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पाक JIT ने न तो आंतकियों के शव देखे और न फुटप्रिंट वाली जगह गई

पठानकोट के दौरे पर आई पाकिस्‍तान की संयुक्‍त जांच टीम ने विभिन्‍न जगहों पर गई। टीम के सदस्‍य पगडंडियों पर पैदल भी चले,लेकिन वे अस्‍पताल में रखे आतंकियों के शव नहीं देखने गए। इसके अलावा, वे बमियाल सेक्टर स्थित फुटप्रिंट वाली जगह पर भी नहीं गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 29 Mar 2016 08:46 PM (IST)Updated: Wed, 30 Mar 2016 10:32 AM (IST)

जागरण संवाददाता, पठानकोट। एयरबेस पर आतंकी हमले के लगभग तीन माह बाद जांच के लिए पहुंची पाकिस्तानी संयुक्त जांच कमेटी (जेआइटी) के सदस्यों ने न तो मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के शव देखे और न ही बमियाल सेक्टर में फुटप्रिंट वाली जगह देखी जिधर से आतंकियों के आने का अनुमान है। भारतीय जांच एजेंसी (एनआइए) के अधिकारी जेआइटी के पांच सदस्यों को लेकर पठानकोट एयरबेस पहुंचे। जांच टीम ने यहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों व भारतीय सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ स्थल का जायजा लिया।

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पठानकोट में चार घंटे रही पाक जेआइटी ने एनआइए से ही पूछे कई सवाल

सूत्रों के मुताबिक जायजा लेने के दौरान पाक जांच टीम के सदस्यों ने एनआइए अधिकारियों से कई सवाल पूछे। एनआइए के अधिकारी पाक टीम को बमियाल सेक्टर स्थित फुटप्रिंट वाली जगह भी ले जा रहे थे लेकिन टीम उज्ज दरिया पुल से लौट गई। टीम लगभग चार घंटे यहां रही।

एयरबेस की चारदीवारी के पास जांच करती पाकिस्तान की संयुक्त जांच टीम।

पाकिस्तानी जांच टीम एक घंटा दस मिनट तक एयरबेस स्टेशन पर जांच के लिए रुकी। जेआइटी के सदस्य भारतीय सीमाओं का एयरव्यू न देख पाएं, इसके लिए उन्हें दिल्ली से सीधे अमृतसर और उसके बाद सड़क मार्ग से पठानकोट लाया गया था।

मुठभेड़ की जगह देखकर भौंचक्की रह गई पाकिस्तानी जांच टीम

सूत्र बताते हैं कि एयरबेस में जहां आतंकवादियों व सुरक्षा एजेंसियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, उस स्थल को देखकर जेआइटी मेें शामिल खुफिया विभाग के लाहौर के उप महानिदेशक मोहम्मद आजिम अरशद, आइएसआइ के लेफ्टिनेंट कर्नल तनवीर अहमद, मिलेट्री इंटेलिजेंस के ले. कर्नल इरफान मिर्जा, गुजरनवाला के सीटीडी अफसर शाहिद तनवीर और एडिशनल आइजी मोहम्मद तारिक राय भौंचक्के रह गए।

इसी रास्ते पाकिस्तानी जांच टीम को एयरबेस के अंदर ले जाया गया।

भारत की ओर से एनआइए के आइजी एसके सिंह, डीआइजी अनिल शुक्ला व एसपी निखिलेश जैन ने आतंकियों द्वारा दागे गए हैंड ग्रेनेड, गोलियों व अन्य हथियारों के प्रयोग के निशान की जानकारी दी। पाक जांच टीम के सदस्यों को घटनास्थल तक ही सीमित रखने के लिए पूरे क्षेत्र में विजुअल बैरीकेडिंग की गई थी।

चारों तरफ परदे लगाकर जांच अधिकारियों को स्पष्ट संकेत दे दिए गए थे कि वे एयरबेस स्टेशन के मैकेनिकल इंजीनियरिंग सेक्शन (एमईएस) के साथ-साथ एयरबेस पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जहाजों व हैलीकाप्टरों के पार्किंग स्थल तक नहीं जा सकते।

पाक टीम पगडंडी से होते हुए पैदल भी चली

एयरबेस में दौरे के क्रम में जेआइटी ने घटनाक्रम के चश्मदीदों के साथ कोई बातचीत की है या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। एयरबेस स्टेशन की जांच के बाद पाकिस्तानी टीम ने उस स्थल का दौरा किया जहां इस पूरे घटनाक्रम के मुख्य गवाह एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी को छोड़ कर आतंकी पैदल ही एयरबेस की तरफ चले गए थे।

जांच अधिकारी अकालगढ़ के उस खेत की पगडंडी से होते हुए पैदल ही घटनास्थल पर गए। कुछ देर रुकने के बाद कथलौर पुल के पास उस स्थान पर भी गए जहां आतंकवादियों ने टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह की हत्या कर शव को फेंक दिया था।

जहां से एसपी का अपहरण हुआ वहां भी गए

जेआइटी के सदस्य गांव कोलिया भी गए जहां से आतंकवादियों ने 31 दिसंबर की रात एसपी सलविंदर, उसके कुक मदन लाल व ज्वैलर दोस्त राजेश वर्मा का एसयूवी गाड़ी सहित अपहरण किया था। इसके साथ ही जेआइटी को गांव कोलिया के साथ सटी लिंक रोड से होते हुए बमियाल सेक्टर ले जाया गया, लेकिन जांच टीम वहां नहीं गई जहां खेत में फुटप्रिंट मिले थे।

जेआइटी उस जगह भी गई जहां से एसपी सलविंदर का अपहरण हुआ और उनकी गाड़ी छिपा कर खड़ी की गई।

माना जा रहा है कि ये फुटप्रिंट आतंकियों के ही थे। जेआइटी के सदस्य उज्ज दरिया पुल से ही वापस चले गए। पुल से फुट प्रिंट वाली जगह करीब आधा किलोमीटर है और वहां करीब डेढ़ किमी की दूरी पर जीरो लाइन है जहां से आतंकियों के भारतीय सीमा में घुसने की आशंका जताई जा रही है।

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दो दिन बाद दफनाए जा सकते हैं आतंकियों के शव

करीब तीन माह से सिविल अस्पताल में रखे आतंकियों के शव पाक टीम के भारत से जाने के बाद दफनाए जा सकते हैं। भारत ने इन आतंकियों के शवों को अस्पताल में इसलिए सुरक्षित रखा हुआ है ताकि जरूरत पडऩे पर इन्हें पाक जांच टीम को दिखाया जा सके।

सिविल अस्पताल प्रशासन को उम्मीद थी कि पाक की जेआइटी शवों को देखने वहां पहुंचेगी। मंगलवार को सिविल अस्पताल में शवगृह के आसपास कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे, लेकिन जेआइटी के सदस्य नहीं पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक जेआइटी 31 मार्च तक दिल्ली में रहेगी। वहां बातचीत के कई दौर अभी चलने हैं। इस बातचीत में आतंकियों के शव पाक की ओर से लिए जाने की संभावना बेहद कम है, अतएव उन्हें दफनाए जाने की तारीख पर चर्चा इन दो दिनों के बाद होगी। समझा जा रहा है कि दो दिन बाद इन शवों को कभी भी सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाएगा।


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