एनजीओज बोले जमीन दो, हम विकसित करेंगे मैदान
-एनआरआइज की मदद से करेंगे मैदान विकसित -वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा मैदान का मामला हाउस में उठाउंगी।
-एनआरआइज की मदद से करेंगे मैदान विकसित
-वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा मैदान का मामला हाउस में उठाउंगी।
-सामाजिक संस्थाओं ने उठाया जागरुकता का बीड़ा
-बच्चे बोले हमें खेलने के लिए मैदान चहिए
जागरण संवाददाता, नवांशहर : मैदान है तो जहांन है, इस विषय पर बुधवार को स्थानीय डीएनआरएल एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें शहर के गणमान्य लोगों के अलावा बच्चे तथा शिक्षाविदों ने अपने विचार सांझे किए।
इसमें बच्चों हरजोत सुमन, आरती, विवेक, सूरज, निअक्षय बाली, अभिषेक, अंजली, कोमल बाली, सीमा और गुरलीन आदि ने एक स्वर में मांग की कि खेलने के लिए उन लोगों के घरों के आसपास मैदान नहीं है। अगर वे लोग आसपास के खाली प्लाटों में कोई खेल खेलते भी है, तो अक्सर प्लाट मालिक डांटता टपटता है और मारता पीटता भी है। मां-पिता खेलने के लिए दूर जाने नहीं देना चाहते है बोलते है कि जमाना खराब है, बेटायहीं आसपास ही खेलो।
शामलाट जमीन पर बने मैदान : राजदीप शर्मा
मानवाधिकार सोशल सोसायटी की चेयरपर्सन राजदीप शर्मा बोली शहर में अवैध कालोनियों की भरमार है, कालोनी का नक्शा पास कराने के वक्त तो उसमें बच्चों के खेलने के लिए मैदान व पार्क का जिक्र रहता है, पर जब कॉलोनी बनती है, तो वहां पर कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है। बच्चो के शारीरिक व मानसिक विकास तथा फिटनेस के खेलना बहुत जरूरी है, खेल के लिए खेल का मैदान होना भी जरूरी है। मेरा नगर परिषद प्रधान से अनुरोध है कि नगर परिषद के पास जो भी शामलाट की जमीन है, उसमें बच्चों के खलने के लिए मैदान की व्यवस्था करे।
इनसेट- कुलवंत कौर (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
इस मौके पर नगर परिषद की वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुलवंत कौर बोली कि मैं राजदीप शर्मा की बात से सहमत हूं, बच्चों के खेलने के लिए मैदान का होना बहुत जरूरी है। यह भी सचहै कि कालोनियों में मैदान तो मैदान कालोनाइजर धार्मिक स्थल पार्क के लिए छोड़ी जगह तक बेच देते है। ऐसे में मैदान का अभाव गंभीर मसला है, इसेवह हाउस की बैठक में उठाएंगी, और जो भी कालोनियां बनी हुई है, उनके नक्शे में अगर मैदान का जिक्र था,तो वह है कि नहीं इसकी जांच करवाने की मांग करूंगी। औरयह भी गुजारिश करूंगी कीभविष्यमें अगर कोई कालोनी पास करवाई जाती है, तो उसमें सख्ती के साथ मैदान का जिक्र वास्तिक रूप धारण करे, न कि नक्शा की इबारत बनकर ही रह जाए।
एनआरआइज का सहयोग लेना चाहिए : दर्शन दर्दी
कवि दर्शन दर्दी बोले कि सारे कामों के लिए सरकारों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, समाज के लोगों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि इस दिशा में आगे बढ़कर पहल करे। उन्होंने कहा कि शहीद भगत ¨सह नगर एनआरआइज बाहुल्य जिला है, वे लोग जिले को विकसित व प्रफुल्लित देखना चाहते है। ऐसे में सामाजिक संस्थाए उजड़े हुए पार्कों को गोद ले, उसे खेल के मैदान के रूप में विकसित करे और वित्तीय मदद के लिए एनआरआइज का सहयोग ले।
जमीन की व्यवस्था परिषद करे : रूप लाल
