¨सथेटिक फाइबर सिलीकान की वजह से घातक है ड्रेगन डोर
जागरण संवाददाता, नवांशहर बसंत पंचमी के कुछ ही दिन शेष रह गए है, लेकिन पतंगबाजी का मौसम अब परवान चढ
जागरण संवाददाता, नवांशहर
बसंत पंचमी के कुछ ही दिन शेष रह गए है, लेकिन पतंगबाजी का मौसम अब परवान चढ़ने लगा है, और इस दिन तो आकाश रंग बिरंगे पतंगों से इंद्र धनुषी रंग में सराबोर हो जाता है।
पतंगबाजी का शौक अब लोगों के लिए मौत का सबब बनता जा रहा है, कारण, अब स्वदेशी मंझे की जगह चाइनीज डोर ने ले ली है। जोकि सिलिकान से तैयार की जाती है, और यह ¨सथेटिक डोर बड़ी मजबूत होती है, साथ ही विद्युत की सुचालक भी होती है। जिसकी वजह से सैकड़ों की संख्या में लोग करंट की चपेट में आकर घायल हो चुके है और कई मौत के आगोश में भी जा चुके है।
पतंगबाजी का शौक कोई नया नहीं है, यह मुगलकालीन शौक अब बच्चे से लेकर बूढे और जवान तक के दिलों में घर कर चुकी है। इन दिनों मोहल्लों की घरों की छतों पर पतंगबाजों की टीमें बसंत पंचमी की तैयारी को लेकर प्रेक्टिस कर रही है, वहीं पर बाजार इन दिनों जानलेवा बन चुकी चाइना डोरों और रंग बिरंगी विभिन्न साइजों की पतंगों से अटी पड़ी है। खरीदार अभी से स्टोर करने में लगे हुए है। जहां जिला प्रशासन ने चाइना डोर की खतरे को देखते हुए ड्रेगन डोर की बिक्री पर पाबंदी लगा रखी है, बावजूद इसके पतंग बेचने वालों की दुकानों में चोरी छिप ड्रेगन डोर बिक रही है, क्योंकि यह पतंगबाजों की पसंदीदा बन चुकी है। कारण एक-दूसरे की पतंग काटने के चक्कर में देसी डोर के स्थान पर चाइनीज डोर को ज्यादा तवज्जो दिया जाता है। ¨सथेटिक धागे से बना ये चाइनीज डोर मनुष्य के साथ ही बे- जुवान पक्षियों को भारी क्षति पहुंचा रहा है। आए दिन इस ड्रैगन डोर का शिकार दोपहिया वाहन चालक हो रहे हैं।
सहारनपुर से आए मो.उस्मान फारूकी ने बताया कि देशी मंझा सूत के धागों पर कांच के पाउडर, अंडे की सफेद जर्दी और गोंद आदि के मिश्रण से तैयार सामग्री के लेप से तैयार किया जाता है। जोकि मजबूत तो होता है, लेकिन ड्रेगन डोर की तुलना में कमजोर ही है। अत: मेरी पतंग न कटने पाए और मैं दूसरों की पतंग को काट दूं, इसी मानसिकता की वजह से ड्रेगन डोर ने देशी मंझे को मार्केट से बाहर निकाल हुआ है। प्रशासन को चाहिए कि वह पहले ही हरकत में आते हुए चाइनीज डोर की बिक्री के खिलाफ कड़े कदम उठाए, ताकि युवा व बच्चे स्वदेशी डोर का प्रयोग करें। स्वदेशी डोर धागे से तैयार डोर से न तो किसी की जान जाती है और न ही किसी को गंभीर रूप से घायल करती है। वहीं चाइनीज डोर से हाथ, कान तक कट जाते हैं। बावजूद इसके चाइना डोर का हर साल इस्तेमाल होता है।
फाइबर सेंथेटिक की वजह से डोर में आता है करंट
बीते 14 जनवरी को ड्रेगन डोर की वजह से शहर में बिजली शार्ट र्सकिट का शिकार बन गुल हो गई थी। इस बारे में पावरकाम के एसडीओ सु¨रदर जीत ¨सह ने बताया कि ड्रेगन डोर में कुछ ऐसा केमिल लगा होता है, और चूंकि सथेटिक फाइबर की बनी होती है, जोकि करंट का सुचालक है, इसकी वजह से जब पतंग उड़ाते समय पतंग कटती है तो यह डोर नीचे गिरती है, तो तार में फंसकर शार्ट सर्किट पैदा कर देती है, और जिससे बिजली गुल हो जाती है। बीते रविवार को काठगढ़ में राहुल नामक बच्चा भी ड्रेगन डोर में करंट आने की वजह से बुरी तरह से झुलस कर घायल हो गया। इसी तरह शहर के राजा मोहल्ला में रहने वाले आठ साल के चांद मोहम्मद भी पतंग उड़ाते समय अचानक बिजली की तार की चपेट में आने से आए करंट की चपेट में आकर घायल हो गया।
सख्ती से लागू होना चाहिए प्रतिबंध : डा. कटारिया
डा. गुरपाल कटारिया का कहना है कि चाइनीज डोर पर सख्ती से पाबंदी लगाई जानी चाहिए। यह भारतीय मंाझे से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि महीन होने के साथ बहुत मजबूत होती है। मैं अक्सर देख रहा हूं, कि बीते कई सालों से दो पहिया चालक और पैदल चलने वाले लोग इस डोर का शिकार बन रहे हैं। यह डोर अक्सर लोगों के गले में फंसती है और तेज छूरी से भी तेज धार के साथ कब अगले का गला कटकर गहरा जख्म बन जाता है, यह बाद में पता चलता है। डा. कटारिया ने कहा कि अक्सर गले की सास की नली को नुकसान पहुंचता है, इसके साथ ही अगर गले में फंसती है तो दोनों साइडों से मस्तिष्क को खून भेजने वाली नस के कटने का भी डर रहता है। अगर ऐसा हुआ तो उक्त घायल की मौत निश्चित है। इस डोर की बिक्री पर सख्त पाबंदी होनी चाहिए।