचे। लगातार तकनीकी खराबी के कारण खराब हो रहे इंजन को ठीक करने का काम शुरू कर दिया गया है। बुधवार को दिन भर भाखड़ा रेल मार्ग पर अधिकारी व कर्मचारी ट्रेन को पुन: सामान्य स्थिति में करने के प्रयासों में जुटे देखे गए।

उल्लेखनीय है कि नंगल से रोज भाखड़ा बांध जाने वाली ट्रेन ही एकमात्र ऐसी ट्रेन है जिसमें यात्रा पूरी तरह से मुफ्त है। इस ट्रेन पर ही भाखड़ा बांध से सटे विस्थापित गांवों के लोग नंगल शहर में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आने-जाने पर निर्भर हैं। बांध के निर्माण समय खरीदे गए इंजन ही विगत पांच दशकों से अधिक की समयावधि से रोज भाखड़ा बांध की ओर आ-जा रहे हैं। आने-जाने के समय ट्रेन की छुक-छुक इलाका वासियों के लिए घड़ी के अलार्म के रूप में लोगों की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। ट्रेन लेट होते ही जहां देरी से घर पहुंचने वाली कर्मचारियों के परिजनों में चिंता की लहर दौड़ जाती है वहीं आम लोग भी ट्रेन का सायरन न सुनने पर खुद को अधूरा महसूस करने लग जाते हैं।

---पुराने हो चुके हैं भाखड़ा रेलवे के इंजन---

बीबीएमबी फील्ड इंप्लाइज यूनियन सीटू के अध्यक्ष विनोद भट्टी ने कहा है कि ट्रेन के बार-बार खराब होने से जहां कर्मचारी परेशान हो रहे हैं वहीं कर्मचारियों के देरी से ड्यूटी पहुंचने पर परियोजना का काम प्रभावित हो रहा है। करीब 6 दशक पुराने ट्रेन के इंजन अब दम तोड़ने लगे हैं। इस लिए बीबीएमबी को थीन डैम जैसी परियोजनाओं के यहां बेकार में पड़े छोटे इंजनों को यहां भाखड़ा रेलवे में ले आना चाहिए ताकि कर्मचारी परेशान न हों व न ही भाखड़ा बांध परियोजना का काम प्रभावित हो।


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