समाज सेवक रूप लाल बोले कि बड़े शहरों की तरह हमारे जिले में पुडा या अर्बन स्टेट नहीं है, जहां पर कि मैदान जैसी सुविधाएं उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि खेल के मैदान के लिए जमीन की व्यवस्था नगर परिषद अथवा जिला प्रशासन को करनी चाहिए। हमलोग तो समाज सेवी संस्थाओं एनआरआइज के सहयोग से जिले के विभिन्न स्थानों पर बच्चों के लिए खेल का मैदान विकसित करेंगे।
संस्था करेगी पहल : पर¨मदर बत्रा
श्यामा शाम संकीर्तन मंडल के संस्थापक पर¨मदर बत्रा ने कहा कि उनकी संस्था इस दिशा में पहल के आधार पर काम करेंगी। शहर में जितने भी उजड़े पार्क हैं, उनमें सुधार करके बच्चों के लिए खेल का मैदान विकसित करेंगे। इसके लिए वह अपने एनआरआइज की मदद लेगी। सरकार व नगर परिषद अगर जमीन मुहैया कराती है, तो उसे मेरी और मेरे जैसी अन्य संस्थाएं विकसित कराएंगी।
समाज के प्रबुद्ध लोग उठाएं जिम्मेदारी : न¨वदर कौर
समाज सेविका का कहना है कि जैसे विदेशों में पार्क व खेल के मैदान को डेवलप करने के लिए कालोनी वेलफेयर सोसायटी पहल करती है, तो अगर ऐसी सोसायटियां है उनसे संपर्क करके इस काम में सहयोग लेना चाहिए। मेरा मानना है कि हर काम में सरकार की ओर मुंह उठाकर देखना अच्छी बात नहीं है। समाज के प्रबुद्ध लोगों की भी कुछ नैतिक जिम्मेदारी बनती है, बच्चों के लिए।
शहर का विकास टाउन प्लान के तहत होना चाहिए : किरन हांडा
इनका मानना है कि बढ़ती आबादी घटती जगह और बच्चों के खेल के प्रति अभिभावकों में घटता जा रहा उत्साह काफी ¨चता की बात है। शहर का विकास टाउन प्लान के तहत होना चाहिए। इससे हर कालोनी में कम से कम एक खेल का मैदान अवश्य होना चाहिए। लेकिन दुभार्ग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि शहर के बहुत से मोहल्ले पुराने है। इस वजह से बच्चे घर में ही कैद होकर रह जाते है। वैसे भी मौजूदा शिक्षा का ढांचा इतना विषम हो गया कि बच्चे के पास खेलने की फुर्सत नहीं और मां-बाप भी बच्चों को खेलने के लिए दूर जाने नहीं देते है।
इनसेट- बहादुर चंद अरोड़ा
समाज सेवक बहादुर चंद अरोड़ा बोले कि जो बीत गया उसे भूल जाना चाहिए और नए सिरे से बच्चों के हितों के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। नगर परिषद को चाहिए कि उसी कालोनी को पास करे जिसमें बच्चो के खेलने के लिए मैदान का विशेष प्रावधान हो।
शहर में एक पार्क नाकाफी : सरीन
समाजसेवी सौरभ सरीन बोले कि शहर में एक पार्क कम खेल का मैदान है, जिसे लोग बारादरी गार्डन के नाम से जानते हैं, लेकिन यहां पर लोगों की कारे व अन्य वाहन इतनी संख्या में पार्क होते हैं कि पार्क नहीं पार्किंग लगता है, इसे खेल के मैदान के रूप में बच्चे प्रयोग में लाते हैं, लेकिन यहां पर शहर के दूर दराज मोहल्लों के नौनिहालों का खेलने के लिए आना संभव नहीं हो सकता है। खेल का मैदान हर मोहल्ले में हो, ऐसी व्यवस्था सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से विकसित की जा सकती है।
जर्जर पार्को को करेंगे विकसित : पाठक
नगर परिषद प्रधान ललित मोहन पाठक ने भी जागरण के इस अभियान की सराहना की और कहा कि शहर में जितने भी पार्क जर्जर अवस्था में हैं, उन्हें फिर से विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खेल के मैदान केरूप में पुराने पार्कों को ही विकसित करने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी शहर केतीन पार्कों के विकास का काम शुरु हो रहा है। इसी में खेल के मैदान की भी व्यवस्था करवा दी जाएंगी।