अध्यात्म ही भारतीय संस्कृति का आधार : भारती जी
जेएनएन, पटियाला दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आदर्श नगर-बी में भजन संध्या का आयोजन किया गया।
जेएनएन, पटियाला
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आदर्श नगर-बी में भजन संध्या का आयोजन किया गया। साध्वी संयोगिता भारती ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति सदैव से ही सुसंस्कारों की जननी रही है। अध्यात्म ही भारतीय संस्कृति का आधार है। जिसका अर्थ है अधि+आतम अधि मतलब अध्यन व आत्म मतलब आत्मा को जानना। ईश्वर का दर्शन करके ही हम अपनी अंतर आत्मा में सांस्कृतिक चेतना को जगा सकते हैं। इसलिए हमें अध्यात्म ज्ञान की ओर अग्रसर होना ही होगा तब वह दिन दूर नहीं रहेगा जब संस्कृति संतानों की जननी यह संस्कृति सारे विश्व को संस्कारवान बनाएगी और हमारा भारत पुन: जगदगुरू कहलाएगा।
उन्होंने बताया कि इस धरा पर कितने भी भक्तों ने जन्म लिया। हमारी भारत भूमि जिसमें संस्कारों एवं श्रेष्ठ विचारों की महक केवल भारत में नहीं अपितु विदेशों में भी देखने को मिली। यह हमारी भारत भूमि ही है जिसने सर्व प्रथम विश्व को सुसंस्कारों के साथ आगे बढ़ना सिखाया। जिस प्रकार एक मानव के शरीर में उसका हृदय ही पूरे शरीर को संचालित करता है। यह एक मात्र हृदय ही है जो एक मानव को बल एवं समर्था देता है। उसी प्रकार भारत सदैव से ही संस्कृति जगत से लेकर वैज्ञानिक जगत तक हमेशा से ही विश्व को देता ही आ रहा है। जैसे विश्व की सभी भाषाओं की जननी भारतीय संस्कृति ही है व गणित के शून्य अंक की खोज आर्यभट्ट ने की जो एक भारतीय वैज्ञानिक थे। संस्कृति की गरिमा से अंजान भारत के युवा अपनी संस्कृति निम्न दृष्टि से देखते हैं और पश्चिम के भोग प्रधान तौर तरीकों को अपनाने को ही उन्नति कहते हैं और ऊंचे स्वरों में अपनी संस्कृति की उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। इसका कारण अध्यात्म को न जानना है।