300 की बजरी पर 450 रायल्टी, क्या करें क्रशर मालिक
जागरण संवाददाता,पठानकोट पठानकोट का क्रशर उद्योग अंतिम सांसे गिन रहा है। इस ओर सरकार ने ध्यान नहीं
जागरण संवाददाता,पठानकोट
पठानकोट का क्रशर उद्योग अंतिम सांसे गिन रहा है। इस ओर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो सारी इंडस्ट्री ठप हो जाएगी तथा क्रशर मालिक दीवालिया घोषित होंगे। यह दर्द दैनिक जागरण से एक खास मुलाकात में जिला क्रशर उद्योग के अध्यक्ष साहिब ¨सह ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को 2017 का चुनाव दिखाई दे रहा है। सभी पार्टियां हलके के क्रशर उद्योग को जीतने के बाद राहत दिलाने की बात कर रही हैं परंतु उद्योग की जिस प्रकार आर्थिक सेहत बिगड़ चुकी है उसे देख कर नहीं लगता कि यह उद्योग चुनाव तक भी चल पाएगा। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि वह इस उद्योग को बचाने के लिए अपनी माइ¨नग रायल्टी प्रक्रिया पर दोबारा विचार करे। उन्होंने कहा कि क्रशर उद्योग तभी बच सकता है अगर रायल्टी कम हो। साबा ने कहा कि क्रशर मंहगा होने के कारण उसका मार्केट पर विपरीत असर पड़ चुका है। लोगों ने निर्माण तक बंद कर दिए हैं। ऐसे में अगर कोई कमाई कर रहा है तो वह केवल रायल्टी ठेकेदार है। ,
उन्होंने बताया कि एक क्रशर मालिक एक सैकड़ा बजरी तीन सौ रुपये में बेचता है। इस एक सैकड़ा बजरी पर रायल्टी ठेकेदार चार सौ पचास रुपये लेते हैं। क्रशर मालिक को अपने इस तीन सौ रुपये में बिजली के बिल, सरकार के टैक्स, मशीनरी का रख-रखाव, बैंकों की किश्तें, स्टाफ की सैलरी से लेकर तमाम खर्च करने पड़ते हैं। इसके विपरीत माइ¨नग रायल्टी ठेकेदार बिना कोई खर्च किए एक सैंकड़े पर चार सौ पचास रुपये कमा जाते हैं। उन्होंने कहा कि पठानकोट के क्रशर मालिक चाहते हैं कि उनसे रायल्टी हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर ली जाए। हिमाचल प्रदेश में रायल्टी किसी क्रशर के बिजली बिजल के हिसाब से ली जाती है।
हर माह सैकड़ों करोड़ का बिजनेस करता है क्रशर
साहिब ¨सह साबा का दावा है कि पठानकोट में हर महीने सैकड़ों करोड़ का बिजनेस अकेले क्रशर उद्योग करता है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि रायल्टरी ठेकेदार कितना पैसा इकट्ठा कर रहे हैं। साबा ने कहा कि अगर सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो जिला पठानकोट क्रशर उद्योग एसोसिएशन कड़ा संघर्ष करेगी।